Nirmala Sitharaman on F&O: फ्यूचर्स और ऑप्शंस पर सरकार की मंशा स्पष्ट
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हालिया विवादों के बीच फ्यूचर्स और ऑप्शंस (Futures and Options) ट्रेडिंग को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार का उद्देश्य प्रतिबंध लगाना नहीं बल्कि निवेश माहौल को मजबूत करना है। मुंबई में आयोजित 12वें SBI बैंकिंग और इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव 2025 के दौरान उन्होंने कहा कि “सरकार यहां किसी चीज़ पर रोक लगाने के लिए नहीं, बल्कि सुधार लाने और रुकावटें दूर करने के लिए है।”
उन्होंने कहा कि फ्यूचर्स और ऑप्शंस मार्केट में निवेश करने वालों को इसके जोखिमों की सही समझ होनी चाहिए। निवेशक स्वयं अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग रहें, यह बाजार की स्थिरता के लिए आवश्यक है।
निवेशकों को जोखिमों की समझ जरूरी
सीतारमण ने कहा कि सरकार की भूमिका केवल नीति निर्धारण और बाजार में स्थिरता लाने की है। उन्होंने कहा, “निवेशकों को यह जानना चाहिए कि फ्यूचर्स और ऑप्शंस जैसे उपकरण उच्च जोखिम वाले होते हैं, और इसमें लाभ के साथ नुकसान की संभावना भी उतनी ही होती है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस क्षेत्र में निवेशकों की जागरूकता बढ़ाने के लिए कई संस्थागत पहल की जा रही हैं, ताकि कोई भी व्यक्ति बिना समझ के इसमें निवेश न करे।
सेबी चेयरमैन का भी समान रुख
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के चेयरपर्सन तुहिन कांता पांडे ने भी पिछले सप्ताह कहा था कि वीकली F&O एक्सपायरी को अचानक बंद नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि “कई मार्केट पार्टिसिपेंट्स इन वीकली एक्सपायरी पर निर्भर हैं और इसे खत्म करना व्यावहारिक नहीं होगा।”
पांडे ने यह भी बताया कि छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए सेबी लगातार डेटा एनालिसिस कर रहा है, ताकि अत्यधिक जोखिम लेने की प्रवृत्ति को नियंत्रित किया जा सके।
सरकार का लक्ष्य– सुधार, रोक नहीं
वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि सरकार का काम बाजार की पारदर्शिता और स्थायित्व को बढ़ाना है, न कि किसी प्रकार की रोक लगाना। उन्होंने कहा कि “हम रुकावटों को दूर करने और प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए हैं। सरकार हर उस नीति पर काम करेगी जो निवेशकों के हितों की रक्षा करती है।”
उन्होंने इस अवसर पर बैंकिंग सेक्टर के सुधारों का भी उल्लेख किया और कहा कि सरकार अब बड़े और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने वाले बैंकों की स्थापना पर विचार कर रही है।
देश को विश्वस्तरीय बैंकों की आवश्यकता
Nirmala Sitharaman on F&O: सीतारमण ने कहा कि भारत को अब “वर्ल्ड-क्लास बैंकों” की आवश्यकता है जो वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में अपनी सशक्त भूमिका निभा सकें। उन्होंने बताया कि इसके लिए रिजर्व बैंक और प्रमुख बैंकों के साथ चर्चा चल रही है।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि “जीएसटी दरों में कटौती से बढ़ी हुई मांग अब निवेश के नए चक्र को जन्म देगी। इसलिए बैंकिंग क्षेत्र को अधिक सक्रिय और विस्तारशील भूमिका निभानी होगी।”
निजीकरण और सुधारों की दिशा में आगे
सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में बैंकिंग क्षेत्र में बड़े बदलाव किए हैं। जनवरी 2019 में सरकार ने IDBI बैंक में अपनी नियंत्रण हिस्सेदारी एलआईसी (LIC) को बेच दी थी। सीतारमण ने कहा कि सुधार की यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी और बैंकिंग व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी तथा प्रतिस्पर्धी बनाया जाएगा।
फ्यूचर्स और ऑप्शंस पर रोक लगाने की अटकलों के बीच निर्मला सीतारमण का यह बयान निवेशकों के लिए राहत भरा है। उनका यह स्पष्ट संदेश है कि सरकार का उद्देश्य बाज़ार की स्वतंत्रता बनाए रखते हुए निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
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