Trump Russia Sanctions: अमेरिका की नई रणनीति, रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500 प्रतिशत टैरिफ का प्रस्ताव

Trump Russia Sanctions: रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 500% टैरिफ का प्रस्ताव, भारत-चीन पर निशाना
Trump Russia Sanctions: रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 500% टैरिफ का प्रस्ताव, भारत-चीन पर निशाना (File Photo)
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस को अलग-थलग करने की नई रणनीति बनाई है। रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 500 प्रतिशत टैरिफ का प्रस्ताव रखा गया है। भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश निशाने पर हैं जो सस्ते रूसी तेल से यूक्रेन युद्ध को वित्तपोषित कर रहे हैं।
नवम्बर 17, 2025

Trump Russia Sanctions: नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने रूस को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के लिए एक आक्रामक रणनीति तैयार की है। इस रणनीति के तहत रूस और ईरान के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखने वाले देशों पर अत्यधिक कड़े प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी गई है। ट्रंप प्रशासन का यह कदम यूक्रेन युद्ध को वित्तीय रूप से कमजोर करने और रूस की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ाने की दिशा में उठाया गया है।

रविवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि रिपब्लिकन पार्टी रूस के साथ व्यापार करने वाले किसी भी देश पर अत्यंत कठोर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पारित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने संकेत दिया कि इन प्रतिबंधों में ईरान को भी शामिल किया जा सकता है। यह बयान अंतरराष्ट्रीय व्यापार समुदाय के लिए एक गंभीर चेतावनी है, विशेष रूप से उन देशों के लिए जो सस्ते रूसी तेल और गैस पर निर्भर हैं।

ट्रंप प्रशासन की आक्रामक नीति

ट्रंप प्रशासन पहले ही दुनिया के कुछ सबसे कड़े टैरिफ लगाने की पहल कर चुका है। भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क और रूसी ऊर्जा की खरीद पर 25 प्रतिशत टैरिफ इसके प्रमुख उदाहरण हैं। यह शुल्क केवल प्रतीकात्मक नहीं हैं बल्कि इनका उद्देश्य रूस की आर्थिक शक्ति को कमजोर करना और उसके सहयोगी देशों पर दबाव बनाना है। अमेरिका का मानना है कि जब तक रूस को आर्थिक रूप से अलग नहीं किया जाता, तब तक यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना संभव नहीं होगा।

इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अमेरिकी सीनेटरों ने और भी कठोर प्रतिबंधों की मांग की है। सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा प्रस्तुत एक विधेयक में रूसी तेल की द्वितीयक खरीद और पुनर्विक्रय पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रावधान है। यह प्रस्ताव सीनेट की विदेश संबंध समिति में पहले ही समर्थन प्राप्त कर चुका है। यदि यह विधेयक पारित होता है तो यह अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में भूचाल ला सकता है।

रूसी तेल पर पांच सौ प्रतिशत टैरिफ का प्रभाव

सीनेटर लिंडसे ग्राहम और सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने मिलकर 2025 का रूस प्रतिबंध अधिनियम पेश किया है। इस अधिनियम के तहत उन सभी देशों पर दोबारा टैरिफ लगाया जाएगा जो यूक्रेन में राष्ट्रपति पुतिन के युद्ध को वित्तपोषित करना जारी रखते हैं। यह कानून मुख्य रूप से उन देशों को निशाना बनाता है जो रूसी तेल और गैस की बड़े पैमाने पर खरीद कर रहे हैं और इस तरह रूस की अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहे हैं।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस कानून को 85 अमेरिकी सीनेटरों का समर्थन प्राप्त है, जो इसकी व्यापक स्वीकार्यता को दर्शाता है। जुलाई में जारी एक संयुक्त बयान में सीनेटरों ने कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप और उनकी टीम ने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को समाप्त करने के लिए एक शक्तिशाली कदम उठाया है और एक नया दृष्टिकोण लागू किया है।

Trump Russia Sanctions: भारत, चीन और ब्राजील निशाने पर

सीनेटरों ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि इस युद्ध को खत्म करने के लिए अंतिम और सबसे प्रभावी हथियार चीन, भारत और ब्राजील जैसे देशों के खिलाफ टैरिफ होगा। इन देशों पर आरोप है कि वे सस्ते रूसी तेल और गैस खरीदकर राष्ट्रपति पुतिन की युद्ध मशीन का समर्थन कर रहे हैं। यह बयान विशेष रूप से उन उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए चिंताजनक है जो ऊर्जा आयात पर बहुत अधिक निर्भर हैं।

भारत के लिए यह स्थिति विशेष रूप से जटिल है क्योंकि देश ने हाल के वर्षों में रूसी तेल की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि की है। भारत का तर्क है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए तेल की खरीद कर रहा है, न कि किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत। हालांकि, अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रस्ताव ने भारत को एक कठिन स्थिति में डाल दिया है जहां उसे अपनी ऊर्जा जरूरतों और पश्चिमी देशों के साथ संबंधों के बीच संतुलन बनाना होगा।

यूक्रेन युद्ध और वैश्विक राजनीति

Trump Russia Sanctions: यूक्रेन युद्ध अब दो वर्षों से अधिक समय से जारी है और इसने वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था को गहराई से प्रभावित किया है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस पर अधिकतम दबाव बनाने के लिए लगातार नए प्रतिबंध लगा रहे हैं। हालांकि, रूस ने अपनी ऊर्जा निर्यात को एशियाई और अन्य विकासशील देशों की ओर मोड़कर इन प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने की कोशिश की है।

ट्रंप प्रशासन का नया दृष्टिकोण इस रणनीति को तोड़ने का प्रयास है। 500 प्रतिशत टैरिफ का प्रस्ताव यदि लागू होता है तो रूसी तेल की खरीद इतनी महंगी हो जाएगी कि अधिकांश देशों के लिए इसे खरीदना आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रहेगा। इससे रूस की सबसे बड़ी आय का स्रोत, यानी ऊर्जा निर्यात, गंभीर रूप से प्रभावित होगा।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और चुनौतियां

Trump Russia Sanctions: इस प्रस्तावित नीति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। यूरोपीय देश जो पहले से ही रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा चुके हैं, इस कदम का समर्थन कर सकते हैं। दूसरी ओर, एशियाई और अफ्रीकी देश जो रूसी ऊर्जा पर निर्भर हैं, इसे अपनी संप्रभुता और आर्थिक स्वतंत्रता पर हमला मान सकते हैं।

यह नीति अमेरिका के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है क्योंकि इससे वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है और तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं। इससे न केवल विकासशील देश बल्कि विकसित देश भी प्रभावित होंगे। इसके अलावा, यह नीति अमेरिका के कुछ सहयोगी देशों के साथ तनाव पैदा कर सकती है जो रूसी ऊर्जा पर आंशिक रूप से निर्भर हैं।

ट्रंप प्रशासन की यह रणनीति यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने और रूस को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग करने का एक साहसिक प्रयास है। हालांकि, इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पहल का कितना समर्थन करता है और यह नीति व्यावहारिक रूप से कितनी प्रभावी साबित होती है।


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