हवाई प्रदर्शन के दौरान तेजस का दुर्घटनाग्रस्त होना
दुबई के प्रतिष्ठित एयर शो में भारतीय स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस का दुर्घटनाग्रस्त होना न केवल भारतीय रक्षा उद्योग के लिए बल्कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के लिए भी एक गंभीर झटका माना जा रहा है। यह विमान भारत की तकनीकी उपलब्धियों का प्रतीक है और पिछले कुछ वर्षों में इसके कई सफल अभियानों व परीक्षणों ने इसे भारतीय वायुसेना की रीढ़ बनने की दिशा में आगे बढ़ाया है। ऐसे में इसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर क्रैश होना अनेक सवाल खड़े करता है—विमान की विश्वसनीयता, तकनीकी स्थिरता, और एचएएल की उत्पादन क्षमता पर क्या इसका प्रभाव पड़ेगा।
वायुसेना ने तुरंत मामले की जांच के आदेश देते हुए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी गठित कर दी है। यह तेजस विमान का दूसरा बड़ा हादसा है। इससे पहले वर्ष 2024 में राजस्थान के पोकरण में युद्धाभ्यास के दौरान इंजन फेल होने की वजह से तेजस का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। घटनाओं की यह पुनरावृत्ति विमान के तकनीकी मूल्यांकन और सुरक्षा मानकों की गहराई से समीक्षा की ओर संकेत करती है।
तेजस क्या है और इसकी तकनीकी पहचान क्या दर्शाती है
तेजस एकल इंजन, हल्का, बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है जिसे भारतीय वायुसेना की जरूरतों के अनुरूप लंबे अनुसंधान और विकास के बाद तैयार किया गया है। इसे एचएएल और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) ने संयुक्त रूप से विकसित किया। भारत के लिए यह केवल एक विमान नहीं बल्कि स्वदेशीकरण की दिशा में हासिल की गई ऐतिहासिक उपलब्धि है।
युद्धक अभियानों के दौरान किसी दुश्मन के विमान को रोकना, जमीन पर हमला करना, और समुद्री क्षेत्रों में जहाज़-रोधी अभियान जैसे कई ऑपरेशन तेजस की क्षमता में शामिल हैं। इसकी उड़ान प्रणाली, एवियोनिक्स और हथियार एकीकरण इसे आधुनिक विमानों की श्रेणी में प्रतिस्पर्धी बनाते हैं। हालांकि इसका इंजन विदेशी तकनीक पर आधारित है, लेकिन बाकी प्रमुख हिस्से भारत में विकसित किए गए हैं, जो देश की रक्षा आत्मनिर्भरता नीति को मजबूत करते हैं।
तेजस विमान की कीमत कितनी है
तेजस की कीमत को लेकर हमेशा चर्चा होती रही है। इस वर्ष सितंबर में भारत सरकार ने एचएएल को तेजस MK-1A मॉडल के 97 विमानों के लिए 623.70 अरब रुपये की एक बड़ी डील प्रदान की। यह सौदा न केवल भारतीय वायुसेना के लिए एक बड़ी आपूर्ति योजना है, बल्कि यह एचएएल की उत्पादन क्षमता का भी बड़ा परीक्षण है।
यदि कुल अनुबंध राशि को विभाजित किया जाए, तो अनुमानित रूप से एक तेजस की कीमत करीब 642 करोड़ रुपये के आसपास बैठती है। हालांकि इसमें कई तकनीकी वर्जन, उपकरण और कस्टमाइजेशन शामिल होते हैं, जिसके चलते यह कीमत घट-बढ़ सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ वर्जन की कीमत लगभग 639 करोड़ रुपये बताई गई है।
भारतीय वायुसेना को यह विमानों की आपूर्ति वर्ष 2027-28 से शुरू होकर छह वर्षों के भीतर पूर्ण करनी है। यह अवधि एचएएल को उत्पादन प्रक्रिया को और गति देने तथा वैश्विक मानकों के अनुरूप गुणवत्तायुक्त विमान तैयार करने की चुनौती भी देती है।
एचएएल का बढ़ता रक्षा कारोबार और चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियाँ
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड भारत की प्रमुख सरकारी रक्षा कंपनी है जिसका बाजार पूंजीकरण तीन लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है। यह न केवल सैन्य विमानों और हेलीकॉप्टरों का निर्माण करती है, बल्कि उनकी मरम्मत, ओवरहॉल और रखरखाव का भी महत्वपूर्ण कार्य करती है। वर्तमान में एचएएल के शेयर की कीमत 4595 रुपये के स्तर पर दर्ज की गई है, जो कंपनी के मजबूत औद्योगिक और वित्तीय प्रदर्शन को दर्शाता है।
तेजस परियोजना ने एचएएल का कद वैश्विक रक्षा बाजार में और ऊंचा किया है। भारत, जो पहले लड़ाकू विमानों के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर था, अब धीरे-धीरे रक्षा निर्यात की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। तेजस का निर्यात कई देशों के साथ चर्चा में है, और इस तरह की दुर्घटनाएं इन संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए एचएएल के लिए यह आवश्यक है कि वह तकनीकी मजबूती, गुणवत्ता और परीक्षण प्रक्रियाओं को और अधिक कठोरता से लागू करे।
दुर्घटना का प्रभाव और आगे की राह
दुबई एयर शो जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर किसी स्वदेशी विमान का गिरना भारत की प्रतिष्ठा के लिए तमाम सवाल खड़े करता है। यह घटना वैश्विक रक्षा खरीदारों के समक्ष भारत की विश्वसनीयता पर असर डाल सकती है, विशेषकर तब जब भारत अपने रक्षा निर्यात को बढ़ाने की नीति पर कार्य कर रहा है।
इसके बावजूद विशेषज्ञ यह स्पष्ट करते हैं कि किसी भी नए विमान परियोजना में इस प्रकार की घटनाएँ असामान्य नहीं होतीं। विश्व के बड़े सैन्य विमान निर्माता देशों के इतिहास में भी कई हादसे दर्ज हैं। सवाल यह है कि भारत इस दुर्घटना से क्या सीखता है और किस तरह अपनी तकनीकी प्रणाली को और सुरक्षित बनाता है।
भारत सरकार और वायुसेना दोनों ही इस परियोजना को राष्ट्रीय महत्व का मानते हैं। अतः उम्मीद की जा रही है कि जांच के बाद दोषों की पहचान कर विमान को और मजबूत बनाया जाएगा। एचएएल को अब न केवल तेजस की छवि बहाल करनी है बल्कि आगामी वर्षों के सभी उत्पादन लक्ष्यों को भी सटीकता के साथ पूरा करना है।