भारतीय रेल में नया बदलाव: एसी कोचों में अब पारंपरिक सांगानेरी प्रिंट की रंगीन चादरें
भारतीय रेलवे लगातार अपने यात्रियों के सफर को और अधिक आरामदायक एवं आकर्षक बनाने की दिशा में कदम उठा रहा है। अब रेलवे ने एसी कोचों में इस्तेमाल होने वाली पारंपरिक सफेद चादरों को बदलने का फैसला किया है। यात्रियों को अब जयपुर की प्रसिद्ध सांगानेरी प्रिंट वाली रंगीन चादरें मिलेंगी। यह बदलाव यात्रियों के अनुभव को और भी जीवंत एवं सांस्कृतिक बनाएगा।
जयपुर से शुरू हुआ पायलट प्रोजेक्ट
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जयपुर में इन नई चादरों का अनावरण किया। यह पहल फिलहाल एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जयपुर-असरवा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में लागू की गई है। इस ट्रेन के कुछ कोचों में इन रंगीन सांगानेरी प्रिंट चादरों का प्रयोग शुरू हो गया है। यदि यह प्रयोग सफल साबित होता है, तो आने वाले समय में इसे अन्य ट्रेनों में भी लागू किया जाएगा।
रेल मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय रेलवे यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है। स्वच्छता, सुंदरता और स्थानीय संस्कृति के समावेश पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
सफेद से रंगीन यात्रा: क्यों जरूरी था यह बदलाव?
अब तक एसी कोचों में यात्रियों को सफेद रंग की प्लेन चादरें दी जाती थीं। यात्रियों की शिकायत रहती थी कि ये चादरें जल्दी गंदी हो जाती हैं और इनमें सफाई की कमी दिखती है।
नए प्रयोग में लाई जा रही सांगानेरी प्रिंट वाली चादरें न सिर्फ टिकाऊ हैं बल्कि इन्हें धोना और साफ रखना भी आसान है।
इस बदलाव से न केवल यात्रियों को आकर्षक अनुभव मिलेगा, बल्कि स्वच्छता संबंधी शिकायतों में भी कमी आएगी।
सांगानेरी प्रिंट की परंपरा और विशेषता
राजस्थान के सांगानेर क्षेत्र में तैयार की जाने वाली सांगानेरी प्रिंट भारतीय हस्तकला की प्राचीन विधा है। यह प्रिंट अपने बारीक डिजाइन, फूल-पत्तियों के पैटर्न और चमकीले रंगों के लिए जानी जाती है।
यह तकनीक हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग से तैयार की जाती है, जो पूरी तरह पारंपरिक और पर्यावरण के अनुकूल होती है। सांगानेरी प्रिंट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह लंबे समय तक नई जैसी बनी रहती है और इसका रंग आसानी से नहीं उड़ता।
स्थानीय कलाकारों को मिलेगा रोजगार का अवसर
इस पहल का एक बड़ा लाभ यह भी है कि इससे राजस्थान के स्थानीय कारीगरों और हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग उद्योग को नई पहचान मिलेगी।
रेलवे की इस योजना के तहत सांगानेर और आस-पास के क्षेत्रों में बने उत्पादों की मांग बढ़ेगी।
यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करेगा और भारतीय हस्तशिल्प को राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहन देगा।
यात्रियों के अनुभव में आएगा नया बदलाव
रेलवे के इस कदम से न केवल यात्रियों को ताजगी भरा अनुभव मिलेगा बल्कि भारतीय संस्कृति की झलक भी यात्रा के हर पल में महसूस होगी।
रंगीन सांगानेरी चादरों से सजे कोच न केवल देखने में सुंदर लगेंगे बल्कि स्वच्छता और गुणवत्ता के नए मानक भी तय करेंगे।
आगे की राह
रेलवे मंत्रालय का कहना है कि यदि जयपुर-असरवा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में यह प्रयोग सफल रहा, तो इसे देशभर की एसी ट्रेनों में लागू किया जाएगा।
इससे भारतीय रेलवे की पहचान एक आधुनिक, स्वच्छ और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध यात्रा सेवा के रूप में और मजबूत होगी।
निष्कर्ष
भारतीय रेलवे का यह कदम न केवल यात्रियों की सुविधा को बढ़ाएगा, बल्कि भारत की पारंपरिक कला को भी नई ऊंचाई देगा।
जहां एक ओर यात्रियों को आरामदायक और आकर्षक यात्रा का अनुभव मिलेगा, वहीं दूसरी ओर स्थानीय कारीगरों को आर्थिक मजबूती भी प्राप्त होगी।
यह कदम “मेक इन इंडिया” और “वोकल फॉर लोकल” के सिद्धांतों को धरातल पर उतारने की दिशा में एक सशक्त प्रयास है।