दुबई एयर शो में शुक्रवार को भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस की दुर्घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। टेक ऑफ के कुछ ही देर बाद यह विमान जमीन पर गिर गया, जिसमें पायलट की मौत हो गई। सामने आए वीडियो में विमान को जमीन पर गिरते हुए देखा जा सकता है। यह हादसा भारतीय विमानन इतिहास में एक दुखद घटना है, लेकिन इस घटना के बावजूद तेजस विमान भारत की स्वदेशी विमानन क्षमता का एक महत्वपूर्ण प्रतीक बना हुआ है।
तेजस विमान का इतिहास और विकास
तेजस लड़ाकू विमान का आधिकारिक नाम तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चार मई 2003 को रखा था। संस्कृत में तेजस का अर्थ होता है तेजस्वी या प्रखर। इस विमान का उत्पादन 2007 में शुरू हुआ था। भारतीय वायुसेना ने एक जुलाई 2016 को तेजस का पहला स्क्वाड्रन बनाया, जिसे ‘फ्लाइंग डैगर्स’ नाम दिया गया। इसके बाद एक अप्रैल 2020 को दूसरे स्क्वाड्रन का निर्माण किया गया।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा निर्मित यह विमान भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। तेजस को विकसित करने में भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने दशकों की मेहनत की है।
तकनीकी विशेषताएं और क्षमताएं
तेजस एक हल्का सिंगल सीटर लड़ाकू विमान है जो 4.5 पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर जेट है। इस विमान में एक ही जेट इंजन लगा होता है, जो इसे तेज गति और उच्च क्षमता प्रदान करता है। विमान का फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम अत्यधिक उन्नत है और कलाबाजी दिखाने में माहिर है।
विमान का ढांचा कार्बन फाइबर से निर्मित है, जो इसे धातु की तुलना में काफी हल्का और मजबूत बनाता है। इससे विमान की गतिशीलता बढ़ती है और यह युद्ध की स्थिति में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। तेजस में लगा सेंसर तरंग रडार दुश्मन के विमान से लेकर जमीन से हवा में दागी गई मिसाइल तक की जानकारी पायलट को तुरंत प्रदान करता है।
युद्धक क्षमताएं और हथियार प्रणाली
तेजस लड़ाकू विमान हवाई रक्षा, जमीन पर हमला और समुद्री हमले करने में पूरी तरह सक्षम है। यह विमान 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है। दुश्मन पर हमला करने के लिए इसमें हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइल लगी हुई है।
जमीनी लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए तेजस आधुनिक लेजर गाइडेड बमों से लैस है। इसकी मारक क्षमता पुराने मिग विमानों से कहीं अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस की तुलना फ्रांस के प्रसिद्ध मिराज 2000 विमान से की जा सकती है। भविष्य में अपग्रेड के साथ तेजस विमान वायुसेना में मिराज 2000 की जगह लेने वाले हैं।
तेजस एमके 2 का भविष्य
भारतीय वायुसेना को जल्द ही तेजस एमके 1 का उन्नत संस्करण मिलने वाला है। तेजस एमके 2 भी शीघ्र ही भारतीय वायुसेना में शामिल होगा, जो और भी अधिक शक्तिशाली होगा। यह 4.5 पीढ़ी का मल्टी रोल फाइटर जेट है, जिसमें जनरल इलेक्ट्रिक के एफ-414 इंजन लगाए जाएंगे।
तेजस एमके 2 स्वदेशी उत्तम एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (एईएसए) रडार से लैस होगा। यह हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र-एमके-2 मिसाइल, हवा से सतह पर हमला करने वाली ब्रह्मोस एनजी, एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम-2 और मीटियोर जैसी लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों से सुसज्जित होगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा में तेजस की भूमिका
तेजस विमान मेक इन इंडिया पहल का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह न केवल भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाता है, बल्कि विदेशी विमानों पर निर्भरता भी कम करता है। देश की सुरक्षा में तेजस की भूमिका लगातार बढ़ रही है।
दुबई एयर शो में हुई यह दुर्घटना निश्चित रूप से दुखद है, लेकिन इससे तेजस कार्यक्रम पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगता। विमानन उद्योग में ऐसी दुर्घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण होती हैं। जांच के बाद ही दुर्घटना के कारणों का पता चलेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय किए जाएंगे।
भारत का रक्षा क्षेत्र लगातार आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहा है और तेजस जैसे स्वदेशी विमान इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। आने वाले वर्षों में तेजस के और उन्नत संस्करण भारतीय वायुसेना को विश्व की सबसे शक्तिशाली वायु सेनाओं में शामिल करने में मदद करेंगे।