नई दिल्ली। देश के प्रमुख स्टॉक ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म ग्रो की पेरेंट कंपनी बिलियनब्रेन्स गैराज वेंचर्स के शेयर में 19 नवंबर को जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। शेयर 10 फीसदी की गिरावट के साथ लोअर सर्किट पर आ गया, जिससे उन निवेशकों की चिंता बढ़ गई है जिन्होंने लिस्टिंग के बाद ऊंचे भाव पर इस शेयर में निवेश किया था। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि शानदार लिस्टिंग के बाद निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी है, जिसके चलते शेयर में यह तेज गिरावट देखी गई।
लिस्टिंग के बाद शानदार प्रदर्शन
ग्रो के शेयर ने 12 नवंबर को भारतीय शेयर बाजारों में धमाकेदार एंट्री की थी। बीएसई पर कंपनी का शेयर आईपीओ मूल्य से 14 प्रतिशत अधिक चढ़कर 114 रुपये प्रति शेयर के भाव पर लिस्ट हुआ था। इसके बाद शेयर में लगातार तेजी देखने को मिली और केवल पांच कारोबारी सत्रों में शेयर अपने आईपीओ प्राइस से लगभग 94 प्रतिशत की छलांग लगाकर 193.91 रुपये प्रति शेयर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।
यह उछाल निवेशकों के लिए बेहद आकर्षक रहा और कई रिटेल तथा संस्थागत निवेशकों ने इस रैली का फायदा उठाते हुए शेयर में प्रवेश किया। हालांकि, 19 नवंबर की सुबह कारोबार की शुरुआत में ही शेयर 10 प्रतिशत लोअर सर्किट के साथ 169.94 रुपये प्रति शेयर के भाव पर आ गिरा, जिससे बाजार में हलचल मच गई।
मुनाफावसूली का दौर
बाजार के जानकारों का कहना है कि इतनी तेज रैली के बाद शेयर में मुनाफावसूली स्वाभाविक थी। जिन निवेशकों ने शेयर की लिस्टिंग के समय या उससे पहले आईपीओ में निवेश किया था, उन्होंने अच्छा मुनाफा कमाने के बाद अपनी पोजीशन से बाहर निकलना शुरू कर दिया। इसके अलावा, जिन निवेशकों ने लिस्टिंग के बाद ऊंचे भाव पर शेयर खरीदा था, वे अब नुकसान की स्थिति में फंस गए हैं।
वैल्यूएशन को लेकर बढ़ती चिंताएं
ग्रो के शेयर में गिरावट का एक प्रमुख कारण इसकी ऊंची वैल्यूएशन भी है। शेयर बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि लिस्टिंग के बाद शेयर में आई तेजी ने कंपनी की वैल्यूएशन को एक ऐसे स्तर पर पहुंचा दिया है, जो इसके मौजूदा फंडामेंटल्स और प्रतिस्पर्धियों की तुलना में काफी महंगी है।
आईपीओ के समय ग्रो का अनुमानित प्राइस टू अर्निंग मल्टीपल लगभग 33 से 37 गुना के बीच था, जो पहले से ही मोतीलाल ओसवाल और एंजेल वन जैसी प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में अधिक था। लेकिन लिस्टिंग के बाद शेयर में आई तेजी के कारण वर्तमान में ग्रो 61 गुना के पी/ई रेशियो पर कारोबार कर रहा है।
प्रतिस्पर्धियों से तुलना
जब हम ग्रो की वैल्यूएशन की तुलना इसके प्रतिस्पर्धियों से करते हैं, तो अंतर साफ नजर आता है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज 29 गुना के पी/ई पर कारोबार कर रही है, वहीं एंजेल वन 33 गुना पर है। इसी तरह नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट 26 गुना और आईआईएफएल वेल्थ 20 गुना के पी/ई रेशियो पर ट्रेड कर रहे हैं। यह सभी आंकड़े ग्रो के मौजूदा 61 गुना के वैल्यूएशन से काफी नीचे हैं।
यह तथ्य निवेशकों के बीच चिंता का विषय बन गया है क्योंकि 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली ग्रो की वैल्यूएशन कई पुरानी और स्थापित कैपिटल मार्केट कंपनियों को भी पीछे छोड़ चुकी है, जबकि ये कंपनियां सालों से बाजार में सक्रिय हैं और इनका ट्रैक रिकॉर्ड भी मजबूत है।
निवेशकों के लिए चेतावनी
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि जिन निवेशकों ने ग्रो के शेयर को लिस्टिंग के बाद ऊंचे भाव पर खरीदा है, उन्हें सावधान रहने की जरूरत है। ऊंची वैल्यूएशन पर खरीदे गए शेयरों में आगे चलकर और गिरावट की संभावना बनी रहती है, खासकर जब बाजार में समग्र रूप से अस्थिरता का माहौल हो।
तकनीकी विश्लेषण
तकनीकी दृष्टिकोण से देखें तो ग्रो के शेयर ने अपने हालिया उच्चतम स्तर 193.91 रुपये से लगभग 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। यदि शेयर में मुनाफावसूली का दबाव जारी रहता है, तो यह अपने लिस्टिंग प्राइस 114 रुपये की ओर भी लौट सकता है। हालांकि, दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह गिरावट एक अवसर भी हो सकती है, बशर्ते कंपनी के फंडामेंटल्स मजबूत बने रहें।
कंपनी का व्यवसाय मॉडल और भविष्य की संभावनाएं
ग्रो भारत के सबसे तेजी से बढ़ते स्टॉक ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म्स में से एक है। कंपनी ने अपने उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफेस और कम लागत वाली सेवाओं के जरिए बाजार में मजबूत पकड़ बनाई है। खासकर युवा और पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों के बीच ग्रो की लोकप्रियता बहुत अधिक है।
कंपनी म्यूचुअल फंड, स्टॉक ट्रेडिंग, और अन्य वित्तीय उत्पादों की सेवाएं प्रदान करती है। पिछले कुछ वर्षों में ग्रो ने अपने उपयोगकर्ता आधार में तेजी से वृद्धि दर्ज की है और कंपनी का राजस्व भी लगातार बढ़ रहा है।
विकास की संभावनाएं
भारतीय पूंजी बाजार में भागीदारी लगातार बढ़ रही है और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की मांग में भी तेजी आई है। इस परिदृश्य में ग्रो जैसी कंपनियों के लिए विकास की अपार संभावनाएं हैं। हालांकि, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और नियामकीय चुनौतियां भी कंपनी के सामने हैं।
विशेषज्ञों की राय
बाजार के कई विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान वैल्यूएशन पर ग्रो का शेयर महंगा है और निवेशकों को सावधानी से निर्णय लेना चाहिए। कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि निवेशक शेयर में और गिरावट का इंतजार करें और बेहतर वैल्यूएशन पर एंट्री करें।
वहीं, कुछ विश्लेषकों का कहना है कि दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखें तो कंपनी के मजबूत बिजनेस मॉडल और बढ़ते उपयोगकर्ता आधार को देखते हुए यह निवेश के लिए अच्छा विकल्प हो सकता है, लेकिन केवल सही मूल्य पर।
ग्रो के शेयर में 10 प्रतिशत की गिरावट और लोअर सर्किट लगना निवेशकों के लिए एक चेतावनी है कि बाजार में लालच से बचना और वैल्यूएशन पर ध्यान देना कितना महत्वपूर्ण है। जिन निवेशकों ने ऊंचे भाव पर शेयर खरीदा है, उन्हें अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह गिरावट एक अवसर हो सकती है, बशर्ते वे कंपनी के फंडामेंटल्स और भविष्य की विकास संभावनाओं का सही मूल्यांकन करें। शेयर बाजार में निवेश हमेशा जोखिम के साथ आता है और इसलिए सोच-समझकर और गहन शोध के बाद ही निवेश का निर्णय लेना चाहिए।
आने वाले दिनों में ग्रो के शेयर की चाल इस बात पर निर्भर करेगी कि कंपनी अपनी विकास गति को बनाए रख पाती है या नहीं और क्या वह अपनी ऊंची वैल्यूएशन को न्यायसंगत ठहरा सकती है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें और अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार ही निवेश का निर्णय लें।
इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य जानकारी और बाजार के रुझानों पर आधारित है। यह किसी भी प्रकार की निवेश सलाह (Investment Advice) नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिम से जुड़ा होता है। निवेश का निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) से परामर्श अवश्य करें। लेख में उल्लिखित कंपनियों, शेयरों या आंकड़ों में समय के साथ परिवर्तन संभव है। लेखक या प्रकाशक किसी भी प्रकार के आर्थिक नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।