राष्ट्र मंदिर निर्माण का मार्ग अब खुला: डॉ. मोहन भागवत
पुणे में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बन चुका है, जो पूरे विश्व के कल्याण का प्रतीक है। अब अगला बड़ा कार्य “राष्ट्र मंदिर” के निर्माण का है, जो पूरे देश को अधिक मजबूत, एकजुट और सामर्थ्यवान बनाएगा।
यह कार्यक्रम आदित्य प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित किया गया था। यह समारोह संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित कृतज्ञता सम्मान समारोह था। इस मंच पर समाज और राष्ट्र के लिए कार्य करने वाले कई प्रमुख व्यक्तित्व उपस्थित थे।
कार्यक्रम का आयोजन और मुख्य अतिथि
पुणे में हुआ कृतज्ञता समारोह
कृतज्ञता समारोह पुणे के कोथरूड क्षेत्र में स्थित यशवंतराव चव्हाण नाट्यगृह में आयोजित किया गया। यह समारोह आदित्य प्रतिष्ठान की ओर से आयोजित किया गया था, जो वर्षों से समाज और संस्कृति से जुड़े कार्यों में सक्रिय है।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में कांची कामकोटी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती स्वामी उपस्थित थे। उनके साथ आदित्य प्रतिष्ठान के अध्यक्ष शंकर अभ्यंकर और अपर्णा अभ्यंकर भी मंच पर मौजूद थे।
डॉ. मोहन भागवत को इस अवसर पर कृतज्ञता पुरस्कार भी प्रदान किया गया।

समाज की शक्ति से ही राष्ट्र शक्ति
संघ का कार्य उपकार नहीं बल्कि कर्तव्य: भागवत
कृतज्ञता पुरस्कार स्वीकार करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि संघ का कार्य अपने समाज के लिए सेवा है। इसमें न तो उपकार की भावना है और न ही अहंकार। उन्होंने कहा कि कठिन समय में समाज ने संघ को संभाला है, और उसी कारण संघ आज अधिक मजबूत हुआ है।
उन्होंने कहा कि यदि समाज संगठित होगा, तो राष्ट्र वैभवशाली बनेगा। और जब राष्ट्र सशक्त बनेगा, तभी विश्व में सुख और शांति संभव होगी।
डॉ. भागवत के अनुसार, राम मंदिर पूरी मानवता के कल्याण का प्रतीक है। लेकिन राष्ट्र को मजबूत बनाने का कार्य अब भी जारी है, और इस दिशा में हर नागरिक को अपनी भूमिका निभानी होगी।
भारतीय संस्कृति की वैश्विक शक्ति
हिंदू संस्कृति ने अनेक चुनौतियों के बाद भी अपना अस्तित्व बचाया
आदित्य प्रतिष्ठान के अध्यक्ष शंकर अभ्यंकर ने कहा कि दुनिया की कई संस्कृतियाँ आक्रमणों और अन्य संकटों से समाप्त हो गईं। लेकिन हिंदू संस्कृति आज भी जीवित है, क्योंकि यह पूरी वसुंधरा को एक परिवार मानती है।
उन्होंने कहा कि यह व्यापक सोच ही इस संस्कृति की सबसे बड़ी शक्ति है, जो इसे आज भी जीवंत और प्रभावी बनाए हुए है।
लोकतंत्र को मजबूत करने का संदेश
अच्छे लोगों को आगे आना होगा: शंकराचार्य
जगद्गुरु शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती स्वामी ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति अनेक काल से मानवता के कल्याण की दिशा दिखाती आई है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए समाज में अच्छे और जिम्मेदार लोगों को अधिक बल देना होगा।
उनके अनुसार, जब राष्ट्र की मूल भावना मजबूत होगी, तभी देश दुनिया के लिए उदाहरण बनेगा।
सांस्कृतिक प्रस्तुति से हुआ समापन
समारोह का समापन ‘निरंतर’ नामक रामायण आधारित नृत्य-नाट्य द्वारा किया गया। इस प्रस्तुति में रामायण के अनेक प्रसंग सरल और मन को छूने वाले रूप में प्रस्तुत किए गए।
कार्यक्रम के अंत में ‘वंदे मातरम्’ की प्रस्तुति ने पूरे सभागार को उत्साह से भर दिया। दर्शकों ने इस प्रस्तुति को खड़े होकर सम्मान दिया।
राष्ट्र मंदिर निर्माण का अर्थ
डॉ. भागवत द्वारा कही गई “राष्ट्र मंदिर” की बात केवल एक प्रतीक की तरह नहीं थी। इसका अर्थ है कि देश को हर क्षेत्र में मजबूत बनाना।
इसमें शामिल हैं:
-
समाज का एकजुट होना
-
सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान
-
हर व्यक्ति का राष्ट्रहित में योगदान
-
मजबूत लोकतंत्र
-
शिक्षित और जागरूक नागरिक
उनके अनुसार, इन सभी बातों का पालन करके ही भारत अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में दुनिया के सामने उभर सकता है।
जनता की भूमिका महत्वपूर्ण
डॉ. भागवत ने कहा कि राम मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि आत्मविश्वास का प्रतीक है। इसी आत्मविश्वास के साथ अब राष्ट्र निर्माण करना होगा।
उन्होंने कहा कि यह कार्य सरकारों, संस्थाओं या कुछ लोगों से नहीं होगा, बल्कि पूरे समाज की संयुक्त शक्ति से ही संभव होगा।
हर व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार राष्ट्र निर्माण के कार्य में योगदान देना चाहिए।