बिहार चुनाव 2025 में किशनगंज का राजनीतिक परिदृश्य
किशनगंज जिला, जो बिहार के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है, आगामी बिहार चुनाव 2025 के मद्देनजर राजनीतिक हलचलों का गवाह बन रहा है। इस बार जिले की राजनीतिक खबरें न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय मीडिया में भी प्रमुखता से दिखाई दे रही हैं। एआइएमआइएम प्रमुख असद्दुद्दीन ओवैसी के छोटे भाई, अकबरुद्दीन ओवैसी, जिन्हें आम बोलचाल में छोटे ओवैसी कहा जाता है, हाल ही में किशनगंज न्यायालय में पेश हुए।
छोटे ओवैसी की अदालत में पेशी और विवादित टिप्पणी
छोटे ओवैसी पर यह मामला 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अमर्यादित और आपत्तिजनक टिप्पणी करने का है। उस समय की टिप्पणी की शिकायत तत्कालीन बीडीओ द्वारा दर्ज कराई गई थी। गुरुवार को किशनगंज न्यायालय में पेश होकर उन्होंने अपनी बात अदालत के समक्ष रखी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला चुनावी माहौल को और गर्मा सकता है क्योंकि छोटे ओवैसी कई बार अपने विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में रहे हैं।
अकबरुद्दीन ओवैसी की अदालत में पेशी से स्थानीय राजनीतिक दलों में हलचल मची हुई है। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि एआइएमआइएम इस मामले का चुनावी लाभ लेने की कोशिश कर सकती है। वहीं भाजपा और अन्य राष्ट्रीय दल इस मुद्दे को विपक्ष पर दबाव बनाने का जरिया मान रहे हैं।
भाजपा का रणनीतिक फैसला और कोचाधामन सीट
किशनगंज के कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने इस बार टिकट देने में रणनीतिक कदम उठाया है। पार्टी ने टिकट सामान्य कार्यकर्ता वीणा देवी को दिया है। वीणा देवी पार्टी की मंडल अध्यक्ष हैं और उनके पति लुधियाना में सिलाई-कटाई का कार्य करते हैं। वे राजवंशी समाज से आती हैं।
कोचाधामन क्षेत्र में हिंदू समुदाय में राजवंशी समाज की आबादी अधिक है। भाजपा का मानना है कि वीणा देवी को टिकट देने से पार्टी को इस समुदाय का वोट बैंक मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। इससे न केवल कोचाधामन बल्कि जिले की अन्य विधानसभा सीटों पर भी एनडीए को लाभ होने की उम्मीद जताई जा रही है।
चुनावी हलचलों के बीच सुरक्षा और प्रशासन
छोटे ओवैसी के मामले और भाजपा के टिकट फैसले के बीच किशनगंज जिला प्रशासन सतर्क है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी पूरे जिले में चुनावी माहौल को शांत बनाए रखने के लिए विशेष उपाय कर रहे हैं। मतदान केंद्रों पर सुरक्षा बढ़ाई जा रही है और चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जा रहा है।
विश्लेषकों के अनुसार, इस बार बिहार चुनाव में किशनगंज जिला और उसके आसपास के क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। छोटे ओवैसी की अदालत में पेशी और भाजपा के रणनीतिक कदम दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए परीक्षण की तरह हैं।
कुल मिलाकर, बिहार चुनाव 2025 के मद्देनजर किशनगंज जिले की राजनीतिक परिदृश्य में कई परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। छोटे ओवैसी की अदालत में पेशी, भाजपा का सामाजिक समीकरणों के अनुसार टिकट वितरण और स्थानीय प्रशासन की तैयारियाँ, ये सभी घटनाएं चुनावी माहौल को और रोचक बना रही हैं। आने वाले दिनों में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, इन मुद्दों पर राजनीतिक बयानबाज़ी और मीडिया कवरेज भी बढ़ने की संभावना है।