प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन और सत्य साईं बाबा की सार्वभौमिक शिक्षाओं पर विस्तृत विचार
विश्व–बंधुत्व का जीता–जागता स्वरूप थे श्री सत्य साईं बाबा
पुट्टापर्थी में आयोजित श्री सत्य साईं बाबा के जन्म शताब्दी समारोह में बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बाबा का संपूर्ण जीवन “वसुधैव कुटुंबकम” की अद्वितीय भावना का प्रत्यक्ष उदाहरण था। उन्होंने कहा कि सत्य साईं बाबा ने अपनी आध्यात्मिक साधना, मानवीय सेवा और सार्वभौमिक प्रेम के माध्यम से विश्वभर में करोड़ों लोगों के जीवन को नई दिशा दी।
प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि आज 140 से अधिक देशों में बाबा के भक्त सेवा, करुणा और कर्तव्य की भावना के साथ समाज निर्माण में लगे हुए हैं। यह उनके उस प्रेरणादायी जीवन का प्रमाण है, जिसने किसी विशेष धर्म या पंथ की सीमाओं को पार कर मानवता को एक सूत्र में पिरोया।

सत्य साईं बाबा की वाणी आज भी देती है नई प्रेरणा
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा के उपदेश केवल आध्यात्मिक संदेश नहीं थे, बल्कि वे जीवन का व्यावहारिक दर्शन थे। उन्होंने कहा कि बाबा के प्रसिद्ध वाक्य—“माणव सेवा ही माधव सेवा है”, “हमेशा सहायता करो, कभी आघात मत पहुंचाओ”, “कम बोलो, अधिक काम करो”—आज भी समाज के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत बने हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि बाबा ने हमेशा प्रेम, अनुशासन, आत्म–संयम और सेवा को मानव जीवन का आधार माना। आज जब समाज अनेक चुनौतियों से गुजर रहा है, तब बाबा की ये शिक्षाएँ और भी प्रासंगिक हो जाती हैं।
स्मृति–सिक्का और डाक टिकट ने जीवन–सेवा की परंपरा को साकार किया
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के लिए यह सौभाग्य का क्षण है कि इस पावन अवसर पर श्री सत्य साईं बाबा के सम्मान में स्मृति–सिक्का और डाक टिकट जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये प्रतीक न केवल उनकी महान सेवाओं का सम्मान करते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी उनके जीवन–संदेश से परिचित कराएँगे।
आध्यात्मिकता और सेवा का अविभाज्य संबंध
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सभी दार्शनिक एवं आध्यात्मिक परंपराएं अंततः सेवा की भावना पर जाकर मिलती हैं। चाहे भक्ति का मार्ग हो, ज्ञान का मार्ग हो या कर्म का मार्ग—तीनों का केंद्र मानव–सेवा है। उन्होंने कहा कि “सेवा परमो धर्म:” की भावना ने भारत की सभ्यता को सदियों से सशक्त किया है।
सत्य साईं बाबा ने सेवा को मानव जीवन का सार बताया और इसे हर परिस्थिति में सर्वोच्च स्थान दिया। उन्होंने कहा कि वास्तविक भक्ति वही है, जिसमें प्रत्येक जीव में विद्यमान दिव्य तत्व की सेवा की जाए।
प्रधानमंत्री का भावनात्मक अनुभव और बाबा की आध्यात्मिक उपस्थिति
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस पावन भूमि पर आकर उन्हें भावनात्मक और आध्यात्मिक अनुभूति हुई। उन्होंने कहा कि सत्य साईं बाबा भले ही शारीरिक रूप से आज उपस्थित न हों, लेकिन उनका मार्गदर्शन, प्रेम और सेवा की भावना विश्वभर में करोड़ों लोगों के हृदयों में आज भी जीवित है।
उन्होंने कहा कि बाबा से एक बार मिलकर अनगिनत लोगों के जीवन बदल गए। यही किसी महान व्यक्तित्व की पहचान है।
त्रासदी के समय सत्य साईं संगठन की सेवा का उल्लेख
प्रधानमंत्री ने गुजरात भूकंप का उल्लेख करते हुए कहा कि उस कठिन समय में सत्य साईं सेवा दल और उनके स्वयंसेवक सबसे पहले राहत कार्यों में जुट गए थे। उन्होंने कई दिनों तक प्रभावित परिवारों को भोजन, सामग्री, भावनात्मक सहारा और आवश्यक सहायता प्रदान की।
उन्होंने कहा कि यही सेवा–भावना आज भी सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट के कार्यों में दिखाई देती है, जो जल–सुविधा, आवास, स्वास्थ्य, पोषण, नवीकरणीय ऊर्जा और आपदा राहत के क्षेत्रों में सराहनीय काम कर रहा है।
पशु–कल्याण पर विशेष ध्यान और गौ–दान समारोह
प्रधानमंत्री ने बताया कि सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट पशु–कल्याण पर भी विशेष ध्यान दे रहा है। उन्होंने गौ–दान कार्यक्रम में भाग लेते हुए कहा कि किसानों को गायें प्रदान करना न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में सेवा और कल्याण की परंपरा को भी जीवित रखता है।
उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि समारोह में वितरित की गई गायें गिर नस्ल की थीं, जो देश की श्रेष्ठ दुग्ध–उत्पादक नस्लों में से एक है।
सत्य साईं बाबा का वैश्विक संदेश: प्रेम, करुणा और समर्पित सेवा
संपूर्ण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने बार–बार इस तथ्य को रेखांकित किया कि सत्य साईं बाबा का जीवन किसी एक क्षेत्र, धर्म, जाति या देश तक सीमित नहीं था। उनका संदेश वैश्विक था—मानवता के प्रत्येक व्यक्ति को प्रेरित करने वाला।
उन्होंने कहा कि बाबा ने आध्यात्मिकता को सामाजिक कल्याण से जोड़कर एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत किया, जिसने विश्वभर में लोगों को सेवा और सद्भाव के लिए प्रेरित किया। यही कारण है कि आज भी उनकी शिक्षाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों के जीवन को दिशा दे रही हैं।
सत्य साईं बाबा की इसी व्यापक दृष्टि के कारण उनका जन्म शताब्दी वर्ष न केवल उनके अनुयायियों के लिए, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा का अवसर बन गया है।
यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।