Bihar Vibhutipur Politics: भाकपा माले और माकपा आमने-सामने
विभूतिपुर, बिहार। महागठबंधन के घटक दलों में शामिल भाकपा माले और माकपा के बीच विभूतिपुर में वामपंथी एकता पर संकट सामने आया है। शनिवार को एक स्थानीय कार्यक्रम के दौरान दोनों दलों के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए, जिससे न केवल महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठने लगे बल्कि राज्य और केंद्रीय कमिटी की चिंता भी बढ़ गई।
संवाद सहयोगियों के अनुसार, विवाद तब शुरू हुआ जब माकपा विधायक अजय कुमार के पतैलिया में सड़क उद्घाटन कार्यक्रम के पहले भाकपा माले के केंद्रीय कमेटी सदस्य और पूर्व विधायक मंजू प्रकाश अपने समर्थकों के साथ पहुंचे। उन्होंने माकपा कार्यकर्ताओं को स्थल पर किसी भी सूरत में कार्यक्रम आयोजित न करने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि योजना बोर्ड लगाए जाने की जिद से कम्युनिस्ट एकता पर असर पड़ सकता है।
उग्र बहस और आरोप-प्रत्यारोप
पूर्व विधायक मंजू प्रकाश की बातों को सुनकर कुछ माकपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें मनाने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके बाद माकपा कार्यकर्ता सुरेन्द्र सिंह और राजीव कुमार ने विरोध करना शुरू किया। इस पर भाकपा माले की नेत्री ने पूर्व विधायक रामदेव वर्मा पर आरोप लगाते हुए बताया कि उनके द्वारा कुछ योजना बोर्ड तोड़वाए गए थे और कुछ कार्यकर्ताओं को अपमानित किया गया था। उन्होंने माकपा कार्यकर्ताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि लोकतंत्र में उनके इस तरह के व्यवहार को किसी भी समाज में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
विधायक अजय कुमार का शांतिपूर्ण रुख
कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे माकपा विधायक अजय कुमार ने स्थिति को संभालते हुए अपने कार्यकर्ताओं के साथ उद्घाटन स्थल की ओर रवाना हुए। उन्होंने संवाददाताओं को बताया, “लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी सभी को है। इसे दबाने का प्रयास अनुचित है। मैं किसी को रोकता नहीं हूं।”
माकपा के शांतिपूर्ण रवैये ने हालात को नियंत्रण में रखा, जबकि भाकपा माले की पूर्व विधायक ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ कृत्य करार दिया। उन्होंने कहा कि उनके दृष्टिकोण में लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है और राजतंत्र के तरीके अपनाने की प्रवृत्ति दिखाई देती है।
सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारे में हलचल
विभूतिपुर के इस विवाद की वीडियो क्लिप और घटनाओं की जानकारी इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हुई। इससे स्थानीय राजनीति के गलियारों में चर्चा का बाजार गरम हो गया। विश्लेषक मानते हैं कि आगामी विधानसभा चुनावों के दृष्टिकोण से यह घटना महागठबंधन की साख पर असर डाल सकती है।
स्थानीय राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस प्रकार की दरार वामपंथी दलों के भीतर दीर्घकालीन एकता के लिए खतरा है। भाकपा माले और माकपा के बीच बढ़ता तनाव केवल स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि राज्य और केंद्र के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।
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भविष्य की संभावनाएँ
राजनीतिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि दोनों दलों के बीच मतभेद समय रहते सुलझा नहीं, तो विभूतिपुर में महागठबंधन की स्थिति कमजोर हो सकती है। वहीं, स्थानीय कार्यकर्ताओं के लिए यह एक चेतावनी भी है कि किसी भी विवाद को हिंसक तरीके से नहीं बल्कि संवाद और समझौते के माध्यम से सुलझाया जाए।
विभूतिपुर की इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि महागठबंधन की साख और एकजुटता को बनाए रखना केवल शीर्ष नेताओं का ही नहीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं का भी जिम्मा है। आने वाले समय में यह देखा जाएगा कि क्या भाकपा माले और माकपा अपने मतभेदों को भुलाकर वामपंथी एकता को कायम रख पाएंगे या नहीं।