बिहार चुनाव परिणाम 2025: महागठबंधन की हार, राहुल-तेजस्वी से कहां हुई चूक?

Bihar Election Result 2025
Bihar Election Result 2025: महागठबंधन की हार और मोदी-नीतीश की प्रचंड जीत (File Photo)
बिहार चुनाव परिणाम 2025 में राजग की भारी जीत हुई, जिसमें मोदी-नीतीश की ‘डबल इंजन’ रणनीति सफल रही। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन की रणनीति मतदाताओं पर असर नहीं कर सकी। परिवारवाद और जातिवाद आधारित राजनीति को जनता ने नकार दिया, जिससे बिहार में विकास-केंद्रित शासन की ओर रुख साफ दिखा।
नवम्बर 14, 2025

बिहार चुनाव परिणाम 2025: राजग की प्रचंड जीत और महागठबंधन की हार

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में परिणाम ने राजनीतिक समीक्षकों को चौंका दिया है। जहां एक ओर राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को भारी बहुमत मिला, वहीं महागठबंधन और अन्य विपक्षी दलों की रणनीतियां पूरी तरह विफल रही। मोदी-नीतीश की जोड़ी को मिला यह जनादेश न केवल एक सरकार बनाने का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जनता अब विकास को प्राथमिकता देती है, न कि केवल जातिवाद और परिवारवाद को।

राजग का प्रचंड जनादेश

बिहार में इस बार के चुनावी परिणाम ने यह सिद्ध कर दिया कि जब सत्ता में स्थिरता और विकास की दिशा सही होती है, तो जनता उसका साथ देती है। राजग ने इस बार महागठबंधन से कहीं अधिक सीटें जीतकर विपक्षी दलों को झटका दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी ने चुनावी मैदान में मजबूती से कदम रखा और मतदाताओं के बीच अपने विकास कार्यों को प्राथमिकता दी।

महागठबंधन की चुनावी रणनीति

महागठबंधन के पास 2025 चुनाव में कई मुद्दे थे, लेकिन जब बात विश्वास की हुई, तो वे कहीं पीछे रह गए। कांग्रेस और राजद जैसे बड़े दलों ने चुनावी रणनीति में परिवारवाद और जातिवाद को प्रमुख बनाकर अपना प्रचार किया, जिसका असर उल्टा पड़ा। जनता ने एकजुटता और विकास को महत्व दिया, और यही कारण था कि विपक्ष की राजनीति में बिखराव देखने को मिला।

मोदी-नीतीश की जोड़ी का जादू

नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी ने बिहार में ‘डबल इंजन’ के सिद्धांत को सफलतापूर्वक लागू किया। यह साफ दिखा कि जब राज्य और केंद्र दोनों जगह एक ही राजनीतिक विचारधारा और नेतृत्व होता है, तो विकास कार्यों को सुचारु रूप से लागू करना आसान होता है। जनता ने इन दोनों नेताओं पर विश्वास जताया, और इसका फायदा उन्हें चुनाव में हुआ।

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की चूक

बिहार चुनाव में विपक्ष की ओर से राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने कई अहम मुद्दों पर जनता को आकर्षित करने की कोशिश की, लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाए। राहुल गांधी ने अपने भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर कई बार प्रहार किया, लेकिन उनका यह आक्रमण विपक्ष की छवि को सुधारने के बजाय और कमजोर कर गया। महागठबंधन के नेताओं ने कभी भी राहुल गांधी के विवादास्पद बयानों पर खेद नहीं जताया, जिससे जनता का भरोसा और भी कम हुआ।

जनसुराज पार्टी का फ्लॉप शो

प्रशांत किशोर द्वारा बनाई गई जनसुराज पार्टी को लेकर चुनावी माहौल में काफी उत्सुकता थी, लेकिन इस पार्टी के प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि सिर्फ नाम बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ता। जनसुराज के चुनावी परिणाम निराशाजनक रहे, और यह तथ्य सामने आया कि पार्टी का नेतृत्व और कामकाजी रणनीति प्रभावी नहीं रही।

परिवारवाद का अंत

बिहार के चुनावी परिणाम ने यह साबित कर दिया कि आज की जनता परिवारवाद से तंग आ चुकी है। महागठबंधन के नेताओं ने चुनाव में जाति आधारित राजनीति और परिवारवाद को प्रमुख मुद्दा बनाया, जिसका परिणाम उल्टा हुआ। जनता ने ऐसे नेताओं को नकार दिया जिन्होंने विकास के मुद्दों को नजरअंदाज किया और केवल परिवार की राजनीति पर ध्यान केंद्रित किया।

बिहार चुनाव परिणाम और अन्य राज्यों पर असर

बिहार में राजग की जीत का असर अन्य राज्यों के चुनावों पर भी पड़ सकता है, खासकर पश्चिम बंगाल में होने वाले आगामी चुनावों में। बिहार के परिणाम ने यह साबित कर दिया कि जब जनता को विकास और स्थिरता का भरोसा होता है, तो वह उसी को समर्थन देती है।

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