धर्मस्थल सामूहिक कब्रकांड में बड़ा खुलासा, SIT चार्जशीट के साथ तैयार
कर्नाटक में धर्मस्थल हिंदू तीर्थस्थल से जुड़े कथित सामूहिक कब्र मामले में जांच का चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। धार्मिक स्थल से मिली कथित मानव अवशेषों और दुष्कर्म के बाद हत्या के दावों ने राज्य की राजनीति और समाज को हिला दिया था। अब इसी मामले में विशेष अनुसंधान दल यानी SIT ने 4000 पन्नों वाली विस्तृत चार्जशीट तैयार कर अदालत में पेश करने की तैयारी कर ली है। सबसे बड़ा खुलासा यह है कि जिन कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाए थे, वही अब आरोपी बनाए गए हैं।
कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने इस चार्जशीट के दाखिल होने की पुष्टि कर दी है। उनके अनुसार SIT को रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति दे दी गई है और अब यह मामला अदालत के सामने आएगा।
चार्जशीट में छह आरोपी, ‘मास्क मैन’ का बयान बना आधार
SIT की चार्जशीट में छह लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें ‘मास्क मैन’ कहे जाने वाले चिन्नैया का नाम सबसे प्रमुख है। SIT ने पाया कि कथित मुखबिर चिन्नैया ने लंबे समय तक पुलिस और जांच एजेंसियों को भ्रमित किया। अगस्त में हुई लंबी पूछताछ के बाद SIT ने निष्कर्ष निकाला कि आरोप झूठे थे और मामले को गलत दिशा दी गई।
चार्जशीट में चिन्नैया के विस्तृत बयान, 17 से अधिक स्थानों पर हुई खुदाई, बरामद हड्डियों के सैंपल, FSL रिपोर्ट की प्रतियां, वीडियो, फोटोग्राफ और अन्य दस्तावेज शामिल हैं।
सरकार को मिलेगी पूरी जानकारी, विधानसभा में पेश होंगी रिपोर्ट
गृह मंत्री परमेश्वर ने स्पष्ट किया कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद राज्य सरकार को इसकी विस्तृत जानकारी दी जाएगी और आने वाले विधायी सत्र में इस संवेदनशील मामले पर चर्चा होगी। सरकार का कहना है कि जब रिपोर्ट पूरी तरह सामने आएगी, तब असली सच्चाई उभरकर आएगी कि कथित साजिश क्या थी और इसके पीछे कौन लोग जिम्मेदार थे।धर्मस्थल हिंदू तीर्थ के रूप में बेहद महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। ऐसे पवित्र स्थल से जुड़े कथित सामूहिक कब्रकांड ने लोगों के मन में भय और संदेह दोनों पैदा कर दिए थे। आज जब SIT की चार्जशीट सामने आई है, तब यह सवाल और भी गंभीर रूप में सामने आ रहा है कि क्या धार्मिक स्थलों की प्रतिष्ठा को नष्ट करने के उद्देश्य से इस तरह के आरोप लगाए गए थे या सच में किसी बड़ी घटना की अनदेखी की गई।
जांच ने खोली कथित साजिश की परतें
मामला उस समय सुर्खियों में आया जब चिन्नैया ने दावा किया कि उसे महिलाओं और किशोरियों के साथ बलात्कार के बाद उनकी हत्या कर शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। इन दावों ने पूरे राज्य में भूचाल ला दिया। भारी दबाव के बीच SIT का गठन हुआ और कई स्थानों पर खुदाई की गई। एक जगह से एक पुरुष का कंकाल और हड्डियां बरामद हुईं, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए FSL भेजा गया।
बाद में चिन्नैया ने एक कथित खोपड़ी भी SIT को सौंपी, जिससे सनसनी और बढ़ गई। उसे गवाह संरक्षण अधिनियम के तहत सुरक्षा दी गई, लेकिन बाद में SIT ने उसे ही गिरफ्तार कर लिया और झूठी जानकारी देने का आरोपी बनाया।कथित मुखबिर चिन्नैया ने न केवल कथित कब्रों की जानकारी दी, बल्कि कई अवैज्ञानिक और बिना साक्ष्य वाले दावे भी किए। SIT की पूछताछ में कुछ दावे अस्पष्ट और विरोधाभासी पाए गए। कई स्थानों की खुदाई में कोई भी अवशेष नहीं मिले, जबकि कुछ जगहों से पुरुष कंकाल और हड्डियां मिलीं, जिनके अपहरण या दुष्कर्म से संबंध का कोई वैज्ञानिक प्रमाण फिलहाल सामने नहीं आया। इससे पता चलता है कि अफवाहों और लोक-कथाओं जैसा माहौल बनाकर जांच को भ्रमित किया गया।
उच्चस्तरीय बैठक और सियासी असर
कांग्रेस सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, गृह मंत्री परमेश्वर, राज्य पुलिस प्रमुख और SIT अधिकारियों की उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की। जांच को न्यायिक निगरानी में लाने की मांग भी की गई। सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जजों और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने SIT से सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट की निगरानी की मांग की थी।
आगे अदालत में सच्चाई की परीक्षा
अब मामला न्यायालय में है और चार्जशीट दाखिल होने के बाद सच्चाई अदालत में परखेगी जाएगी। फिलहाल SIT के निष्कर्षों ने इस मामले का रुख पूरी तरह बदल दिया है। जिस सनसनीखेज आरोप ने पूरे कर्नाटक को झकझोरा था, अब वही आरोप लगाने वाले निशाने पर हैं।
इस पूरे प्रकरण ने न केवल समाज को विचलित किया, बल्कि जांच एजेंसियों की गंभीरता, धार्मिक स्थलों की प्रतिष्ठा और राजनीतिक बयानबाजी पर भी सवाल खड़े किए। अब अदालत तय करेगी कि धर्मस्थल सामूहिक कब्रकांड वास्तव में एक भयावह अपराध था या किसी सोची-समझी साजिश का परिणाम।
यह समाचार IANS एजेंसी के इनपुट के आधार पर प्रकाशित किया गया है।