न्यायपालिका की भूमिका और उसकी सीमाएँ
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने बुधवार को महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एमएनएलयू) मुंबई में आयोजित एक समारोह में कहा कि न्यायपालिका की असली शक्ति जनता के विश्वास में निहित है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के पास कोई तलवार जैसी ताकत नहीं होती, बल्कि यह संविधान और कानूनों की व्याख्या के माध्यम से देश में न्याय स्थापित करती है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभ — विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका — मिलकर देश के नागरिकों के कल्याण के लिए काम करते हैं। कोई भी संस्था अपने आप में अलग या सर्वोच्च नहीं है, बल्कि सभी का उद्देश्य जनता की सेवा करना है।
न्यायपालिका के पास ‘तलवार’ नहीं, जनता का विश्वास है शक्ति
सीजेआई बीआर गवई ने कहा, “न्यायपालिका के पास न तो तलवार है और न ही बलपूर्वक कुछ लागू करने की शक्ति। हमारी ताकत जनता का भरोसा है, जो हमें कानून की व्याख्या और न्याय के पालन में मदद करता है।”
उन्होंने कहा कि जब तक कार्यपालिका का सहयोग न मिले, न्यायपालिका अपने बुनियादी ढांचे को मज़बूत नहीं कर सकती। इसलिए दोनों के बीच समन्वय आवश्यक है।
कानूनी शिक्षा में बुनियादी ढांचे की भूमिका
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि विधि शिक्षा अब केवल सिद्धांत नहीं रही, बल्कि इसमें व्यावहारिक प्रशिक्षण का भी महत्व बढ़ा है। उन्होंने कहा कि मजबूत कानूनी ढांचा और आधुनिक शिक्षा प्रणाली ही भविष्य के विधि विशेषज्ञ तैयार कर सकती है।
सीजेआई ने कहा कि महाराष्ट्र में न्यायपालिका को जो बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया गया है, वह देश में सर्वश्रेष्ठ में से एक है।
देवेंद्र फडणवीस की सराहना
सीजेआई गवई ने महाराष्ट्र सरकार और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे को लेकर सक्रियता दिखाई है।
उन्होंने कहा, “यह धारणा गलत है कि महाराष्ट्र सरकार न्यायिक ढांचे के मामले में पीछे है। वास्तव में, यह देश के सबसे विकसित राज्यों में से एक है जहाँ न्यायपालिका को पर्याप्त संसाधन और सहयोग मिल रहा है।”
विधि शिक्षा में आया बड़ा परिवर्तन
सीजेआई गवई ने कहा कि भारत में विधि शिक्षा तेजी से बदल रही है। उन्होंने कहा कि आज हमारे विश्वविद्यालयों का ढांचा विश्वस्तरीय है और यह परिवर्तन युवाओं को आधुनिक कानूनी प्रणाली से जोड़ रहा है।
उन्होंने डॉ. भीमराव आंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा, “एक वकील केवल कानून का जानकार नहीं होता, बल्कि वह एक सामाजिक इंजीनियर होता है जो समाज में समानता और न्याय की स्थापना में भूमिका निभाता है।”
मुख्यमंत्री फडणवीस की दृष्टि
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र शिक्षा और न्याय के क्षेत्र में निरंतर अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य में तीन राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय संचालित हैं, और एमएनएलयू जल्द ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करेगा।
फडणवीस ने कहा कि नवी मुंबई में स्थापित होने जा रहे “एडुसिटी” में विश्व के शीर्ष 12 विश्वविद्यालयों में से सात आने वाले तीन वर्षों में अपने कैंपस स्थापित करेंगे।
न्यायपालिका और लोकतंत्र का संबंध
मुख्य न्यायाधीश गवई ने अंत में कहा कि लोकतंत्र तभी सशक्त होगा जब न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की ताकत किसी आदेश या दंड में नहीं, बल्कि जनता के अटूट विश्वास में है।
“यदि जनता का विश्वास न्यायपालिका से उठ गया, तो लोकतंत्र की नींव हिल जाएगी,” उन्होंने कहा।