भारत-श्रीलंका के रिश्तों में नई गर्माहट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरीनी अमरासूरिया का स्वागत किया। दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक में शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, नवाचार, विकास सहयोग और मछुआरों के कल्याण से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
क्षेत्रीय सहयोग पर जोर
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और श्रीलंका न केवल पड़ोसी देश हैं, बल्कि साझा संस्कृति, इतिहास और आर्थिक हितों के माध्यम से गहराई से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग से न केवल आपसी समृद्धि बढ़ेगी बल्कि दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय स्थायित्व को भी मजबूती मिलेगी।
“हमारे सहयोग का महत्व केवल सीमाओं तक सीमित नहीं है, यह दोनों देशों की जनता की भलाई और क्षेत्रीय विकास की दिशा में एक कदम है,” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा।
महिलाओं और शिक्षा के क्षेत्र में साझेदारी
दोनों देशों ने शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में नई पहल की संभावनाओं पर भी चर्चा की। पीएम मोदी ने श्रीलंका की प्रधानमंत्री को भारत के डिजिटल शिक्षा कार्यक्रमों और ‘स्किल इंडिया मिशन’ की जानकारी दी। वहीं, श्रीलंका ने भी महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने में भारत के अनुभव को सराहा।
हरीनी अमरासूरिया ने कहा कि शिक्षा और कौशल विकास में भारत के प्रयास पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के बीच अनुसंधान और छात्र विनिमय कार्यक्रम को और मजबूत करने की इच्छा जताई।
मछुआरों की समस्याओं पर भी हुआ विचार-विमर्श
बैठक में मछुआरों से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा हुई, जो दोनों देशों के तटीय इलाकों में लंबे समय से चिंता का विषय रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारत मछुआरों की सुरक्षा और उनके हितों के प्रति प्रतिबद्ध है, और इस दिशा में संयुक्त कार्य योजना बनाई जा रही है।
हरीनी अमरासूरिया ने भी श्रीलंकाई मछुआरों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए भारत से तकनीकी सहयोग की मांग रखी। दोनों देशों ने सहमति जताई कि इस क्षेत्र में स्थायी समाधान के लिए मानवीय और व्यावहारिक दृष्टिकोण आवश्यक है।
नवाचार और विकास सहयोग
वार्ता के दौरान नवाचार, टेक्नोलॉजी एक्सचेंज और स्टार्टअप सहयोग को लेकर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत “मेक इन इंडिया” और “डिजिटल इंडिया” जैसे अभियानों के माध्यम से क्षेत्रीय विकास में योगदान देना चाहता है।
हरीनी अमरासूरिया ने भारत की प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि श्रीलंका भी भारत के साथ साझेदारी में उभरते तकनीकी क्षेत्रों में निवेश और सहयोग को आगे बढ़ाना चाहता है।
विपक्षी प्रतिक्रियाएं भी आईं सामने
जहां एक ओर यह बैठक भारत-श्रीलंका संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में देखी जा रही है, वहीं सोशल मीडिया पर इस मुलाकात को लेकर कुछ आलोचनात्मक स्वर भी सुनाई दिए।
एक उपयोगकर्ता ने ट्वीट किया,
“Great to see foreign leaders being welcomed, PM. But when will you talk to our own fishermen and farmers who are still struggling to stay afloat in the rising tides of inflation?”
यह ट्वीट संकेत देता है कि देश के भीतर किसान और मछुआरा समुदाय सरकार से सीधी बातचीत की अपेक्षा रखता है।
भारत-श्रीलंका संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत और श्रीलंका के बीच संबंध सदियों पुराने हैं। दोनों देशों ने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्तर पर हमेशा घनिष्ठता बनाए रखी है। हाल के वर्षों में व्यापार, सुरक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग और भी मजबूत हुआ है।
दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि निकट भविष्य में उच्चस्तरीय बैठकों के माध्यम से सहयोग के नए आयाम जोड़े जाएंगे।