दीवाली के बाद दिल्ली पर छाया धुएं का बादल
दिवाली की रोशनी के बाद राजधानी दिल्ली पर घना धुआं छा गया है। पटाखों के इस्तेमाल ने एक बार फिर से दिल्ली की हवा को जहरीला बना दिया है। स्विस ग्रुप आईक्यूएयर (IQAir) की रिपोर्ट के अनुसार, दीवाली के अगले ही दिन दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन गया। मंगलवार को यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर 442 दर्ज किया गया, जो ‘खतरनाक’ श्रेणी में आता है।
सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में पटाखों की गूंज सुनाई दी। निर्धारित समय सीमा और ग्रीन पटाखों के नियमों को दरकिनार कर लोगों ने देर रात तक आतिशबाज़ी की, जिसका परिणाम यह हुआ कि हवा में धूल और धुएं का घनत्व बढ़ गया।
दिल्ली की हवा में कितना जहर घुला?
आईक्यूएयर की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली का PM 2.5 स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सालाना गाइडलाइन से 59 गुना अधिक पाया गया।
PM 2.5 एक बेहद सूक्ष्म कण होता है जिसका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। यह सीधे फेफड़ों में पहुंच जाता है और लंबे समय तक सांस लेने पर हृदय व श्वसन रोगों का खतरा बढ़ा देता है।
दिल्ली का यह स्तर बीजिंग, ढाका और लाहौर जैसे शहरों को भी पीछे छोड़ गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि दीवाली की रात से लेकर अगले दिन सुबह तक दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 कणों की सांद्रता 400 से 600 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गई।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश और जमीनी हकीकत
सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बजाय केवल ग्रीन पटाखों के सीमित उपयोग की अनुमति दी थी। अदालत ने यह भी तय किया था कि पटाखे केवल निश्चित समय सीमा के भीतर ही जलाए जा सकते हैं।
मगर वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग दिखी। सोशल मीडिया पर कई वीडियो सामने आए जिनमें देर रात तक आतिशबाजी होती दिखी। पुलिस प्रशासन के प्रयासों के बावजूद लोग नियमों का उल्लंघन करते नजर आए।
दिल्ली सरकार के प्रदूषण नियंत्रण उपाय जैसे रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ अभियान, ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) और एंटी-स्मॉग गन भी इस प्रदूषण की लहर को थाम नहीं सके।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की चेतावनी
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी दिल्ली की वायु गुणवत्ता को “बहुत खराब” श्रेणी में बताया है। बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली का औसत AQI 350 रहा।
CPCB के मानकों के अनुसार:
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0-50: अच्छा
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51-100: संतोषजनक
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101-200: मध्यम
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201-300: खराब
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301-400: बहुत खराब
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401-500: गंभीर
इस हिसाब से दिल्ली की वर्तमान स्थिति ‘बहुत खराब’ से भी आगे ‘खतरनाक’ स्तर को छू रही है।
आने वाले दिनों में राहत की उम्मीद नहीं
भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि आने वाले तीन से चार दिनों तक दिल्ली की वायु गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं होगा। मौसम में बदलाव और हवा की गति धीमी होने के कारण प्रदूषक तत्व ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं।
विभाग ने यह भी कहा है कि AQI स्तर 201 से 400 के बीच रहेगा, यानी हवा ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में ही बनी रहेगी।
जनस्वास्थ्य पर प्रभाव और विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्तर की हवा में रहना बच्चों, बुजुर्गों और हृदय या फेफड़ों के मरीजों के लिए अत्यंत खतरनाक है।
एम्स (AIIMS) के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा,
“ऐसी हवा में एक दिन रहना, सौ सिगरेट पीने के बराबर है। दिल्ली के नागरिकों को मास्क पहनना और घरों के अंदर एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करना चाहिए।”
क्या समाधान है इस प्रदूषण संकट का?
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में प्रदूषण को स्थायी रूप से कम करने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं जरूरी हैं। इसमें उद्योगों के उत्सर्जन पर नियंत्रण, वाहनों से निकलने वाले धुएं की सख्त निगरानी, और पराली जलाने के विकल्पों को बढ़ावा देना शामिल है।
साथ ही नागरिकों की जागरूकता भी आवश्यक है—क्योंकि हर वर्ष दीवाली के बाद यही कहानी दोहराई जाती है, और हवा पहले से अधिक जहरीली हो जाती है।