देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइन इंडिगो में चल रहे परिचालन संकट के बीच केंद्र सरकार ने यात्रियों के हित में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने उन एयरलाइनों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए हवाई किरायों पर नियंत्रण लगाने का आदेश जारी किया है जो इस संकट का फायदा उठाकर यात्रियों से अत्यधिक शुल्क वसूल रही थीं। यह निर्णय उस समय आया है जब देशभर के कई मार्गों पर हवाई टिकटों की कीमतें सामान्य से तीन से चार गुना तक बढ़ गई थीं।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान परिस्थितियों में जब यात्रियों के पास सीमित विकल्प हैं, तब एयरलाइनों द्वारा मनमाने तरीके से किराये बढ़ाना किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। इस फैसले के तहत सभी विमान सेवा कंपनियों को तुरंत प्रभाव से निर्धारित किराया सीमाओं का पालन करना होगा।
संकट की पृष्ठभूमि और सरकारी हस्तक्षेप
इंडिगो में तकनीकी और परिचालन संबंधी समस्याओं के कारण पिछले कुछ दिनों से कई उड़ानें रद्द हो रही थीं। इस स्थिति का सीधा असर देश के प्रमुख शहरों को जोड़ने वाले मार्गों पर पड़ा। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोलकाता जैसे व्यस्त मार्गों पर अचानक टिकटों की कीमतें आसमान छूने लगीं।
एक सामान्य यात्री जो दिल्ली से मुंबई का टिकट सामान्यतः पांच से छह हजार रुपये में खरीदता था, उसे अचानक पंद्रह से बीस हजार रुपये तक चुकाने पड़ रहे थे। इस स्थिति से आम नागरिक, खासकर वे लोग जो आपातकालीन कारणों से यात्रा कर रहे थे, बुरी तरह प्रभावित हुए।
सोशल मीडिया पर यात्रियों की शिकायतें बढ़ने के बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने तत्काल संज्ञान लिया और एयरलाइनों के साथ बैठक की। मंत्रालय ने पाया कि कुछ कंपनियां इस संकट का अनुचित लाभ उठा रही थीं।
नए नियम और किराया सीमा
सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, सभी एयरलाइनों को अब एक निर्धारित किराया ढांचे के भीतर ही टिकट बेचने होंगे। यह सीमा मार्ग की दूरी, समय और सामान्य मांग के आधार पर तय की गई है।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि किराये में वृद्धि की कोई भी कोशिश नियामक कार्रवाई को आमंत्रित करेगी। इस व्यवस्था को तब तक जारी रखा जाएगा जब तक परिचालन पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाता।
विशेष रूप से उन मार्गों पर जहां इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी अधिक है, वहां अन्य एयरलाइनों को भी इस नियम का पालन सुनिश्चित करना होगा। यह कदम बाजार में एकाधिकार और मूल्य हेरफेर को रोकने के लिए उठाया गया है।
यात्रियों को कैसे मिलेगी राहत
इस फैसले से सबसे अधिक लाभ उन यात्रियों को होगा जो निम्नलिखित श्रेणियों में आते हैं:
वरिष्ठ नागरिक जिन्हें चिकित्सा या पारिवारिक कारणों से तत्काल यात्रा करनी पड़ती है, अब उन्हें अत्यधिक किराया नहीं देना होगा। छात्र जो शिक्षा या परीक्षा के लिए शहरों के बीच आवाजाही करते हैं, उनके लिए यह राहत की बात है।
मरीज और उनके परिजन जो इलाज के लिए एक शहर से दूसरे शहर जाते हैं, उन्हें अब उचित दर पर टिकट मिल सकेंगे। व्यावसायिक यात्री जो नियमित रूप से काम के सिलसिले में उड़ानें भरते हैं, उनकी यात्रा लागत नियंत्रित रहेगी।
मंत्रालय ने सभी ऑनलाइन यात्रा पोर्टलों और बुकिंग प्लेटफॉर्म्स को भी निर्देश दिया है कि वे किसी भी प्रकार की छिपी हुई फीस या अनावश्यक शुल्क नहीं जोड़ें।
निगरानी तंत्र और कार्रवाई
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक मजबूत निगरानी तंत्र स्थापित किया है। इसके तहत वास्तविक समय में सभी मार्गों पर किरायों की निगरानी की जाएगी। एयरलाइनों और ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियों के साथ सीधा समन्वय रखा जा रहा है।
यदि किसी कंपनी द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक किराया वसूला जाता है, तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। इसमें जुर्माना, चेतावनी और गंभीर मामलों में लाइसेंस रद्द करने तक की कार्रवाई शामिल हो सकती है।
मंत्रालय ने एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है जहां यात्री अत्यधिक किराये की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। प्रत्येक शिकायत की जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने पर एयरलाइन के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
उद्योग की प्रतिक्रिया
इस फैसले पर विमानन उद्योग की मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है। कुछ एयरलाइनों ने इसे स्वीकार करते हुए कहा है कि वे पहले से ही जिम्मेदार मूल्य निर्धारण का पालन कर रही हैं। वहीं कुछ कंपनियों ने कहा है कि मांग और आपूर्ति के सिद्धांत के अनुसार किराया तय करना उनका अधिकार है।
हालांकि, उपभोक्ता संगठनों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उनका कहना है कि संकट के समय यात्रियों का शोषण रोकना सरकार की जिम्मेदारी है और यह फैसला सही दिशा में उठाया गया कदम है।
भविष्य की रणनीति
मंत्रालय ने संकेत दिया है कि यदि भविष्य में भी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो तुरंत हस्तक्षेप किया जाएगा। एक दीर्घकालिक नीति पर भी काम चल रहा है जो संकट के दौरान स्वचालित रूप से किराया नियंत्रण लागू कर सके।
साथ ही, एयरलाइनों की परिचालन क्षमता बढ़ाने और तकनीकी समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए भी दिशानिर्देश तैयार किए जा रहे हैं। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में ऐसे संकट न आएं और यदि आएं तो उनका प्रभाव न्यूनतम हो।
यह फैसला न केवल वर्तमान संकट का समाधान है, बल्कि विमानन क्षेत्र में उचित प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।