मैथिली की मीठी बोली से सजा भाजपा का सुर
लोकप्रिय लोकगायिका मैथिली ठाकुर, जो अपनी मधुर आवाज और पारंपरिक मैथिली लोकगीतों के लिए देशभर में जानी जाती हैं, अब राजनीति के मंच पर भी कदम रख चुकी हैं। मंगलवार को पटना के होटल चाणक्य स्थित भाजपा मीडिया सेंटर में आयोजित एक मिलन समारोह में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण की।
कार्यक्रम में बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर आरजेडी विधायक भरत बिंद भी भाजपा में शामिल हुए, जिससे सियासी हलचल और तेज हो गई है।
भाजपा के सुर में गूंजी मिथिला की आवाज
दिलीप जायसवाल ने इस अवसर पर कहा कि मैथिली ठाकुर जैसी सांस्कृतिक हस्तियों का भाजपा में शामिल होना मिथिला क्षेत्र में पार्टी के लिए नई ऊर्जा लेकर आएगा।
उन्होंने कहा – “मैथिली ठाकुर सिर्फ एक गायिका नहीं हैं, बल्कि वे मिथिला की अस्मिता की प्रतीक हैं। उनका जुड़ना भाजपा के लिए गौरव का विषय है।”
भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी मैथिली ठाकुर की लोकप्रियता का उपयोग मिथिला और उत्तर बिहार के प्रचार अभियानों में करने की योजना बना रही है। सोशल मीडिया पर उनके लाखों फॉलोअर्स हैं, खासकर युवा और महिला वर्ग में उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है।
अलीनगर सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि भाजपा मैथिली ठाकुर को दरभंगा की अलीनगर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतार सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, मैथिली ने भी पहले अपने गृह क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी।
हालांकि, इस पर आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई है।
जानकारों का मानना है कि अगर मैथिली ठाकुर को टिकट मिलता है, तो भाजपा को मिथिला क्षेत्र में भावनात्मक और सांस्कृतिक समर्थन मिल सकता है, जो पार्टी के लिए बेहद अहम है।
नित्यानंद राय और विनोद तावड़े संग तस्वीरों से बढ़ी थी अटकलें
बीते दिनों मैथिली ठाकुर की तस्वीरें भाजपा चुनाव प्रभारी विनोद तावड़े और केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय के साथ वायरल हुई थीं।
तभी से यह चर्चा थी कि वे भाजपा में शामिल होने जा रही हैं।
उनकी चुप्पी और लगातार भाजपा नेताओं से मुलाकातों ने सियासी हवा को और गर्म कर दिया था।
आख़िरकार, मंगलवार को यह अटकलें सच साबित हुईं।
संगीत से राजनीति तक – मैथिली की यात्रा
दरभंगा जिले की रहने वाली मैथिली ठाकुर ने बचपन से ही संगीत की साधना शुरू की।
उनके पिता रमेश ठाकुर स्वयं संगीत शिक्षक हैं।
मैथिली ने अपने भाइयों ऋषभ और आयाची ठाकुर के साथ मिलकर यूट्यूब पर पारंपरिक लोकगीतों और भजनों को नई पहचान दी।
उनकी आवाज़ ने बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश से लेकर नेपाल के तराई क्षेत्र तक करोड़ों दिलों को छुआ है।
उनकी सादगी और संस्कृति से जुड़ी प्रस्तुति ने उन्हें युवा पीढ़ी के बीच भी लोकप्रिय बना दिया।
अब राजनीति में प्रवेश के साथ ही वे ‘मिथिला संस्कृति’ को राजनीतिक मंच से आवाज़ देने जा रही हैं।
भाजपा की रणनीति में नया सुर
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, भाजपा मैथिली ठाकुर को ‘संस्कृति और भावनात्मक जुड़ाव’ के प्रतीक के रूप में पेश कर सकती है।
पार्टी को उम्मीद है कि मिथिला और उत्तर बिहार में उनकी लोकप्रियता से भाजपा को बड़ा फायदा मिलेगा।
वहीं, विपक्षी दलों के लिए यह कदम एक नया चुनौतीपूर्ण समीकरण साबित हो सकता है।
समर्थकों में खुशी की लहर
सोशल मीडिया पर मैथिली ठाकुर के भाजपा में शामिल होने की खबर फैलते ही उनके समर्थकों ने बधाइयों की झड़ी लगा दी।
कई लोगों ने लिखा — “अब संस्कृति और राजनीति का संगम देखने को मिलेगा।”
वहीं, कुछ प्रशंसकों ने उम्मीद जताई कि वे राजनीति में भी उसी समर्पण के साथ काम करेंगी, जैसे उन्होंने संगीत में किया है।
निष्कर्ष
मैथिली ठाकुर का भाजपा में शामिल होना सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि मिथिला की संस्कृति और पहचान को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।
उनकी आवाज़ अब संगीत के साथ-साथ सियासत के मंच पर भी गूंजेगी —
जहां वे अपने गीतों से नहीं, बल्कि अपने विचारों और कार्यों से जनमानस को प्रभावित करेंगी।