बिहार में चुनावी माहौल और जन सुराज पार्टी की स्थिति
बिहार में चुनावी जंग अपने चरम पर पहुँच चुकी है। पश्चिमी चंपारण में जन सुराज पार्टी के सुप्रीमो प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को जनसभा को संबोधित किया और राज्य में राजनीतिक हालात पर गंभीर टिप्पणियाँ की। पीके ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए बिहार के राजनीतिक परिदृश्य की नई तस्वीर सामने रखी।
उम्मीदवारों पर लूट के आरोप
प्रशांत किशोर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पहले बिहार में बूथ लूटने की घटनाएँ होती थीं, अब केंद्र की प्रमुख पार्टी के नेता उम्मीदवारों को ‘लूटने’ लगे हैं। उन्होंने बताया कि जन सुराज के 3-4 उम्मीदवारों के साथ ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हुईं कि उन्हें गोपालगंज में सूद समेत वापस कर दिया गया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले का अंतिम निर्णय बिहार की जनता करेगी।
गोपालगंज में जन समर्थन
गोपालगंज जिले में जन सुराज पार्टी ने निर्दलीय उम्मीदवार अनूप श्रीवास्तव को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। यह कदम पार्टी के चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। प्रशांत किशोर ने कहा कि जनता इस सबकुछ देख रही है और उन्हें यह तय करना है कि बिहार का भविष्य किस दिशा में जाएगा।
दिल्ली में बैठे ‘गुजराती’ और बिहार का भविष्य
पीके ने केंद्र की नीतियों पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि कुछ ‘गुजराती’ दिल्ली में बैठकर बिहार का भविष्य तय कर रहे हैं। उनके अनुसार बिहार के मजदूर और बच्चे मेहनत और मजदूरी के लिए मजबूर हैं, जबकि अन्य राज्यों के लोग इस श्रम का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने यह आरोप लगाया कि बिहार में विकास और रोजगार के बजाय, मजदूरों की श्रमशक्ति का दोहन किया जा रहा है।
पीएम मोदी पर वादे न निभाने का आरोप
प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पीएम ने छठ पूजा के अवसर पर बिहार के लिए 12000 ट्रेनें चलाने का वादा किया था, लेकिन हालात आज भी जस के तस हैं। बिहार के लोग देश भर के रेलवे स्टेशनों पर संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें सुविधाओं के अभाव में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
भाजपा पर चुनावी दबाव के आरोप
पीके ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि दानापुर, गोपालगंज और ब्रह्मपुर सीटों पर पार्टी ने जन सुराज के उम्मीदवारों पर दबाव डालकर उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने की कोशिश की। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान समेत अन्य भाजपा नेता भी इस साजिश में शामिल थे।
बिहार की राजनीति में इस तरह की बयानबाजी चुनावी माहौल को और भी गर्म कर रही है। प्रशांत किशोर के आरोप और भाजपा व केंद्र सरकार पर निशाना साधने से राज्य की जनता और राजनीतिक दलों के बीच चर्चा का केंद्र बन गई है। आने वाले समय में चुनावी रणनीतियाँ और गठबंधन तय करेंगे कि बिहार की राजनीति में इस तरह की घटनाओं का क्या परिणाम होगा।