Bihar Election 2025: पूर्णिया रैली, आरोप, आश्वासन और चुनावी रणनीति
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्णिया में आयोजित रोडशो में राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय राजनीतिक बहस को एक बार फिर गरमा दिया। उन्होंने विपक्षी नेताओं पर सीमांचल क्षेत्र को “घुसपैठियों का अड्डा” बनाने का आरोप लगाया और केंद्र सरकार द्वारा अवैध प्रवासियों की पहचान कर उन्हें निर्वासित करने की घोषणा की। इस मौके पर शाह ने एनडीए की बड़ी जीत का दायाँ भी किया।
रैली का माहौल और जनसमागम
पूर्णिया में आयोजित रोडशो में भारी भीड़ देखी गई — आयोजकों ने इसे राजनीतिक समर्थन का संकेत बताया और विरोधियों ने इसे योजनाबद्ध चुनाव प्रचार का हिस्सा बताया। सड़क से लेकर मंच तक मौजूद लोगों में आनन्द और जोश दोनों देखने को मिला, पर आलोचक इसे भय और विभाजन के जरिए वोटबैंक साधने का प्रयास भी करार दे रहे हैं।
अमित शाह ने विशेष रूप से कांग्रेस अध्यक्ष और राजद नेता पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दल सीमांचल को अवैध प्रवासियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र उन अवैध प्रवासियों की सूची तैयार करेगा, उनके नाम मतदाता सूची से हटेंगे और उन्हें उनके देश भेजा जाएगा — यह घोषणा चुनावी मंच से की गई गंभीर प्रतिबद्धता बताई जा रही है।
चुनावी गणित और सीटों का दावा
पूर्णिया के मंच से अमित शाह ने दावा किया कि एनडीए 160 से अधिक सीटें जीतकर विधान सभा में स्पष्ट बहुमत बनाएगा। यह दावों का ताज़ा संकेत है और विपक्ष ने इसे अफवाह और अतिशयोक्ति करार दिया है। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि दावे मतदाता मनोविज्ञान को प्रभावित करने का हिस्सा होते हैं, पर असल परिणाम मतदान के बाद ही स्पष्ट होंगे।
सुरक्षा व आतंकवाद पर बयानबाजी
Bihar Election 2025: रैली में शाह ने सुरक्षा मामलों और आतंकवाद पर भी कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने आतंकवाद के जवाब में निर्णायक कार्रवाई की है और अगर भविष्य में कोई हमला होगा तो उसका जवाब कड़ा होगा। उन्होंने बिहार में ‘रक्षा गलियारा’ जैसी अवधारणा का उल्लेख करते हुए विकास और सुरक्षा को जोड़कर राजनीतिक संदेश दिया
आलोचना और विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष ने शाह के आरोपों को जनभावनाओं को भड़काने वाला और विभाजनकारी बताया। कई विपक्षी नेताओं और सामाजिक संगठनों ने सीमा पार के आतंकवाद व घुसपैठ के मुद्दों पर तथ्यपूर्ण बहस की आवश्यकता बतायी और तत्कालीन सुरक्षा सेवाओं द्वारा उठाए गए कदमों की पारदर्शिता की मांग की। विपक्ष का कहना है कि जनहित के मुद्दों पर संवाद और सत्यापन अधिक आवश्यक है न कि केवल नारेबाजी।
पूर्णिया की रैली ने चुनावी विमर्श को सुरक्षा, अवैध प्रवासन और क्षेत्रीय पहचान जैसे संवेदनशील मुद्दों की तरफ केंद्रित कर दिया है। इस तरह के तेवर वाले भाषण मतदाताओं के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ सकते हैं — पर असल निर्णय मतदाता मतदान के दिन तालिका पर कर ही पाएंगे। राजनीतिक विश्लेषण यह भी बताता है कि बयान जितने तेज हों, उतनी ही कड़ी तपिश में उनका सामाजिक और कानूनी सत्यापन भी आवश्यक हो जाता है।
यह समाचार पीटीआई(PTI) के इनपुट के साथ प्रकाशित किया गया है।