राजनीति में उठा-पटक से बढ़ा तापमान
बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। बांका जिले के कटोरिया और बेलहर विधानसभा क्षेत्रों में टिकट बंटवारे को लेकर सियासी भूचाल मच गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) दोनों ही दलों ने इस बार नए चेहरों पर दांव लगाते हुए अपने पुराने उम्मीदवारों को किनारे कर दिया है।
भाजपा ने जहां कटोरिया की मौजूदा विधायक डॉ. निक्की हेंब्रम का टिकट काटकर पूरनलाल टुड्डू को मैदान में उतारा है, वहीं राजद ने बेलहर से अपने पूर्व उम्मीदवार रामदेव यादव की जगह चाणक्य प्रकाश रंजन को प्रत्याशी घोषित किया है।
दलों के भीतर असंतोष की लहर
दोनों ही दलों के इस निर्णय से उनके भीतर असंतोष की लहर दौड़ गई है। भाजपा खेमे में निक्की हेंब्रम के समर्थक हतप्रभ हैं, जबकि राजद के बेलहर क्षेत्र में रामदेव यादव के अनुयायियों में नाराज़गी गहराई है।
रामदेव यादव ने तो यहां तक संकेत दिए हैं कि वे अपने पुत्र को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतार सकते हैं। उनका कहना है कि पार्टी ने वर्षों की निष्ठा और मेहनत का उचित सम्मान नहीं किया।
वहीं, भाजपा की ओर से कटोरिया की मौजूदा विधायक डॉ. निक्की हेंब्रम ने पार्टी के निर्णय को स्वीकार करते हुए कहा कि,
“पार्टी ने मुझे सदैव सम्मान दिया है। संगठन के निर्णय सर्वोपरि हैं, मैं पार्टी के साथ हूं।”
नए उम्मीदवारों पर टिका भरोसा
भाजपा ने पूरनलाल टुड्डू (37 वर्ष) को अपना प्रत्याशी बनाया है, जो क्षेत्र में शिक्षा और सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे हैं। वहीं, राजद ने चाणक्य प्रकाश रंजन (27 वर्ष) पर भरोसा जताया है, जो अर्थशास्त्र में स्नातक हैं और जदयू सांसद गिरधारी यादव के पुत्र हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों ही दलों ने युवाओं की छवि और नये नेतृत्व की संभावनाओं को देखते हुए यह बड़ा दांव खेला है। अब यह चुनाव न केवल उम्मीदवारों की लोकप्रियता बल्कि दलों की रणनीति की भी परीक्षा होगी।
🗳️स्थानीय समीकरणों में बदलाव की आहट
कटोरिया सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए आरक्षित है, जहां भाजपा का पारंपरिक प्रभाव रहा है। किंतु निक्की हेंब्रम की गैर-मौजूदगी में इस बार समीकरण कुछ अलग दिख रहे हैं।
बेलहर में भी राजद के लिए स्थिति आसान नहीं है। पिछले चुनाव में रामदेव यादव को जदयू प्रत्याशी मनोज यादव से मात्र 2473 मतों से हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी को उम्मीद थी कि इस बार वह हार की भरपाई करेगी, किंतु अंतिम क्षणों में उम्मीदवार परिवर्तन से समीकरण बिगड़ सकते हैं।
💬कार्यकर्ताओं में उठे सवाल
राजद कार्यकर्ताओं के बीच यह प्रश्न उठने लगा है कि बाहरी उम्मीदवार को टिकट क्यों दिया गया। रामदेव यादव का कहना है कि,
“अगर पार्टी को बदलाव करना ही था तो बेलहर के स्थानीय नेताओं मिठन यादव या शरद यादव को मौका मिलना चाहिए था, न कि किसी बाहरी को।”
दूसरी ओर, भाजपा में भी टिकट वितरण को लेकर कुछ कार्यकर्ता नाराज़ हैं, हालांकि जिला नेतृत्व स्थिति को संभालने में जुटा है।
🌐बदलती राजनीति का संकेत
बांका जिले की यह सियासी हलचल इस बात का संकेत है कि अब बड़े दल भी स्थानीय समीकरणों के बजाय युवाओं और नई छवि को प्राथमिकता देने लगे हैं। राजनीति का यह परिवर्तन राज्य की आगामी चुनावी दिशा तय कर सकता है।
दोनों नई पीढ़ी के प्रत्याशी—पूरनलाल टुड्डू और चाणक्य प्रकाश रंजन—अब न केवल अपनी योग्यता बल्कि जनता के विश्वास की भी परीक्षा देंगे।
बांका जिले की कटोरिया और बेलहर सीटें इस बार बिहार की राजनीति का केंद्र बनने जा रही हैं। एक ओर भाजपा ने अपने पुराने विधायक को किनारे कर युवा को मौका दिया है, वहीं राजद ने संगठन के भीतर से उठ रहे विरोध के बावजूद नई पीढ़ी पर भरोसा जताया है।
अब देखना यह होगा कि जनता का रुझान किस ओर झुकता है—अनुभव के साथ या नई ऊर्जा के साथ।