नियमितता और अनुशासन पर सीबीएसई का बड़ा फैसला
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने देशभर के विद्यालयों में अनुशासन और नियमित उपस्थिति सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। अब से केवल वे छात्र ही 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल हो सकेंगे जो नियमित रूप से विद्यालय में उपस्थित रहते हैं। इस निर्णय के तहत बोर्ड ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी विद्यार्थी की न्यूनतम उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिए।
विद्यालयों को मिले कड़े निर्देश
सीबीएसई ने अपने ताज़ा परिपत्र में सभी संबद्ध विद्यालयों को निर्देशित किया है कि वे समय रहते विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को इस नए नियम की जानकारी दें। बोर्ड ने यह भी कहा है कि विद्यालयों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उपस्थिति पंजिका (रजिस्टर) प्रतिदिन अद्यतन की जाए और उस पर संबंधित कक्षा शिक्षक एवं प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर अनिवार्य हों।
साथ ही, विद्यालयों से यह अपेक्षा की गई है कि उपस्थिति संबंधी रजिस्टर बोर्ड निरीक्षण के लिए हमेशा उपलब्ध रखे जाएं। किसी भी प्रकार की लापरवाही या उपस्थिति में हेराफेरी पाए जाने पर विद्यालय की मान्यता तक रद्द की जा सकती है।
डमी परीक्षार्थियों पर रोक लगाने की तैयारी
सीबीएसई ने स्पष्ट किया है कि इस सख्ती का मुख्य उद्देश्य “डमी परीक्षार्थियों” की समस्या को समाप्त करना है। बोर्ड के अनुसार, कई बार कुछ विद्यालय ऐसे छात्रों को परीक्षा में शामिल कर लेते हैं जो वास्तव में नियमित रूप से विद्यालय नहीं आते। यह प्रथा न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करती है बल्कि ईमानदार विद्यार्थियों के हितों को भी नुकसान पहुंचाती है।
इसीलिए, बोर्ड ने चेतावनी दी है कि यदि किसी विद्यालय में उपस्थिति रजिस्टर अधूरा पाया गया या विद्यार्थियों की उपस्थिति असंतोषजनक रही, तो ऐसे छात्रों को डमी परीक्षार्थी माना जाएगा और उन्हें परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा।
विशेष परिस्थितियों में मिलेगी छूट
बोर्ड ने यह भी स्पष्ट किया है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में ही उपस्थिति के मानक में छूट दी जा सकती है। इनमें दीर्घकालिक बीमारी, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिता में भागीदारी, या किसी अन्य प्रमाणित कारण को शामिल किया गया है।
इन स्थितियों में विद्यार्थियों को समय रहते सभी प्रमाणपत्र एवं चिकित्सकीय दस्तावेज विद्यालय में प्रस्तुत करने होंगे। बिना अनुमति ली गई छुट्टियों को “अनधिकृत अनुपस्थिति” के रूप में दर्ज किया जाएगा और ऐसी अनुपस्थिति पर कोई छूट नहीं दी जाएगी।
विद्यालयों को संवाद रिकॉर्ड रखने का निर्देश
सीबीएसई ने विद्यालयों को यह भी अनिवार्य किया है कि वे उन विद्यार्थियों के अभिभावकों को लिखित रूप से सूचित करें जिनकी उपस्थिति कम है। यह सूचना पंजीकृत डाक या ईमेल के माध्यम से भेजी जानी चाहिए।
साथ ही, विद्यालयों को इस संवाद का रिकॉर्ड सुरक्षित रखना होगा ताकि भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। बोर्ड ने कहा है कि यह कदम विद्यार्थियों और अभिभावकों दोनों को नियमितता और जिम्मेदारी के प्रति जागरूक करेगा।
शिक्षा में अनुशासन और जवाबदेही का नया अध्याय
सीबीएसई के इस फैसले को शिक्षा विशेषज्ञ एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं। उनका मानना है कि इससे विद्यार्थियों में न केवल अनुशासन की भावना बढ़ेगी बल्कि शिक्षा के प्रति गंभीरता भी आएगी।
गोरखपुर सीबीएसई सिटी कोऑर्डिनेटर अजित दीक्षित ने कहा कि “यह निर्णय विद्यार्थियों में अध्ययन की निरंतरता बनाए रखने और परीक्षा में केवल योग्य छात्रों को शामिल करने के उद्देश्य से लिया गया है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि विद्यालयों की जिम्मेदारी है कि वे विद्यार्थियों की उपस्थिति को नियमित रूप से मॉनिटर करें और यदि कोई छात्र बार-बार अनुपस्थित रहता है, तो तुरंत अभिभावकों से संवाद स्थापित करें।
शिक्षा में गुणवत्ता और अनुशासन की दिशा में ठोस कदम
सीबीएसई बोर्ड का यह नया नियम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और गुणवत्ता को मजबूत करेगा। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि बोर्ड परीक्षा केवल उन्हीं छात्रों के लिए हो जो वास्तव में पढ़ाई में संलग्न और अनुशासित हैं।
इस सख्ती से न केवल विद्यार्थियों में जिम्मेदारी की भावना बढ़ेगी, बल्कि विद्यालयों को भी अपनी प्रशासनिक प्रक्रिया को अधिक सुदृढ़ और पारदर्शी बनाना होगा।