Tariff Dividend 2025: हर अमेरिकी को मिलेगा दो हजार डॉलर का ‘टैरिफ लाभांश’, ट्रंप प्रशासन ने बताया पूरा आर्थिक खाका
डिजिटल डेस्क, वाशिंगटन।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी टैरिफ नीति (Tariff Policy) का एक बार फिर जोरदार बचाव करते हुए कहा है कि यह नीति सीधे तौर पर देश के आम नागरिकों के हित में साबित होगी। ट्रंप के मुताबिक, इस नीति से हर अमेरिकी नागरिक को दो हजार डॉलर (लगभग 1.77 लाख रुपये) का विशेष टैरिफ लाभांश (Tariff Dividend) मिलेगा।
यह घोषणा न केवल आर्थिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है, बल्कि अमेरिकी राजनीतिक परिदृश्य में भी नई बहस छेड़ रही है।
ट्रंप प्रशासन ने दी टैरिफ डिविडेंड की विस्तृत जानकारी
अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट (Scott Basent) ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि यह लाभांश एक सीधी नकद राशि नहीं होगी, बल्कि नागरिकों को टैक्स कटौती, रिबेट और अन्य वित्तीय उपायों के माध्यम से दिया जाएगा।
उनका कहना था कि यह योजना विशेष रूप से मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के लोगों को राहत देने के उद्देश्य से बनाई गई है।
बेसेंट ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप के साथ बैठक के दौरान इस नीति के कई क्रियान्वयन बिंदुओं पर चर्चा हुई, जिनमें टैक्स बोझ को घटाना और सामाजिक सुरक्षा करों को सरल बनाना शामिल है।
कैसे मिलेगा नागरिकों को यह लाभांश?
स्कॉट बेसेंट के अनुसार, दो हजार डॉलर का यह टैरिफ डिविडेंड कई तरीकों से नागरिकों तक पहुंचेगा।
उन्होंने कहा,
“हम टिप्स, ओवरटाइम भुगतान और सोशल सिक्योरिटी टैक्स पर लगने वाले अतिरिक्त भार को कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इन क्षेत्रों में टैक्स राहत देकर आम नागरिकों को सीधी आर्थिक सहायता मिलेगी।”
इस कदम से घरेलू उपभोग में वृद्धि और रोजगार सृजन की उम्मीद की जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह योजना सफल होती है, तो यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था में खपत आधारित प्रोत्साहन (Consumption-driven stimulus) के रूप में काम करेगी।
विरोधियों ने बताया “लोकलुभावन राजनीति”
Tariff Dividend 2025: हालांकि, ट्रंप की इस घोषणा को लेकर विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी और कई अर्थशास्त्रियों ने कड़ा विरोध जताया है।
उनका कहना है कि ट्रंप की टैरिफ नीति पहले ही आयात शुल्क में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति (Inflation) को बढ़ा चुकी है।
विरोधियों का तर्क है कि यह “$2,000 का वादा” केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया गया कदम है।
पूर्व अर्थशास्त्री एडवर्ड लॉरेंस ने कहा,
“यदि सरकार टैरिफ राजस्व को इस प्रकार वितरण करती है, तो यह दीर्घकाल में घाटा बढ़ा सकता है। अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पहले से ही वस्तुओं की कीमतों का दबाव है।”
ट्रंप ने विरोधियों को कहा “मूर्ख”, किया नीति का बचाव
रविवार को दिए अपने साक्षात्कार में ट्रंप ने इस नीति की आलोचना करने वालों को “मूर्ख” (Fools) बताया।
उन्होंने कहा कि,
“हमारे देश ने टैरिफ नीति से अरबों डॉलर का राजस्व प्राप्त किया है। यह पैसा अब जनता के काम आएगा। अमीरों को छोड़कर हर अमेरिकी को जल्द ही $2,000 का टैरिफ लाभांश मिलेगा।”
ट्रंप ने यह भी दावा किया कि उनकी नीति के कारण अमेरिका “दुनिया का सबसे अमीर और सम्मानित राष्ट्र” बन चुका है।
कानूनी विवाद और सुप्रीम कोर्ट की समीक्षा
इस बीच, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ट्रंप की टैरिफ नीति की वैधता (Legality) पर सवाल उठाए हैं।
कोर्ट ने कहा है कि कारोबारियों से प्राप्त टैरिफ राजस्व का उपयोग सीधे नागरिकों में वितरण के लिए करना संविधानिक दायरे में स्पष्ट नहीं है।
अगर सुप्रीम कोर्ट इस योजना को असंवैधानिक करार देती है, तो ट्रंप प्रशासन को लगभग 100 अरब डॉलर का रिफंड देना पड़ सकता है, जो सरकार के लिए बड़ा आर्थिक झटका साबित होगा।
आर्थिक विशेषज्ञों की राय
वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह नीति लागू होती है तो यह ट्रंप प्रशासन के चुनावी अभियान के लिए एक मजबूत कार्ड साबित हो सकता है।
यह अमेरिकी जनता के बीच लोकप्रियता बढ़ाने के साथ-साथ “अमेरिका फर्स्ट आर्थिक रणनीति” की नींव को और मजबूत करेगा।
हालांकि, विशेषज्ञों ने यह भी चेताया कि यदि नीति में पारदर्शिता नहीं रही तो यह अमेरिकी राजकोष पर अतिरिक्त दबाव डाल सकती है।
ट्रंप का “टैरिफ डिविडेंड” प्लान अमेरिकी राजनीति और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए एक बड़ा प्रयोग है।
यह योजना जहां आम नागरिकों को आर्थिक राहत देने का दावा करती है, वहीं विरोधी इसे चुनावी प्रचार से जोड़कर देख रहे हैं।
अब यह देखना बाकी है कि आने वाले महीनों में यह योजना अमेरिकी जनता के लिए कितनी कारगर साबित होती है।