Patna Police Custody Death: सुलतानगंज में पुलिस की पिटाई से युवक की मौत, इंसाफ की उठी मांग
राजधानी पटना सिटी से एक बार फिर पुलिस बर्बरता का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। Patna Police Custody Death के इस ताज़ा मामले ने पूरे सुलतानगंज इलाके को हिला कर रख दिया है। आरोप है कि हिरासत में एक युवक की पुलिस पिटाई से मौत हो गई, जिसके बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश फैल गया है।
मृतक की पहचान संतोष कुमार, निवासी गरहुआ टोला, सुलतानगंज के रूप में हुई है। संतोष रोज़ाना चाय बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। परिजनों के अनुसार, 30 सितंबर की शाम पुलिस ने शराब पीने के शक में संतोष को पकड़ लिया और बिना सबूत के थाने ले गई।
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परिजनों का आरोप – “थाने में बेरहमी से पीटा गया”
परिवार ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि पुलिस ने संतोष को थाने में बेरहमी से पीटा। उसके भाई राकेश कुमार ने बताया, “रातभर उसे थाने में रखा गया और बुरी तरह मारा गया। अगले दिन सुबह हमें खबर मिली कि संतोष की हालत बिगड़ गई है और उसे पीएमसीएच भेजा गया है, लेकिन जब हम पहुंचे तो वह मर चुका था।”
परिवार का कहना है कि यह सीधा custodial violence का मामला है। उनका यह भी आरोप है कि पोस्टमार्टम प्रक्रिया में भी गड़बड़ी की गई। उन्होंने कहा कि तीन शव पहले से लाइन में थे, फिर भी पुलिस ने संतोष का पोस्टमार्टम पहले कराया और जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करवा दिया। इससे पूरे मामले पर संदेह और गहरा गया है।

थाने का घेराव और सड़क जाम
घटना के बाद सुलतानगंज इलाके में तनाव फैल गया। परिजनों और स्थानीय लोगों ने थाने का घेराव किया, सड़क जाम की और पुलिस के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। लोगों ने स्पष्ट कहा कि अगर 24 घंटे के भीतर दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
स्थानीय समाजसेवियों ने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया और मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच उच्चस्तरीय समिति से कराई जाए।
पुलिस का पक्ष
इस मामले में थाना प्रभारी कुमार रौशन ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “हमें सूचना मिली थी कि थाने के पीछे एक व्यक्ति नाले में गिरा है। उसे निकालकर अस्पताल भेजा गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।”
उन्होंने कहा कि postmortem report आने के बाद ही सच्चाई स्पष्ट होगी और अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

निष्पक्ष जांच की मांग
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से पारदर्शी जांच की मांग की है। उनका कहना है कि Patna Police Custody Death जैसे मामलों में अक्सर जांच में देरी होती है और दोषियों को सजा नहीं मिल पाती।
विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि यह राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल है। उन्होंने मुख्यमंत्री से जवाब मांगा और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की है।

वेब स्टोरी:
यह घटना न केवल पुलिस के कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि यह दिखाती है कि आम नागरिकों की सुरक्षा किस हद तक खतरे में है। अगर Patna Police Custody Death मामले में निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह बिहार में पुलिस जवाबदेही पर एक बड़ा धब्बा बन सकता है।
लोग अब न्यायिक जांच और दोषियों की गिरफ्तारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। परिवार का कहना है — “संतोष को अब लौटाया नहीं जा सकता, लेकिन अगर न्याय मिला तो उसकी आत्मा को शांति मिलेगी।”