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Bihar Assembly Elections: इंडिया गठबंधन का संकल्प, बिहार में वक्फ एक्ट लागू नहीं होगा, बौद्ध मंदिरों का प्रबंधन समुदाय को सौंपने का वादा

Bihar Election 2025 Waqf Act: बिहार चुनाव में इंडिया गठबंधन का बड़ा वादा, राज्य में वक्फ एक्ट लागू नहीं होगा | INDIA Bloc Manifesto
Bihar Election 2025 Waqf Act: बिहार चुनाव में इंडिया गठबंधन का बड़ा वादा, राज्य में वक्फ एक्ट लागू नहीं होगा | INDIA Bloc Manifesto (Photo: PTI)
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बिहार विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का घोषणा पत्र जारी – INDIA Bloc Manifesto

पटना, 28 अक्टूबर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मंगलवार को इंडिया गठबंधन ने अपना घोषणा पत्र जारी किया। इस घोषणा पत्र में गठबंधन ने राज्य में वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लागू न करने की घोषणा की है। साथ ही वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को “पारदर्शी, जनहितकारी और कल्याणकारी” बनाने का वादा किया गया है।

घोषणा पत्र में कहा गया है कि यदि गठबंधन की सरकार बनती है, तो राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जाएगी और बौद्ध धर्मस्थलों, विशेष रूप से बोधगया के मंदिरों का प्रबंधन बौद्ध समुदाय को सौंपा जाएगा।


वक्फ एक्ट को लेकर सियासी टकराव तेज

इंडिया गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने हाल ही में कहा था कि यदि उनकी सरकार बनती है तो “वक्फ (संशोधन) अधिनियम को कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा।” तेजस्वी के इस बयान ने बिहार की सियासत को और गर्मा दिया है।

Bihar Election 2025 Waqf Act: बिहार चुनाव में इंडिया गठबंधन का बड़ा वादा, राज्य में वक्फ एक्ट लागू नहीं होगा | INDIA Bloc Manifesto
Bihar Election 2025 Waqf Act: बिहार चुनाव में इंडिया गठबंधन का बड़ा वादा, राज्य में वक्फ एक्ट लागू नहीं होगा | INDIA Bloc Manifesto (Photo: PTI)

गौरतलब है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को अप्रैल में संसद से पारित किया गया था। केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने इस कानून को “पारदर्शिता और पिछड़े मुसलमानों व महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में कदम” बताया था, जबकि विपक्ष ने इसे अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों पर अतिक्रमण करार दिया था।


गठबंधन का वादा: वक्फ संपत्तियों का पारदर्शी और कल्याणकारी प्रबंधन

घोषणा पत्र में कहा गया है कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन अब तक “राजनीतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार” का शिकार रहा है। गठबंधन ने इस व्यवस्था को सुधारने और सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने का संकल्प जताया है।

घोषणा पत्र में लिखा है,

“वक्फ संपत्तियों का उपयोग समाज के कल्याण के लिए होना चाहिए, न कि किसी विशेष वर्ग या संगठन के हित में। हमारी सरकार इसे जनहित में पारदर्शी तरीके से संचालित करेगी।”


बोधगया के मंदिरों का प्रबंधन बौद्ध समुदाय को सौंपने का ऐलान

घोषणा पत्र में एक और महत्वपूर्ण घोषणा की गई है — बोधगया के मंदिरों का प्रबंधन बौद्ध समुदाय को सौंपा जाएगा। अभी इन मंदिरों का संचालन सरकार और अन्य संस्थाओं की संयुक्त व्यवस्था में होता है, जिसे लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है।

इंडिया गठबंधन का कहना है कि यह कदम धार्मिक स्वतंत्रता और समुदाय के आत्मसम्मान की दिशा में उठाया जाएगा।


विपक्ष का पलटवार: “राज्य सरकार केंद्र के कानून को नहीं रोक सकती”

विपक्षी एनडीए ने इस घोषणा को “राजनीतिक छलावा” बताया है। भाजपा नेताओं ने कहा है कि वक्फ अधिनियम एक केंद्रीय कानून है, जिसे कोई राज्य सरकार लागू होने से नहीं रोक सकती।

भाजपा प्रवक्ताओं ने आरजेडी एमएलसी मोहम्मद कारी सोहैब के हालिया बयान को भी याद दिलाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि “तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बने तो सभी बिल फाड़ दिए जाएंगे, वक्फ एक्ट समेत।” इस बयान पर भाजपा ने सवाल उठाया कि क्या कोई राज्य सरकार केंद्र के कानूनों को रद्द कर सकती है।


सीपीआई(एमएल) का समर्थन और सख्त रुख

सीपीआई(एमएल)-लिबरेशन के महासचिव दिपांकर भट्टाचार्य ने भी कहा कि बिहार में वक्फ एक्ट लागू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि यदि इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है, तो यह अधिनियम “जनविरोधी प्रावधानों” के कारण रद्द कर दिया जाएगा।


बिहार की सियासत में नया धार्मिक विमर्श

बिहार चुनाव के इस नए मुद्दे ने धार्मिक विमर्श को फिर से केंद्र में ला दिया है। एक ओर भाजपा “वक्फ एक्ट को पारदर्शिता की दिशा में कदम” बता रही है, तो दूसरी ओर इंडिया गठबंधन इसे “अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला” करार दे रहा है।

विश्लेषकों का मानना है कि इस मुद्दे पर बिहार के मुस्लिम और बौद्ध मतदाता समूहों में व्यापक असर देखने को मिल सकता है, जिससे चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव संभव है।


इंडिया गठबंधन का यह घोषणा पत्र बिहार चुनाव 2025 में अल्पसंख्यक और धार्मिक अधिकारों को केंद्र में लाने की कोशिश है। वक्फ एक्ट को रोकने और बोधगया मंदिरों का प्रबंधन बौद्ध समुदाय को सौंपने का वादा राजनीतिक रूप से साहसिक माना जा रहा है। अब देखना यह है कि क्या जनता इन वादों को स्वीकार करती है या इसे चुनावी रणनीति मानकर नजरअंदाज करती है।


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Aryan Ambastha

राष्ट्रभारत डॉट कॉम में लेखक एवं विचारक | वित्त और उभरती तकनीकों में गहरी रुचि | राजनीति एवं समसामयिक मुद्दों के विश्लेषक | कंटेंट क्रिएटर | नालंदा विश्वविद्यालय से स्नातक।

प्रौद्योगिकी, वित्त, राजनीति और समाज के आपसी संबंधों को समझने और व्याख्या करने का विशेष कौशल रखते हैं। जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित और संतुलित दृष्टिकोण के साथ पाठकों तक पहुँचाना इनकी पहचान है। संपर्क: aryan.ambastha@rashtrabharat.com