जरूर पढ़ें

हिंगोली: विधायक संतोष बांगर पर मतदान में गोपनीयता भंग करने का मामला दर्ज

Kalamnuri MLA Santosh Bangar : विधायक संतोष बांगर पर मतदान गोपनीयता भंग का आरोप दर्ज
Kalamnuri MLA Santosh Bangar : विधायक संतोष बांगर पर मतदान गोपनीयता भंग का आरोप दर्ज
हिंगोली जिले में 2 दिसंबर को नगर पालिका चुनाव के दौरान कलमनूरी विधायक संतोष बांगर पर मतदान की गोपनीयता भंग करने का गंभीर आरोप लगा है। मंगलवारा कन्या शाला के मतदान बूथ में विधायक ने कथित तौर पर नारेबाजी की और एक महिला मतदाता को मतदान चिन्ह बताया। दिलीप चव्हाण की शिकायत पर हिंगोली शहर पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है। पुलिस उप निरीक्षक महिपाले जांच कर रहे हैं। यह मामला चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल उठाता है।
Updated:

हिंगोली जिले में स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान एक गंभीर मामला सामने आया है। कलमनूरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक संतोष बांगर के खिलाफ मतदान की गोपनीयता भंग करने का आरोप लगा है। 2 दिसंबर को हिंगोली शहर नगर पालिका के चुनाव में मतदान के दौरान यह घटना सामने आई, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।

घटना का विवरण

2 दिसंबर को हिंगोली शहर नगर पालिका के लिए मतदान चल रहा था। मतदान प्रक्रिया के दौरान कलमनूरी विधायक संतोष बांगर मंगलवारा कन्या शाला में बनाए गए मतदान केंद्र पर पहुंचे। विधायक ने कमरे क्रमांक 2 में स्थित मतदान बूथ में प्रवेश किया और वहां कथित तौर पर मतदान की गोपनीयता को भंग किया। शिकायत के अनुसार, विधायक ने बूथ के अंदर नारेबाजी की और एक महिला मतदाता को मतदान चिन्ह बताया, जो कि चुनाव आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।

शिकायत और पुलिस कार्रवाई

इस घटना की शिकायत दिलीप चव्हाण ने हिंगोली शहर पुलिस थाने में दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी। वर्तमान में पुलिस उप निरीक्षक महिपाले इस मामले की जांच कर रहे हैं। पुलिस मतदान केंद्र पर मौजूद गवाहों के बयान दर्ज कर रही है और घटना की सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की जा रही है।

मतदान गोपनीयता का महत्व

लोकतंत्र में मतदान की गोपनीयता एक बुनियादी और महत्वपूर्ण सिद्धांत है। हर मतदाता को यह अधिकार है कि वह अपनी पसंद के उम्मीदवार को बिना किसी दबाव या प्रभाव के वोट दे सके। मतदान केंद्र पर गोपनीयता बनाए रखना चुनाव आयोग की प्राथमिकता होती है। इसी कारण मतदान बूथ में केवल मतदाता और चुनाव अधिकारियों को ही प्रवेश की अनुमति होती है।

विधायक पर लगे आरोपों की गंभीरता

एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि के खिलाफ ऐसे आरोप चिंताजनक हैं। विधायक होने के नाते संतोष बांगर से यह अपेक्षा की जाती है कि वे चुनाव कानूनों का पालन करें और आम नागरिकों के लिए एक उदाहरण स्थापित करें। मतदान केंद्र में प्रवेश कर नारेबाजी करना और मतदाता को मतदान चिन्ह बताना चुनाव आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन माना जाता है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

चुनाव आयोग के नियम

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, मतदान केंद्र पर किसी भी प्रकार की नारेबाजी, प्रचार या मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास सख्त रूप से प्रतिबंधित है। मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का चुनाव प्रचार नहीं किया जा सकता। मतदाताओं को यह अधिकार है कि वे अपनी पसंद के प्रत्याशी को स्वतंत्र रूप से वोट दें। किसी भी प्रकार का दबाव या प्रभाव चुनावी प्रक्रिया को दूषित करता है।

स्थानीय प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद स्थानीय राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इस मामले को गंभीरता से लेने और उचित कार्रवाई करने की मांग की है। कुछ स्थानीय नेताओं ने चुनाव आयोग से अपील की है कि इस मामले में स्वतंत्र जांच कराई जाए। वहीं, विधायक के समर्थकों का कहना है कि यह आरोप राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम हो सकते हैं।

कानूनी पहलू

मतदान की गोपनीयता भंग करना भारतीय दंड संहिता और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है। यदि कोई व्यक्ति मतदान केंद्र पर अनुचित प्रभाव डालने या गोपनीयता भंग करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे जुर्माना और कारावास दोनों की सजा हो सकती है। विधायक जैसे जनप्रतिनिधि के मामले में, यह और भी गंभीर माना जाता है क्योंकि उनसे कानून का पालन करने की विशेष जिम्मेदारी होती है।

जांच की दिशा

पुलिस उप निरीक्षक महिपाले के नेतृत्व में जांच जारी है। पुलिस मतदान केंद्र पर मौजूद सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और गवाहों के बयान दर्ज कर रही है। मतदान केंद्र की विडियो रिकॉर्डिंग की भी जांच की जा रही है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि विधायक ने वास्तव में मतदान केंद्र में क्या किया और क्या उन्होंने सचमुच गोपनीयता का उल्लंघन किया।

राजनीतिक प्रभाव

यह घटना स्थानीय राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। कलमनूरी विधानसभा क्षेत्र में विधायक संतोष बांगर की छवि पर इसका असर पड़ सकता है। विपक्षी दल इस मुद्दे को उठाकर विधायक की साख को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। आने वाले समय में यह मामला राजनीतिक बहस का विषय बन सकता है।

लोकतांत्रिक मूल्यों का सवाल

यह घटना लोकतांत्रिक मूल्यों और चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता से जुड़ा सवाल उठाती है। जनप्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान करें और चुनावी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोकें। यदि स्वयं विधायक पर ऐसे आरोप लगते हैं, तो यह चिंता का विषय है।

आगे की कार्रवाई

पुलिस जांच के बाद अपनी रिपोर्ट चुनाव आयोग और जिला प्रशासन को सौंपेगी। चुनाव आयोग इस मामले की समीक्षा कर सकता है और आवश्यक कार्रवाई का निर्णय ले सकता है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो विधायक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यह मामला यह भी तय करेगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है।

हिंगोली में हुई यह घटना यह दर्शाती है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और गोपनीयता बनाए रखना कितना जरूरी है। जनप्रतिनिधियों को चुनाव कानूनों का पालन करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। पुलिस जांच से सच्चाई सामने आएगी और न्याय की प्रक्रिया पूरी होगी। यह मामला आने वाले चुनावों के लिए एक सबक होगा।

Rashtra Bharat
Rashtra Bharat पर पढ़ें ताज़ा खेल, राजनीति, विश्व, मनोरंजन, धर्म और बिज़नेस की अपडेटेड हिंदी खबरें।

Asfi Shadab

Writer, thinker, and activist exploring the intersections of sports, politics, and finance.