Delhi Terror Blast: दिल्ली आतंक धमाका जांच में अल-फलाह विश्वविद्यालय पर शिकंजा
दिल्ली के लाल किले के पास हुए हालिया कार धमाके ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को हिला कर रख दिया है। इस विस्फोट की जांच अब एक नए मोड़ पर पहुँच चुकी है, क्योंकि फरीदाबाद स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय इस पूरे मामले के केंद्र में आ गया है। विश्वविद्यालय पर न केवल राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) से फर्जी मान्यता दिखाने का आरोप है, बल्कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने भी इसके कई ठिकानों पर छापेमारी की है।
फर्जी मान्यता का खुलासा और NAAC का नोटिस
NAAC ने अल-फलाह विश्वविद्यालय को अपनी वेबसाइट पर भ्रामक जानकारी देने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट पर यह झूठा दावा किया कि इसके तीन कॉलेज—अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, और अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग—NAAC से “A ग्रेड” प्राप्त हैं।
वास्तव में, NAAC ने यह स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय ने न तो किसी चक्र में भाग लिया है और न ही उसे कोई मान्यता दी गई है। इस प्रकार का झूठा प्रचार छात्रों, अभिभावकों और शिक्षा जगत को गुमराह करने वाला माना जा रहा है।
जांच एजेंसियों की कार्रवाई
NIA और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने हाल ही में अल-फलाह विश्वविद्यालय परिसर में छापेमारी की। इस दौरान जांचकर्ताओं ने कमरा नंबर 4 और 13 से दो डायरियां बरामद कीं, जिनमें कुछ गुप्त कोड लिखे मिले हैं। इन कोडों को दिल्ली धमाके से जोड़कर देखा जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई केवल विश्वविद्यालय की गतिविधियों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसके प्रशासनिक कर्मचारियों से भी पूछताछ की गई है। एजेंसियों को संदेह है कि कुछ व्यक्तियों ने विश्वविद्यालय के संसाधनों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को छिपाने या समन्वय करने में किया हो सकता है।
चार शहरों में धमाके की थी साजिश
जांच में सामने आया है कि यह आतंकी मॉड्यूल भारत के चार प्रमुख शहरों में धमाके करने की साजिश रच रहा था। प्रत्येक समूह को एक-एक शहर की जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि दिल्ली में हुआ धमाका ही पहला चरण था, लेकिन समय रहते सुरक्षा एजेंसियों ने अन्य योजनाओं को विफल कर दिया।
प्रारंभिक पूछताछ में कई संदिग्ध नाम सामने आए हैं, जिनका संबंध मेडिकल शिक्षा और अन्य गैर-शैक्षणिक संस्थानों से भी बताया जा रहा है।
शिक्षा संस्थानों में आतंक नेटवर्क की चुनौती
Delhi Terror Blast: यह मामला देश में शिक्षा संस्थानों के दुरुपयोग की गंभीरता को उजागर करता है। जब कोई विश्वविद्यालय फर्जी मान्यता का दावा करता है और साथ ही उसके परिसर से आतंकी गतिविधियों के संकेत मिलते हैं, तो यह स्थिति शिक्षा प्रणाली और सुरक्षा व्यवस्था दोनों के लिए खतरनाक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में निजी विश्वविद्यालयों और ट्रस्टों की मान्यता प्रक्रिया की नियमित समीक्षा होनी चाहिए ताकि इस तरह के फर्जीवाड़े को समय रहते पकड़ा जा सके।
सरकार और एजेंसियों की सख्त निगरानी
इस घटना के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों के उच्च शिक्षा नियामकों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने अधीन आने वाले विश्वविद्यालयों की वेबसाइटों की जांच करें और मान्यता संबंधित दावों की पुष्टि करें।
इसके साथ ही, NIA ने कई अन्य राज्यों में भी अपने नेटवर्क का विस्तार किया है ताकि इस तरह के मॉड्यूल्स को जड़ से खत्म किया जा सके।
अल-फलाह विश्वविद्यालय की सफाई
इस बीच, अल-फलाह विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि वह किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं है। विश्वविद्यालय का कहना है कि “NAAC मान्यता संबंधी जानकारी तकनीकी त्रुटि के कारण वेबसाइट पर पुरानी दिखाई दे रही थी।” हालांकि, NAAC ने इस दावे को निराधार बताते हुए जवाब की प्रतीक्षा करने का निर्देश दिया है।
जांच अभी जारी है
NIA और अन्य एजेंसियों की जांच अभी जारी है। सूत्रों के अनुसार, बरामद डायरियों और डिजिटल उपकरणों से कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। जांचकर्ताओं को उम्मीद है कि इससे न केवल धमाके के पीछे की साजिश का खुलासा होगा बल्कि फर्जी शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से फैलाए जा रहे नेटवर्क का भी पर्दाफाश किया जा सकेगा।