नाग नदी की स्थिति पर सवाल
नागपुर की जीवनरेखा कही जाने वाली नाग नदी पर अब राजनीतिक और पर्यावरणीय चर्चा तेज हो गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने हाल में दावा किया कि नदी प्रदूषण मुक्त हो चुकी है। लेकिन महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस दावे को चुनौती दी है।
कांग्रेस की टीम ने नदी क्षेत्र का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया और जल की वास्तविक स्थिति को परखने के लिए विभिन्न स्थानों से पानी के नमूने एकत्र किए।
कांग्रेस का आरोप: नदी अब भी प्रदूषित
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कई स्थानों पर नदी का पानी अब भी बदबूदार और गंदा मिला। पार्टी ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दावा जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाता।
टीम का नेतृत्व महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव केतन विकास ठाकरे ने किया। ठाकरे ने कहा कि “हमारे निरीक्षण में कई स्थानों पर नदी में गंदा पानी बहता मिला, जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि नाग नदी अभी भी पूरी तरह साफ नहीं हुई है।”
जल नमूने भेजे जाएंगे केंद्र को
कांग्रेस ने घोषणा की है कि एकत्र किए गए सभी जल नमूने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को भेजे जाएंगे। उद्देश्य यह है कि केंद्र सरकार और जनता के सामने वास्तविक स्थिति रखी जा सके।
ठाकरे ने कहा कि “हम चाहते हैं कि केंद्र सच्चाई जाने और यदि नदी में प्रदूषण अब भी है, तो तत्काल शुद्धिकरण की प्रक्रिया शुरू की जाए।”
राजनीति नहीं, पर्यावरण की बात
कांग्रेस का दावा है कि उसका उद्देश्य राजनीति नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा है।
नेताओं का कहना है कि नाग नदी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है, और इसका प्रदूषित रहना शहर की पहचान पर दाग है।
नागरिकों में बढ़ी चिंता
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नदी के किनारे से अब भी बदबू आती है और कई हिस्सों में नालों का पानी सीधे नदी में गिरता है।
नागपुर निवासी राकेश यादव ने कहा, “हम रोज इस गंदे पानी को देखते हैं। प्रशासन को सिर्फ कागज पर सफाई नहीं करनी चाहिए।”
सरकार से ठोस कदम की मांग
कांग्रेस ने राज्य और केंद्र सरकार से अपील की है कि नाग नदी के वास्तविक शुद्धिकरण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
पार्टी ने सुझाव दिया कि नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर एक स्वतंत्र जांच कराई जाए।
पर्यावरणविदों की प्रतिक्रिया
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि अगर नाग नदी वास्तव में साफ हुई है, तो उसके प्रमाण सार्वजनिक किए जाने चाहिए।
पर्यावरणविद् संदीप कुलकर्णी ने कहा, “यदि नदी प्रदूषण मुक्त हुई है, तो यह स्वागत योग्य है, लेकिन पारदर्शिता जरूरी है। जनता को साफ आंकड़े और परीक्षण परिणाम दिखाए जाएं।”
नाग नदी का महत्व
नाग नदी नागपुर की ऐतिहासिक पहचान से जुड़ी है। शहर का नाम भी इसी नदी पर पड़ा।
सालों से यह नदी घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट के कारण प्रदूषित रही है।
कई बार शुद्धिकरण योजनाएं बनीं, लेकिन असर सीमित रहा।
भविष्य की दिशा
कांग्रेस के अनुसार, इस बार उद्देश्य साफ है—वास्तविक डेटा और पारदर्शिता।
पार्टी चाहती है कि जल जांच के बाद रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए और जनता को बताया जाए कि नाग नदी वास्तव में कितनी स्वच्छ हुई है।