सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र, जो लखीसराय जिले में स्थित है, इस बार 2025 के विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष के लिए तैयार है। राजद का गढ़ माना जाने वाला यह क्षेत्र, अब NDA और निर्दलीय उम्मीदवारों के प्रयासों से राजनीतिक गर्मी का केंद्र बन चुका है। पिछले चुनावों के आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि इस सीट पर परिणाम किसी भी पार्टी के पक्ष में पलट सकते हैं।
RJD का दबदबा और युवा नेतृत्व
पिछले चुनाव में प्रह्लाद यादव ने RJD की झोली में बड़ी संख्या में मत डाले थे। 2020 में उन्होंने 62306 मत प्राप्त किए थे, जबकि उनके प्रतिद्वंदी जदयू के रामानंद मंडल को 52717 वोट मिले थे। इस बार प्रह्लाद यादव मैदान में नहीं हैं। राजद ने सूर्यगढ़ा में युवा नेतृत्व के रूप में प्रेम सागर चौधरी को टिकट दिया है। उनका उद्देश्य न केवल RJD की पकड़ को बरकरार रखना है बल्कि युवा मतदाताओं को भी जोड़ना है।
NDA की चुनौती और रामानंद मंडल का संघर्ष
एनडीए ने इस सीट पर जदयू जिलाध्यक्ष रामानंद मंडल को तीसरी बार मैदान में उतारा है। 2015 में उन्हें भाजपा के विजय कुमार सिन्हा से हार का सामना करना पड़ा था। 2020 में रामानंद मंडल को सूर्यगढ़ा विस सीट से उतारा गया था, लेकिन उन्हें RJD के प्रह्लाद यादव से हार मिली। इस बार NDA की कोशिश है कि रामानंद मंडल सूर्यगढ़ा पर NDA का झंडा फिर से लहराएं।
निर्दलीय उम्मीदवार का महत्व
त्रिकोणीय मुकाबले में निर्दलीय उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद सिंह उर्फ अशोक सिंह की भूमिका भी अहम है। 2020 में उन्होंने 44797 वोट हासिल किए थे और इस बार भी वे मैदान में हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उनका वोट शेयर किसी भी मुख्य दल के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
मतदाता व्यवहार और चुनावी रणनीति
सूर्यगढ़ा के मतदाता पिछले चुनावों में विभाजित रहे हैं। इस बार युवा मतदाता और पिछले अनुभवों के आधार पर उनकी पसंद निर्णायक हो सकती है। राजद ने युवा चेहरे को लाकर न केवल पुराने समर्थकों को जोड़ने का प्रयास किया है, बल्कि नए मतदाताओं को भी आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है। NDA की रणनीति है कि रामानंद मंडल का अनुभव और संगठन क्षमता वोटरों को प्रभावित करे।
पूर्व परिणाम और भविष्य की संभावनाएँ
पिछले चुनावों के आंकड़े देखें तो RJD के पास मजबूत पकड़ है, लेकिन NDA और निर्दलीय उम्मीदवारों के वोट बंटवारे के कारण परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं। 2025 में सूर्यगढ़ा विधानसभा सीट की लड़ाई न केवल राजनैतिक समीकरणों को बदल सकती है, बल्कि लखीसराय जिले की राजनीति में भी नई दिशा दे सकती है।
सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र की त्रिकोणीय जंग 2025 में रोचक साबित होने वाली है। RJD का किला मजबूत है, NDA पूरी ताकत झोंक रहा है और निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी खेल में नया मोड़ ला सकते हैं। इस बार परिणाम स्पष्ट करेगा कि क्या सूर्यगढ़ा NDA के पाले में आता है या RJD का दबदबा बरकरार रहता है।