मुंबई उड़ान में मराठी भाषा को लेकर नया विवाद
महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर विवाद का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना कोलकाता से मुंबई जा रही एयर इंडिया की उड़ान में सामने आई। यहां एक महिला ने यात्री को केवल इसलिए मराठी में बात करने के लिए बाध्य किया क्योंकि वह मराठी बोल नहीं सकता था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस घटना ने न केवल यात्रियों में चिंता पैदा की है, बल्कि सामाजिक और भाषाई समरसता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। महाराष्ट्र के स्थानीय लोग अक्सर राज्य के बाहर से आने वालों को मराठी बोलने के लिए प्रेरित करते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह दबाव हिंसक रूप ले लेता है।
घटना का विवरण
घटना 23 अक्टूबर, शुक्रवार की सुबह हुई। कोलकाता से मुंबई जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI676 में यात्रा कर रहे माही खान नामक युवक के अनुसार, जब उन्होंने अपनी सीट थोड़ी पीछे झुकाई, तब उनके पीछे बैठी महिला की बोतल गिर गई। महिला ने इस घटना के तुरंत बाद माही खान से मराठी में बात करने के लिए कहा।
माही खान ने विनम्रता से जवाब दिया कि उन्हें मराठी नहीं आती। इसके बाद महिला भड़क गई और कहा, “आप मुंबई जा रहे हैं, तो मराठी आनी चाहिए।” घटना के दौरान माही खान ने विमान चालक दल से सहायता मांगी, लेकिन उन्हें पर्याप्त मदद नहीं मिली।
पीड़ित यात्री का अनुभव
माही खान पिछले चार सालों से मुंबई में रह रहे हैं और आमतौर पर हिंदी या अंग्रेजी में ही संवाद करते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी घटना का वीडियो साझा किया। वीडियो में उन्होंने बताया कि वह कई बार मराठी सीखने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन अब भी उन्हें पूरी तरह से नहीं आती।
उन्होंने कहा, “यदि आप किसी से अपनी क्षेत्रीय भाषा सीखने के लिए कह रहे हैं, तो वह संदेश हमेशा सम्मानजनक और सौम्य होना चाहिए। जब लोग अपनी भाषा को थोपने का प्रयास करेंगे, तो इसका प्रभाव नकारात्मक होगा।”
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एयरलाइन की प्रतिक्रिया और सामाजिक सवाल
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एयर इंडिया ने अभी तक किसी भी यात्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। हालांकि इस घटना ने सामाजिक स्तर पर अनेकता और एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
माही खान ने बताया कि महिला ने उन्हें विमान में धमकी दी कि मुंबई पहुंचने के बाद वह “दुर्व्यवहार का अर्थ समझाएगी”। यह घटना यह स्पष्ट करती है कि भाषाई विवाद अब केवल जमीन तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि वह हवाई यात्रा में भी प्रवेश कर चुके हैं।
विवाद का सामाजिक प्रभाव
इस घटना ने न केवल यात्री माही खान को मानसिक तनाव दिया, बल्कि पूरे समाज में भाषाई असहिष्णुता के प्रति चेतावनी भी दी। विशेषज्ञों का मानना है कि क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान होना चाहिए, लेकिन किसी व्यक्ति को किसी भाषा में बोलने के लिए बाध्य करना निंदनीय है।
भाषाई अधिकार और स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए, लोगों को अपने संवाद में लचीलापन रखना चाहिए। मराठी सीखना प्रशंसनीय है, लेकिन जब इसे दूसरों पर थोपने का प्रयास किया जाता है, तो सामाजिक असहिष्णुता की भावनाएं बढ़ती हैं।
मुंबई की यह घटना यह संदेश देती है कि भाषाई विवाद अब केवल स्थानीय मुद्दा नहीं रह गया है। यह राष्ट्रीय स्तर पर बहस का विषय बन गया है। आवश्यक है कि समाज में विविध भाषाओं के प्रति सम्मान और सहिष्णुता बनाए रखी जाए, ताकि हर नागरिक बिना डर और भय के अपने भाषा अधिकारों का प्रयोग कर सके।