झारखंड में अवैध लौह अयस्क खनन पर मधु कोड़ा का बड़ा एक्शन
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में अवैध लौह अयस्क खनन लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। स्थानीय स्तर पर प्रशासन की आंखों के सामने यह कारोबार फल-फूल रहा था, पर कार्रवाई के नाम पर सन्नाटा था। अब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए सीधे मैदान में उतरकर भ्रष्ट तंत्र पर बड़ा प्रहार किया है।
आधी रात की कार्रवाई से खुला खनन माफिया का खेल
सूत्रों के अनुसार, सोमवार की आधी रात को मधु कोड़ा को गुप्त सूचना मिली कि नोवामुंडी रेलवे स्टेशन के पास पाँच नंबर लोडिंग साइडिंग पर अवैध लौह अयस्क की लोडिंग चल रही है। बिना समय गंवाए उन्होंने दल-बल के साथ मौके पर पहुंचकर छापा मारा।
वहाँ एक लोडर मशीन की मदद से आठ हाइवा ट्रकों में अयस्क भरा जा रहा था। मधु कोड़ा ने मौके पर मौजूद मजदूरों और ड्राइवरों से पूछताछ की, जिससे यह खुलासा हुआ कि यह खनन एक स्थानीय माफिया गिरोह द्वारा कई दिनों से संचालित किया जा रहा था। चोरी किए गए अयस्क को रेलवे साइडिंग से बाहर राज्यों में भेजा जा रहा था।
पुलिस की देर से पहुंच, लेकिन कार्रवाई निर्णायक
मधु कोड़ा ने तत्काल नोवामुंडी थाना पुलिस को सूचना दी, लेकिन पुलिस को पहुँचने में तीन घंटे लग गए। तब तक पूर्व मुख्यमंत्री ने खुद मोर्चा संभालते हुए सभी वाहनों को रोकने के लिए जेसीबी मशीन से टायरों की हवा निकाल दी, ताकि ट्रक भाग न सकें।
पुलिस के पहुँचने पर सभी आठ हाइवा ट्रक और एक लोडर मशीन जब्त की गईं। साथ ही दस संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस इनसे पूछताछ कर रही है ताकि इस अवैध नेटवर्क के अन्य सदस्यों तक पहुँचा जा सके।
मधु कोड़ा का सख्त बयान: “यह सिर्फ खनन नहीं, राज्य की लूट है”
घटना के बाद मधु कोड़ा ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“यह सिर्फ लौह अयस्क की चोरी नहीं, बल्कि राज्य के संसाधनों और अर्थव्यवस्था की खुली लूट है। पाँच नंबर साइडिंग से कई महीनों से टन के हिसाब से अयस्क चोरी हो रहा है और प्रशासन आँखें मूंदे बैठा था।”
उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि इस तरह की गतिविधियाँ तुरंत नहीं रोकी गईं, तो वे जन आंदोलन खड़ा करेंगे।
खनन विभाग और पुलिस की भूमिका पर उठे गंभीर सवाल
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह सारा खेल खनन विभाग और पुलिस की जानकारी में चल रहा था। रात के समय भारी वाहनों की आवाजाही आम बात थी, लेकिन किसी ने इसे रोकने की कोशिश नहीं की। अब जब मधु कोड़ा ने स्वयं हस्तक्षेप किया, तब जाकर यह नेटवर्क उजागर हुआ।
घटना के बाद जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि यदि किसी अधिकारी या कर्मचारी की संलिप्तता साबित हुई, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पर्यावरणीय नुकसान और स्थानीय जनता की नाराज़गी
ग्रामीणों का कहना है कि अवैध खनन से न केवल प्राकृतिक संसाधनों की हानि हो रही थी, बल्कि आसपास का पर्यावरण भी तेजी से बिगड़ रहा था। पेड़ों की कटाई, धूल, और प्रदूषण से जीवन दूभर हो गया था। अब इस कार्रवाई से लोगों में उम्मीद जगी है कि प्रशासन आगे सख्त रुख अपनाएगा।
अब क्या होगा आगे?
जिला प्रशासन ने कहा है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जाएगी और पूरे गिरोह की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, खनन क्षेत्रों की निगरानी के लिए ड्रोन सर्विलांस और नाइट पेट्रोलिंग सिस्टम लागू करने की योजना बनाई जा रही है।
निष्कर्ष: मधु कोड़ा की पहल ने उजागर की तंत्र की सच्चाई
मधु कोड़ा की इस साहसिक कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, तो किसी भी अवैध नेटवर्क को तोड़ा जा सकता है। पश्चिमी सिंहभूम की यह घटना न केवल झारखंड में अवैध खनन के खिलाफ बड़ा संदेश है, बल्कि यह भी दिखाती है कि प्रशासन और माफिया गठजोड़ को जनता के हित में तोड़ा जा सकता है।