नगर प्रशासन का कठोर रुख
नागपुर: शहर में स्वास्थ्य सुविधाओं की निगरानी और निर्माण मानकों के पालन को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच नागपुर महानगरपालिका ने मेडिट्रीना अस्पताल परिसर में पाए गए बड़े पैमाने के अवैध निर्माणों पर कड़ा रुख अख़्तियार किया है। नगर आयुक्त के निर्देश पर महानगरपालिका ने M/s VRG हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड, जिसके निदेशक डॉ. समीर पालटेवार हैं, के विरुद्ध सातवीं प्राथमिकी दर्ज कराई है। यह मामला नगर प्रशासन और निजी अस्पतालों के निर्माण मानकों को लेकर चल रहे विवाद को एक नई दिशा देता है।
अवैध निर्माणों का विस्तृत खुलासा
महानगरपालिका की शिकायत के अनुसार, वर्ष 2011 से अस्पताल परिसर के विभिन्न हिस्सों में अनधिकृत निर्माण किए गए। इनमें बेसमेंट पार्किंग क्षेत्र में कई स्थायी ढांचे, ग्राउंड फ्लोर के साइड मार्जिन में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट तथा अन्य अतिक्रमण विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त, इमारत की छत पर पैंट्री, कॉन्फ़्रेंस हॉल, डिस्पैच एरिया और प्रयोगशाला जैसे निर्माण भी बिना स्वीकृति के विकसित किए गए।
शहर प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि ऐसे निर्माण न केवल भवन नियमों का उल्लंघन करते हैं बल्कि आग सुरक्षा और आपातकालीन निकासी मानकों के भी विरुद्ध हैं। इस प्रकार के अतिक्रमण अस्पताल जैसी संवेदनशील जगहों पर गंभीर जोखिम उत्पन्न करते हैं।
पूर्व नोटिस के बाद भी कार्रवाई का अभाव
महानगरपालिका ने 01 अप्रैल 2024 को संबंधित कंपनी को नोटिस जारी कर सभी अवैध निर्माण हटाने का निर्देश दिया था। नियमों के अनुसार इस नोटिस पर तत्काल अमल होना चाहिए था, किंतु 19 महीने बीत जाने के बाद भी कोई अनुपालन नहीं हुआ। लगातार चेतावनी और निरीक्षणों के बाद जब यह स्पष्ट हो गया कि प्रबंधन किसी तरह की सुधारात्मक कार्रवाई करने को तैयार नहीं है, तब नगर प्रशासन ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्णय लिया।
विभागीय चेतावनी और सुरक्षा जोखिम
फायर विभाग पहले ही अस्पताल भवन को असुरक्षित घोषित कर चुका है। विभागीय निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, भवन में अग्नि सुरक्षा उपकरणों की व्यवस्था अपर्याप्त है और अवैध निर्माणों के कारण आपातकालीन मार्ग बाधित हैं। इसी के आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने भी अस्पताल की आईपीडी पंजीकरण प्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
अधिकारियों का कहना है कि निजी चिकित्सा संस्थानों की विश्वसनीयता और जन-जन के स्वास्थ्य हितों के लिए यह आवश्यक है कि भवन मानकों और सुरक्षा नियमों का कड़ाई से पालन हो।
डॉ. समीर पालटेवार से जुड़े पूर्व मामले
यह प्राथमिकी डॉ. समीर पालटेवार पर दर्ज सातवां मामला है। इससे पूर्व उन पर महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना में अनियमितताओं, फर्जी बिलिंग, जालसाजी तथा अलग-अलग 17 करोड़ और 2 करोड़ रुपये के कथित घोटालों सहित छह मामले पहले ही दर्ज हैं। वर्तमान में वे छठे मामले में पीसीआर रिमांड पर हैं।
शहर के कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार दर्ज हो रहे मामलों से यह प्रतीत होता है कि चिकित्सा संस्थानों की निगरानी व्यवस्था में अभी भी व्यापक सुधार की आवश्यकता है। साथ ही, इस घटना ने निजी अस्पतालों के संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
नगर प्रशासन की आगामी कार्ययोजना
महानगरपालिका के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, यह कदम केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि शहर में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुरक्षित और मानक-अनुरूप बनाने की दिशा में निर्णायक प्रयास है। अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने की संभावना पर भी विचार किया जा रहा है, साथ ही भविष्य में ऐसे मामलों पर और सख्त कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि नगर प्रशासन किसी भी संस्थान को नियमों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं देगा, चाहे वह अस्पताल हो या कोई अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान। इस घटना के बाद शहर में अन्य अस्पतालों और निजी स्वास्थ्य केंद्रों की भी विस्तृत जांच प्रस्तावित है।