बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मोकामा सीट एक बार फिर राजनीति के रणभूमि में बदलती नजर आ रही है। पिछले चुनावों से ही बाहुबली छवि से जुड़े नामों का गढ़ रहा यह क्षेत्र इस बार अनंत सिंह और सूरजभान परिवार की टक्कर की संभावनाओं से सुर्खियों में है।
वर्तमान समय में किसी भी पार्टी ने अपनी औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में अनंत सिंह के जेडीयू टिकट पर नामांकन की अटकलें और राजद की ओर से बीना देवी की नामांकन की बातचीत जोर पकड़ रही है। मोकामा की धरती इस समय चुनावी हलचलों से खलबली मची हुई है।
मोकामा का राजनीतिक परिदृश्य और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मोकामा सीट बिहार की राजनीति में लंबे समय से बाहुबलियों और सियासी दावेदारों की सरगर्मियों की पहचान रही है। यह क्षेत्र पारंपरिक तौर पर सामाजिक समीकरण, जाति प्रभाव और स्थानीय शक्ति संघर्षों का गढ़ रहा है। पिछली चुनौतियों में बाहुबली छवि के नेताओं का दबदबा रहा है, और इस बार भी वही आदर्श दिखाई दे रहा है।
यह सीट सामाजिक मिश्रण और विकास की मांगों दोनों के संघर्षों का गवाह रही है। जनता ने कई बार “विकास vs. बाहुबलि छवि” के बीच निर्णय लिया है। इस बार भी मतदाताओं की उम्मीदें ऊँची हैं कि वे ऐसे प्रतिनिधि चुनेंगे, जो क्षेत्र की समस्याओं — बुनियादी ढाँचा, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क — को लेकर काम करें, न कि सिर्फ भाषणों तक सीमित रहें।
अनंत सिंह की रणनीति और जनसंवाद
अनंत सिंह इन दिनों मोकामा की गलियों से लेकर गांवों तक लगातार जनसंपर्क में जुटे हैं। वे हाथ जोड़कर आशीर्वाद मांगते हैं, अपने समर्थकों से मिलते हैं, और जनता से संवाद स्थापित करते हैं। उनका प्रयास है कि वही छवि बनाए रखी जाए जो उन्हें शक्तिशाली व जन समर्थित नेता बनाती है।
उन्होंने यह संदेश भी भेजा है कि वे 14 अक्टूबर को जेडीयू टिकट पर नामांकन के लिए आगे आएँगे। इस तरह से वे चुनावी समर में प्रवेश करने की तैयारी कर रहे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि मोकामा की जनता उन्हें अच्छी तरह जानती है और मजबूती से आगे आएगी।
बीना देवी और सूरजभान परिवार की दावेदारी
दूसरी ओर, राजद की ओर से बीना देवी, जो कि मुंगेर की पूर्व सांसद और सूरजभान सिंह की पत्नी हैं, उनकी दावेदारी की मजबूत चर्चाएँ हैं। यदि उनका नाम मोकामा सीट पर राजद उम्मीदवार के रूप में घोषित होता है, तो यह दो बाहुबली परिवारों की आमने-सामने की मुकाबले को जन्म देगा।
सूरजभान सिंह के राजनीतिक प्रभाव, परिवार की साख और समर्थकों का नेटवर्क इस टक्कर को और भी रोचक बना देगा। यदि राजद इस सीट पर बीना देवी को मैदान में उतारे, तो यह मोकामा की राजनीति को पूरी तरह बदल सकता है।
मतदाताओं के समीकरण और संभावित असर
अगर दोनों ही नाम मैदान में आएं, तो मोकामा सीट राज्य की सबसे “हॉट” सीटों में से एक बन जाएगी। मतदाताओं के बीच सामाजिक, जातिगत और वंश-सांविधानिक समीकरण गहरे से जुड़े हैं। बाहुबली छवि से जुड़ी धारणा भी चुनावी फैसले पर असर डाल सकती है।
इस तरह की टक्कर में यह देखा जाना है कि जनता विकास और सेवा-प्रदर्शन को कितनी प्राथमिकता देती है। चुनावी वार्तालाप केवल ताकत बल्कि जनसंवाद, वादा पत्र, स्थानीय मुद्दों पर सक्रियता और समस्याओं की समझ पर केंद्रित होंगे।
चुनाबी रणनीतियाँ और आगे की राह
राजनीतिक दल अब अपनी रणनीति तय करेंगे — किन वार्डों में जोर देना है, किन जाति समूहों को समेटना है, और किन मुद्दों को मुखर बनाना है।
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जेडीयू को यह तय करना होगा कि अनंत सिंह की छवि को प्रचारित कैसे किया जाए
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राजद को यह देखना होगा कि बीना देवी की संभावित प्रत्याशी के रूप में स्वीकार्यता कितनी है
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स्थानीय स्तर पर नेताओं और ब्लॉक नेताओं का समर्थन, वोट बैंक की सक्रियता और मतदाता संपर्क अहम होगा
यदि कोई अन्य प्रत्याशी इस क्षेत्र में खड़ा होता है, तो वह भी इस मुकाबले में भूमिका निभा सकता है, लेकिन फिलहाल मुख्य ध्यान अनंत सिंह और सूरजभान परिवार की संभावित टक्कर पर ही है।
मोकामा की राजनीति ने कई दौर देखे हैं, और इस बार फिर से यह सीट सुर्खियों में खड़ी है। जनता, मीडिया और राजनीतिक पंडित सभी की निगाहें इस वेदी पर टिकी हैं — कौन व्यक्ति मोकामा की जनता के दिलों पर राज करेगा, यह समय ही बताएगा।