राजद प्रत्याशी की गिरफ्तारी और राजनीतिक हलचल
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच सासाराम विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रत्याशी सत्येंद्र साह की गिरफ्तारी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। झारखंड पुलिस ने 20 वर्ष पुराने एक मामले में साह को गिरफ्तार किया, जिसे राजद ने स्पष्ट रूप से राजनीतिक साजिश करार दिया है।
बीते 20 अक्टूबर को नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के तुरंत बाद सत्येंद्र साह को गैर जमानती वारंट के आधार पर हिरासत में लिया गया। इस कदम ने महागठबंधन के भीतर पहले से ही व्याप्त तनाव को और बढ़ा दिया।
गठबंधन में उभरे मतभेद
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने इस घटनाक्रम के बाद महागठबंधन से दूरी बनाते हुए नाराजगी जताई। झामुमो के वरिष्ठ नेता सुदिव्य कुमार ने राजद और कांग्रेस पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा कि छह सीटों पर हमारा दावा था, लेकिन हमें नजरअंदाज किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी झारखंड में गठबंधन की समीक्षा करेगी।
गठबंधन के भीतर मतभेद का कारण सीटों का बंटवारा और राजनीतिक हितों का टकराव बताया जा रहा है। चकाई, धमदाहा, कटोरिया, मनिहारी, जमुई और पीरपैंती जैसी सीटों पर झामुमो के उम्मीदवारों की घोषणा के बावजूद पार्टी ने पीछे हटने का निर्णय लिया। इस कदम से महागठबंधन के भीतर तनाव और बढ़ गया।
चुनावी प्रक्रिया और पुलिस कार्रवाई
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार सत्येंद्र साह के खिलाफ लूट, डकैती और आर्म्स एक्ट के उल्लंघन से जुड़े कई मामले दर्ज हैं। हालांकि, राजद इसे राजनीतिक रूप से लक्षित कार्रवाई मान रहा है। नामांकन पत्र दाखिल करने के ठीक बाद गिरफ्तारी ने चुनावी रणनीति और गठबंधन की समीकरण को प्रभावित किया है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह गिरफ्तारी केवल सासाराम क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पूरे बिहार विधानसभा चुनाव के राजनीतिक माहौल पर प्रभाव डालेगी।
गठबंधन समीक्षा की संभावना
घाटशिला विधानसभा उपचुनाव के अनुभव और सासाराम घटना के बाद झामुमो के भीतर गठबंधन समीक्षा को लेकर दबाव बढ़ गया है। राजद ने जहां संतुलित प्रतिक्रिया देते हुए झामुमो अध्यक्ष हेमंत सोरेन की सराहना की है, वहीं कांग्रेस के नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। उनका कहना है कि इस प्रकार के निर्णय आलाकमान के स्तर से लिए जाते हैं और प्रदेश स्तर पर प्रतिक्रिया देना उचित नहीं है।
विश्लेषकों का मानना है कि आगामी चुनाव में महागठबंधन की रणनीति, सीटों का बंटवारा और प्रत्याशियों के चयन पर इस घटना का प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, गठबंधन की मजबूती और विश्वास बनाए रखना इस समय सबसे बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है।
भविष्य की राजनीतिक संभावनाएँ
सत्येंद्र साह की गिरफ्तारी और इसके बाद गठबंधन में पैदा हुई खटास से बिहार की राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ सकती है। राजद और झामुमो दोनों को अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ेगा। यदि गठबंधन मजबूत नहीं रहा तो आगामी चुनाव में इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
सियासत के जानकार मानते हैं कि यह घटना केवल एक उम्मीदवार की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि महागठबंधन और विपक्ष के बीच नए समीकरणों और समीक्षाओं का मार्ग प्रशस्त करेगी।
इस प्रकार, बिहार विधानसभा चुनाव के बीच सासाराम क्षेत्र में हुई यह घटना राजनीतिक तापमान को और उभारने वाली है और आने वाले दिनों में इसका असर पूरी चुनावी रणनीति पर दिखाई देगा।