Nagpur News: डॉ. दत्ताराम राठौड़ को मिलेगा महामृत्युंजय वाङ्मय पुरस्कार
नागपुर, दिनांक 12 : साहित्य जगत और पुलिस सेवा दोनों क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके नागपुर लोहमार्ग के अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. दत्ताराम राठौड़ को उनके अमूल्य साहित्यिक योगदान के लिए इस वर्ष ‘महामृत्युंजय वाङ्मय पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा।
यह पुरस्कार उनके उल्लेखनीय ग्रंथ ‘मराठी व तेलुगु भाषिक अनुबंध’ के लिए प्रदान किया जा रहा है, जिसमें उन्होंने मराठी और तेलुगु भाषाओं के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भाषिक संबंधों पर विस्तृत अनुसंधान प्रस्तुत किया है।
गडचिरोली में होगा भव्य सम्मान समारोह
इस वर्ष का यह सम्मान समारोह 7 दिसंबर को गडचिरोली में आयोजित किया जाएगा। समारोह में वरिष्ठ रंगकर्मी पद्मश्री डॉ. परशुराम खुने मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे और उनके शुभ हस्तों से डॉ. राठौड़ को यह पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
यह समारोह जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक, गडचिरोली के अध्यक्ष प्रचित पोरेड्डीवार की अध्यक्षता में संपन्न होगा। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार प्राचार्य एस. एन. पठाण सहित अनेक प्रतिष्ठित साहित्यकार, विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहेंगे।
साहित्य जगत में हर्ष की लहर
डॉ. राठौड़ की इस उपलब्धि पर साहित्यिक एवं प्रशासनिक दोनों क्षेत्रों में उत्साह का माहौल है। नागपुर से लेकर हैदराबाद तक मराठी और तेलुगु साहित्य से जुड़े लेखकों ने इस सम्मान को दो भाषाओं के बीच सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताया है।
वरिष्ठ लेखक प्रा. एस. बी. देशमुख ने कहा कि “डॉ. राठौड़ का कार्य केवल साहित्यिक नहीं बल्कि भाषिक समन्वय का भी उदाहरण है। उनका शोध दोनों भाषाओं के मध्य सेतु का कार्य करेगा।”
साहित्य और सेवा का संतुलन
डॉ. राठौड़ का यह सम्मान इस बात का प्रमाण है कि प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ साहित्यिक योगदान भी संभव है। उन्होंने पुलिस सेवा में रहते हुए भी अपने अध्ययन और लेखन को निरंतर जारी रखा।
उनका ग्रंथ “मराठी व तेलुगु भाषिक अनुबंध” न केवल भाषिक अध्ययन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह दक्षिण भारत और महाराष्ट्र के बीच गहरे ऐतिहासिक संबंधों को भी उजागर करता है।
भाषाओं के बीच सांस्कृतिक सेतु का निर्माण
Nagpur News: डॉ. राठौड़ का शोध यह दर्शाता है कि मराठी और तेलुगु दोनों भाषाएँ प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक रूप से एक-दूसरे से जुड़ी रही हैं। उनके अध्ययन में लोककथाओं, नाट्य परंपराओं और साहित्यिक संवादों के माध्यम से इन भाषाओं के समान स्वरूप को रेखांकित किया गया है।
यह पुरस्कार उनके शोध को न केवल प्रोत्साहन देगा बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत भी बनेगा।
सम्मान से गूंज उठा नागपुर
नागपुर के साहित्यिक व पुलिस समुदाय में डॉ. राठौड़ की इस उपलब्धि पर गर्व की भावना व्याप्त है। उनके सहकर्मियों ने उन्हें “साहित्य और सेवा के संतुलन का आदर्श उदाहरण” कहा है।
यह सम्मान नागपुर को भी गौरवान्वित करता है, क्योंकि यह शहर अब न केवल औद्योगिक केंद्र बल्कि साहित्यिक प्रतिभा का भी गढ़ बनकर उभर रहा है।
संस्थान की परंपरा और उद्देश्य
महामृत्युंजय वाङ्मय पुरस्कार संस्था की ओर से उन लेखकों को दिया जाता है जिन्होंने कादंबरी (उपन्यास), कहानी संग्रह, कविता संग्रह, समीक्षा, अनुसंधान और नाटक जैसे साहित्यिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया हो।
संस्था का उद्देश्य देश के विभिन्न भाषाई साहित्य के बीच सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देना और साहित्यिक प्रतिभाओं को उचित मंच प्रदान करना है।
डॉ. दत्ताराम राठौड़ का यह सम्मान साहित्य और प्रशासनिक सेवा के बीच सामंजस्य का प्रतीक है। उनका कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा, जो यह दिखाता है कि ज्ञान, भाषा और संवेदना किसी एक क्षेत्र की सीमाओं में बंधे नहीं रहते।