विशाखापत्तनम। आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले में माओवादियों के खिलाफ बड़ा सुरक्षा अभियान जारी है। बुधवार को ताजा मुठभेड़ में 6 से 7 माओवादियों के मारे जाने की सूचना मिली है, जिनमें कई शीर्ष नेता शामिल होने की आशंका है। यह मुठभेड़ मेरेडुमिल्ली वन क्षेत्र में हुई, जहां मंगलवार को शीर्ष माओवादी कमांडर मदवी हिडमा, उनकी पत्नी और चार अन्य नक्सलियों को मार गिराया गया था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, मारे गए सभी माओवादी छत्तीसगढ़ के रहने वाले माने जा रहे हैं।
लगातार दूसरे दिन मुठभेड़
मंगलवार की मुठभेड़ के दौरान 19 माओवादी भागने में सफल रहे थे और सुरक्षा बल क्षेत्र में तलाशी अभियान जारी रखे हुए थे। बुधवार सुबह हुई गोलीबारी इसी अभियान की निरंतरता बताई जा रही है। ताजा मुठभेड़ में कुछ शीर्ष माओवादी नेताओं के मारे जाने की खबर है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है।
पुलिस महानिदेशक खुफिया महेश चंद्र लड्ढा ने विजयवाड़ा में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुठभेड़ की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि गोलीबारी जारी थी और विस्तृत जानकारी का इंतजार है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ और तेलंगाना से आंध्र प्रदेश में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे माओवादियों की खुफिया जानकारी मिलने के बाद उनकी गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही थी।
सोमवार से शुरू हुआ बड़ा ऑपरेशन
एडीजी लड्ढा ने बताया कि विशिष्ट सूचना के आधार पर सोमवार को ऑपरेशन शुरू किया गया था। 18 नवंबर की सुबह अल्लूरी सीताराम राजू जिले में मुठभेड़ हुई, जिसमें सीपीआई माओवादी केंद्रीय समिति के सदस्य हिडमा और पांच अन्य माओवादियों को मार गिराया गया।
खुफिया प्रमुख ने बताया कि इसी के तहत मंगलवार को एनटीआर, कृष्णा, एलुरु, काकीनाडा और कोनसीमा जिलों में 50 माओवादियों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किए गए लोगों में तीन विशेष जोनल समिति सदस्य, 23 प्लाटून सदस्य, पांच डिवीजनल समिति सदस्य और 19 क्षेत्र समिति सदस्य शामिल हैं।
माओवादी कमांडर मदवी हिडमा कौन था
मदवी हिडमा सीपीआई माओवादी की केंद्रीय समिति का सदस्य था और दंतेवाड़ा क्षेत्र समिति का महत्वपूर्ण नेता माना जाता था। उसके सिर पर एक करोड़ रुपये का इनाम था। हिडमा को कई सुरक्षा बलों पर हमलों और हिंसक घटनाओं का मास्टरमाइंड माना जाता था। उसकी मौत माओवादी संगठन के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है।
आम जनता को कोई नुकसान नहीं
महेश चंद्र लड्ढा ने जोर देकर कहा कि गिरफ्तारी करते समय पुलिस ने यह सुनिश्चित किया कि आम जनता को कोई नुकसान न हो। उन्होंने कहा, “संभवतः इतिहास में पहली बार हम इतनी बड़ी संख्या में माओवादियों को गिरफ्तार कर सके हैं, जिनमें महत्वपूर्ण कैडर भी शामिल हैं।”
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार माओवादियों से हथियारों और विस्फोटकों का बड़ा जखीरा बरामद किया गया है। उन्होंने इस सुरक्षा अभियान को आंध्र प्रदेश पुलिस की बड़ी सफलता बताया।
पांच जिलों में समन्वित कार्रवाई
यह ऑपरेशन पांच जिलों में समन्वित तरीके से चलाया गया। एनटीआर, कृष्णा, एलुरु, काकीनाडा और कोनसीमा जिलों में एक साथ छापेमारी की गई और माओवादियों को गिरफ्तार किया गया। इससे पता चलता है कि माओवादी अपने नेटवर्क को आंध्र प्रदेश के कई जिलों में फैला रहे थे।
एडीजी ने पांच जिलों के एसपी, आईजी और कमिश्नरों के साथ विजयवाड़ा में कमांड कंट्रोल सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए गिरफ्तारी का विवरण दिया।
खुफिया तंत्र की सफलता
यह ऑपरेशन खुफिया तंत्र की बड़ी सफलता है। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना से माओवादियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही थी। जब उनके आंध्र प्रदेश में घुसपैठ की योजना की सूचना मिली, तो तुरंत कार्रवाई की गई। सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर यह ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में माओवादियों को या तो मार गिराया गया या गिरफ्तार किया गया।
बरामद हथियार और विस्फोटक
गिरफ्तार माओवादियों से हथियारों और विस्फोटकों का बड़ा जखीरा बरामद किया गया है। इनमें एके-47 राइफल, इंसास राइफल, विभिन्न प्रकार के बम, गोला-बारूद और अन्य सामग्री शामिल है। यह सामग्री माओवादियों द्वारा बड़ी घटना को अंजाम देने की योजना का संकेत देती है।
पुलिस का मानना है कि इस बड़ी मात्रा में हथियार और विस्फोटक छत्तीसगढ़ से लाए गए थे और इनका उपयोग आंध्र प्रदेश में हिंसक गतिविधियों के लिए किया जाना था।
माओवादी गतिविधियों पर असर
इस बड़े ऑपरेशन से क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों पर गहरा असर पड़ने की उम्मीद है। शीर्ष कमांडर मदवी हिडमा की मौत और 50 से अधिक माओवादियों की गिरफ्तारी से संगठन की कमर टूटी है। यह घटना बताती है कि सुरक्षा बल माओवादियों की हर गतिविधि पर पैनी नजर रख रहे हैं।
छत्तीसगढ़ सीमा पर निगरानी
आंध्र प्रदेश की छत्तीसगढ़ से लगती सीमा माओवादी गतिविधियों के लिए संवेदनशील क्षेत्र रही है। घने जंगल और पहाड़ी इलाका माओवादियों के लिए आश्रय स्थल बन जाता है। लेकिन अब सुरक्षा बलों ने इन इलाकों में अपनी पैठ मजबूत की है और माओवादियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है।
स्थानीय लोगों की राहत
इस बड़े ऑपरेशन से स्थानीय लोगों को राहत मिली है। माओवादियों के डर से लोग अपनी दैनिक गतिविधियां करने में हिचकिचाते थे। अब सुरक्षा बलों की सक्रियता से उन्हें सुरक्षा का एहसास हो रहा है।
क्षेत्र के लोगों ने पुलिस के इस अभियान की सराहना की है और कहा है कि यह कदम विकास के लिए जरूरी था। माओवादी गतिविधियों के कारण क्षेत्र का विकास बाधित हो रहा था।
विकास कार्यों में तेजी की उम्मीद
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि माओवादी गतिविधियों में कमी आने से अब क्षेत्र में विकास कार्यों को गति मिलेगी। सड़क निर्माण, स्कूल, अस्पताल और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास हो सकेगा, जो माओवादी उपस्थिति के कारण रुके हुए थे।
तलाशी अभियान जारी
पुलिस सूत्रों के अनुसार, मेरेडुमिल्ली वन क्षेत्र में तलाशी अभियान अभी भी जारी है। मंगलवार को भागे 19 माओवादियों में से कुछ अभी भी जंगलों में छिपे हो सकते हैं। सुरक्षा बल पूरे क्षेत्र में कंघी अभियान चला रहे हैं।
इस अभियान में आंध्र प्रदेश पुलिस के अलावा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियां भी शामिल हैं। ड्रोन और अन्य आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए माओवादियों की तलाश की जा रही है।
सीमावर्ती राज्यों से समन्वय
आंध्र प्रदेश पुलिस ने छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की पुलिस के साथ समन्वय बढ़ा दिया है। तीनों राज्यों की पुलिस मिलकर सीमावर्ती क्षेत्रों में माओवादी गतिविधियों पर नजर रख रही है। इस समन्वय से माओवादियों के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में भागना मुश्किल हो गया है।
माओवादी संगठन पर बड़ा झटका
विशेषज्ञों का मानना है कि यह ऑपरेशन माओवादी संगठन के लिए बहुत बड़ा झटका है। केंद्रीय समिति के सदस्य मदवी हिडमा जैसे वरिष्ठ नेता की मौत और इतनी बड़ी संख्या में कैडर की गिरफ्तारी से संगठन की संरचना को गहरा धक्का लगा है।
यह घटना अन्य माओवादियों के लिए भी संदेश है कि सुरक्षा बलों ने अपनी क्षमता और तैयारी बढ़ा ली है। अब माओवादियों के लिए अपनी गतिविधियां चलाना पहले से कहीं अधिक मुश्किल हो गया है।
भर्ती और प्रशिक्षण पर असर
इतने बड़े नुकसान से माओवादियों की भर्ती और प्रशिक्षण गतिविधियां भी प्रभावित होंगी। वरिष्ठ नेताओं की कमी से नए कैडर को प्रशिक्षित करना मुश्किल हो जाएगा। इससे आने वाले समय में माओवादी ताकत में और कमी आने की संभावना है।
सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति
यह ऑपरेशन सरकार की माओवाद को समाप्त करने की मजबूत इच्छाशक्ति को दर्शाता है। पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों को बेहतर प्रशिक्षण, आधुनिक हथियार और तकनीक दी गई है। खुफिया तंत्र को मजबूत किया गया है।
इन सभी प्रयासों का परिणाम अब सामने आ रहा है। माओवादी गतिविधियां कमजोर हो रही हैं और सुरक्षा बलों का मनोबल ऊंचा है।
समर्पण नीति की भूमिका
आंध्र प्रदेश सरकार की समर्पण नीति भी माओवादियों को हथियार छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। जो माओवादी आत्मसमर्पण करते हैं, उन्हें पुनर्वास की सुविधा दी जाती है। यह नीति भी माओवादी ताकत को कमजोर करने में मदद कर रही है।
निष्कर्ष
आंध्र प्रदेश में चल रहा यह बड़ा सुरक्षा अभियान माओवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। दो दिनों में 12 माओवादियों की मौत और 50 से अधिक की गिरफ्तारी बताती है कि सुरक्षा बल पूरी तरह सक्रिय हैं। अब देखना यह होगा कि जारी तलाशी अभियान में और क्या परिणाम सामने आते हैं। स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि अब उनके क्षेत्र में शांति और विकास का दौर शुरू होगा।