हनुमान जी पर टिप्पणी से उठा तूफ़ान, एस एस राजामौली के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज

SS Rajamouli Controversey
SS Rajamouli Controversey: निर्देशक के विवादित कथन पर मचा हंगामा, दर्ज हुई प्राथमिकी (Image Source: Instagram)
एस एस राजामौली द्वारा वाराणसी फ़िल्म इवेंट में ईश्वर और हनुमान जी को लेकर दिए गए कथित बयान से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राष्ट्रीय वानर सेना ने उन्हें धार्मिक भावनाएँ आहत करने का आरोपी बताते हुए FIR दर्ज करवाई। सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ जारी हैं।
नवम्बर 18, 2025

निर्देशक के विवादित कथन पर मचा हंगामा, दर्ज हुई प्राथमिकी

भारतीय फ़िल्म जगत में अपनी भव्य और अत्यधिक लोकप्रिय फिल्मों के लिए प्रसिद्ध निर्देशक एस एस राजामौली इन दिनों एक गंभीर विवाद के केंद्र में आ गए हैं। ‘बाहुबली’ और ‘आरआरआर’ जैसे भव्य सिनेमा को जन्म देने वाले इस निर्देशक की नई फ़िल्म ‘वाराणसी’ का हाल ही में शानदार इवेंट आयोजित हुआ, परंतु इसी कार्यक्रम में दिया गया उनका एक कथन अब उनके लिए भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। हनुमान जी के संदर्भ में की गई कथित टिप्पणी ने धार्मिक समुदायों की भावनाओं को झकझोर दिया, जिसके परिणामस्वरूप उनके विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की गई है।

विवाद का उद्भव

इवेंट में उपस्थित हजारों प्रशंसकों और मीडिया प्रतिनिधियों के बीच एस एस राजामौली ने अपनी बात रखते हुए एक ऐसा वक्तव्य कथित रूप से दिया, जिसे कई लोगों ने धार्मिक आस्था के प्रति असम्मान की तरह देखा। फ़िल्म के प्रमोशनल कार्यक्रम में यह टिप्पणी कुछ ही क्षणों में सोशल मीडिया पर फैल गई और देखते ही देखते एक बड़े विवाद का आधार बन गई।

राजामौली को लेकर यह पहली बार नहीं है कि किसी कथन ने उन्हें चर्चा के केंद्र में ला खड़ा किया हो। परंतु इस बार आरोप कहीं अधिक संवेदनशील हैं, क्योंकि इसमें धार्मिक प्रतीक—हनुमान जी—का संदर्भ शामिल है।

बयान जिसने बढ़ाया ताप

कार्यक्रम में राजामौली ने कथित तौर पर कहा कि उनका विश्वास ईश्वर में नहीं है और उनके लिए आस्था का कोई महत्व नहीं। उपस्थित भीड़ में इस वक्तव्य पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आईं, किन्तु जब इसे सोशल मीडिया पर साझा किया गया तो उपयोगकर्ताओं ने इसे भगवान हनुमान के अपमान के रूप में प्रस्तुत किया। विशेषकर धार्मिक संगठन और हनुमान भक्तों ने इसे आस्था पर सीधा प्रहार करार दिया।

यह बयान एक ऐसे समय आया है जब उनकी नई फ़िल्म ‘वाराणसी’ में भारतीय संस्कृति और मिथकीय तत्व प्रमुखता से शामिल बताए जा रहे हैं। ऐसे में निर्देशक की टिप्पणी को कई लोग विरोधाभासी और हिंदू भावनाओं के विरुद्ध मान रहे हैं।

सोशल मीडिया पर व्यापक प्रतिक्रियाएँ

बयान सामने आते ही ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कई लोगों ने इस टिप्पणी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा कहा, तो अनेक लोग इसे कठोर शब्दों में हिंदू भावनाओं का अपमान बताते हुए निर्देशक पर कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर चल रही इस बहस में अनेक उपयोगकर्ताओं ने फ़िल्म को बॉयकॉट करने का आह्वान किया। वहीं कुछ बुद्धिजीवियों ने धार्मिक भावनाओं और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया।

राष्ट्रीय वानर सेना की आपत्ति और FIR

विवाद सबसे अधिक तब उभरा जब राष्ट्रीय वानर सेना नामक संगठन ने आधिकारिक रूप से एस एस राजामौली के विरुद्ध FIR दर्ज करवा दी। संगठन ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह देवताओं के प्रति अपमानजनक कथन दे और समाज में धार्मिक तनाव फैलाए।

उनका आरोप है कि राजामौली का कथन सार्वजनिक रूप से हिंदू समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला है, इसलिए उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई अनिवार्य है। संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि धर्म की रक्षा करना उनका कर्तव्य है।

फ़िल्म उद्योग की खामोशी और बढ़ते प्रश्न

विवाद के बाद भी फ़िल्म उद्योग की ओर से कोई प्रमुख प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। कई लोगों का मानना है कि उद्योग से जुड़े कलाकार अक्सर ऐसे संवेदनशील मामलों पर टिप्पणी करने से बचते हैं, ताकि किसी भी प्रकार के राजनीतिक और सार्वजनिक विवाद से दूरी बनाए रख सकें।

हालांकि उद्योग से जुड़े कुछ आलोचकों का कहना है कि इस मामले में खुलकर संवाद होना चाहिए, क्योंकि कला और धर्म का संबंध अक्सर टकराव की स्थिति पैदा करता है, जिसे संतुलित तरीके से संभालने की आवश्यकता है।

धार्मिक भावनाओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस

यह विवाद एक बार फिर उस बहस को सामने लाता है कि धार्मिक भावनाएँ और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति की आज़ादी में कैसे संतुलन स्थापित किया जाए। भारत जैसे बहुधार्मिक देश में सार्वजनिक हस्तियों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने वक्तव्यों में संयम और संवेदनशीलता बरतें।

राजामौली के कथन पर चल रही बहस इस तथ्य को पुष्टि करती है कि सार्वजनिक मंच पर कहा गया हर शब्द लाखों लोगों की भावनाओं को प्रभावित कर सकता है।

राजामौली की नई फ़िल्म ‘वाराणसी’ की चर्चा के बीच छाया विवाद

प्रियंका चोपड़ा, महेश बाबू और पृथ्वीराज सुकुमारन जैसी प्रमुख हस्तियों से सजी इस फ़िल्म को लेकर दर्शकों में पहले से ही उत्साह था। फिल्म के फर्स्ट लुक और फ़ाइनल टाइटल के अनावरण ने लोगों में जिज्ञासा बढ़ाई, परंतु विवाद ने फ़िल्म की चर्चा को पीछे धकेल दिया है।

फ़िल्म निर्माण से जुड़े लोगों को आशंका है कि विवाद फ़िल्म की रिलीज़ को प्रभावित कर सकता है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां धार्मिक भावना अत्यधिक संवेदनशील है।

जहां एक ओर फ़िल्म ‘वाराणसी’ का भव्य प्रचार-प्रसार हो रहा है, वहीं दूसरी ओर निर्देशक एस एस राजामौली के बयान ने उन्हें एक असहज स्थिति में डाल दिया है। FIR दर्ज होने के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह मामला किस दिशा में बढ़ता है और निर्देशक इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।

धार्मिक भावनाएँ, कलात्मक स्वतंत्रता और सार्वजनिक मंच पर जिम्मेदार बयानबाजी—इन तीनों के बीच संतुलन साधना इस पूरे विवाद का प्रमुख बिंदु बनकर उभरा है।

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Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.