Air India Plane Crash: एअर इंडिया विमान दुर्घटना पर सुप्रीम न्यायालय में सुनवाई, ‘पायलट निर्दोष’, केंद्र व डीजीसीए ने सौंपी रिपोर्ट

Air India Plane Crash
Air India Plane Crash – सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा, ‘पायलट निर्दोष’, एएआईबी जांच रिपोर्ट में नहीं मिला दोष (FIle Photo)
नवम्बर 13, 2025

Air India Plane Crash: एअर इंडिया विमान दुर्घटना पर सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई, पायलट के सम्मान की रक्षा में आया केंद्र

नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च न्यायालय में एअर इंडिया विमान दुर्घटना के मामले को लेकर गुरुवार को पुनः सुनवाई हुई। यह मामला दिवंगत पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल के पिता पुष्करराज सभरवाल द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने स्वतंत्र जांच की मांग की थी। केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सुप्रीम कोर्ट में अपना विस्तृत पक्ष रखा, जिसमें स्पष्ट किया गया कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में पायलट को किसी प्रकार का दोषी नहीं ठहराया गया है।


एएआईबी की जांच रिपोर्ट में स्पष्टता: पायलट नहीं, तकनीकी त्रुटि बनी कारण

केंद्र ने न्यायालय को अवगत कराया कि इस दुर्घटना की जांच विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) द्वारा की जा रही है, जो अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के मानकों के अनुरूप कार्यरत है।
एएआईबी की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया कि उड़ान के दौरान तकनीकी त्रुटियों की शृंखला ने यह भयावह दुर्घटना घटित की।

रिपोर्ट के अनुसार, फ्यूल कंट्रोल स्विच अचानक “कटऑफ” स्थिति में चले गए, जिससे दोनों इंजनों की ईंधन आपूर्ति बाधित हो गई। यद्यपि कुछ ही सेकंडों बाद स्विच दोबारा चालू किए गए, तब तक दोनों इंजनों में गंभीर क्षति हो चुकी थी।


दुर्घटना का विवरण: 12 जून की काली सुबह

यह भयावह हादसा 12 जून को हुआ, जब अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की बोइंग 787 ड्रीमलाइनर उड़ान ने उड़ान भरने के महज 32 सेकंड बाद ही नियंत्रण खो दिया।
विमान एक रिहायशी भवन से टकरा गया, जिससे 260 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मृत्यु हो गई। केवल एक यात्री जीवित बच सका।

यह घटना देश के विमानन इतिहास की सबसे त्रासद दुर्घटनाओं में से एक मानी जा रही है।


पायलट के पिता की व्यथा और न्यायालय की संवेदनशील टिप्पणी

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने पायलट के पिता से संवेदनापूर्वक कहा, “यह दुर्घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण थी। किंतु आपको यह मानसिक बोझ नहीं उठाना चाहिए कि आपके पुत्र को दोषी ठहराया जा रहा है।”
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि पायलट के सम्मान और सत्य की रक्षा न्यायपालिका की जिम्मेदारी है।

केंद्र ने भी अपने पक्ष में कहा कि किसी भी प्रकार का निष्कर्ष निकालने से पहले तकनीकी तथ्यों की गहन समीक्षा की जा रही है।


स्वतंत्र जांच की मांग और न्यायालय का दृष्टिकोण

Air India Plane Crash: याचिकाकर्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि विमानन दुर्घटना की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जांच का नेतृत्व किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंपा जाना चाहिए।
हालाँकि, केंद्र ने कहा कि एएआईबी एक स्वायत्त निकाय है और उसकी जांच अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर केंद्र और डीजीसीए से विस्तृत स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है और अगले सप्ताह इस पर अगली सुनवाई की जाएगी।


तकनीकी सुधार और भविष्य की सुरक्षा नीति

इस घटना के बाद विमानन मंत्रालय ने तकनीकी मानकों की पुनः समीक्षा का निर्णय लिया है। एयरलाइनों के रखरखाव, प्रशिक्षण और आपात स्थितियों में प्रतिक्रिया प्रणाली को सुदृढ़ करने पर बल दिया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना भारत के विमानन सुरक्षा तंत्र में सुधार का एक बड़ा सबक बनेगी।


मानवीय दृष्टिकोण से न्याय की प्रतीक्षा | Air India Plane Crash

कैप्टन सभरवाल के परिवार ने कहा कि उन्हें केवल न्याय ही नहीं, बल्कि अपने बेटे के सम्मान की पुनर्स्थापना भी चाहिए।
इस भावनात्मक मुद्दे पर देशभर में पायलट समुदाय और आम नागरिकों ने एकजुट होकर समर्थन जताया है।

सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई में यह स्पष्ट हो सकेगा कि क्या इस मामले में किसी और स्तर पर जांच आवश्यक है या नहीं।

एअर इंडिया विमान दुर्घटना की जांच अब निर्णायक मोड़ पर है। केंद्र और डीजीसीए ने जहां पायलट को निर्दोष बताया है, वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के संकेत दिए हैं। यह मामला केवल एक हादसे का नहीं, बल्कि पायलट के सम्मान और न्याय के अधिकार का प्रतीक बन चुका है।

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