नागपुर में हुआ लोकराज्य पत्रिका के दुर्लभ अंकों का डिजिटल लोकार्पण
महाराष्ट्र राज्य के गठन के बाद से लेकर अब तक की विकास यात्रा को समेटे हुए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज अब जल्द ही डिजिटल माध्यम से सभी के लिए उपलब्ध होगा। लोकराज्य पत्रिका, जो पिछले सात दशकों से राज्य की प्रशासनिक और नीतिगत निर्णयों का लेखा-जोखा रखती आई है, अब आधुनिक तकनीक के साथ जुड़कर एक नया रूप लेने जा रही है। जानकारी एवं जनसंपर्क महानिदेशालय के प्रधान सचिव तथा महानिदेशक ब्रिजेश सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह ऐतिहासिक पत्रिका शीघ्र ही गूगल और अन्य डिजिटल मंचों पर उपलब्ध होगी।
नागपुर के विधान भवन परिसर में हिवाळी अधिवेशन के दौरान आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में लोकराज्य पत्रिका के दुर्लभ अंकों की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर प्रधान सचिव ब्रिजेश सिंह ने प्रथम चरण में 50 दुर्लभ अंकों को डिजिटल रूप में लोकार्पित किया। यह कदम महाराष्ट्र के इतिहास को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

लोकराज्य पत्रिका का महत्व और इतिहास
महाराष्ट्र की स्थापना के बाद से ही लोकराज्य पत्रिका राज्य के लोक प्रशासन का दर्पण रही है। इस पत्रिका में समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय, नीतिगत बदलाव, विकास योजनाएं और ऐतिहासिक घटनाओं का विस्तृत विवरण प्रकाशित किया जाता रहा है। यह पत्रिका न केवल प्रशासनिक दस्तावेज है, बल्कि महाराष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास की कहानी भी बयान करती है।
पिछले सात दशकों में राज्य में हुए विकास के विभिन्न आयाम, जनकल्याण के लिए बनाई गई योजनाएं और लोगों के जीवन में आए बदलावों को इस पत्रिका के माध्यम से समझा जा सकता है। यह दस्तावेज महाराष्ट्र के लोक प्रशासन की पारदर्शिता और जवाबदेही का प्रतीक भी रहा है।
शोधकर्ताओं के लिए अनमोल खजाना
राज्यशास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र और लोक प्रशासन के क्षेत्र में शोध करने वाले विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए लोकराज्य पत्रिका के अंक अत्यंत मूल्यवान संदर्भ सामग्री हैं। महाराष्ट्र राज्य द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णयों और प्रशासनिक सुधारों को समझने के लिए यह पत्रिका प्रामाणिक स्रोत मानी जाती है।
अब तक इन दुर्लभ अंकों तक पहुंच सीमित थी और केवल कुछ पुस्तकालयों या सरकारी कार्यालयों में ही ये उपलब्ध थे। लेकिन डिजिटलीकरण के बाद देश-विदेश में कहीं भी बैठे शोधकर्ता इन अंकों का अध्ययन कर सकेंगे। यह कदम ज्ञान के लोकतंत्रीकरण की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।

डिजिटल युग में परंपरा का संरक्षण
आज के डिजिटल युग में पुराने दस्तावेजों और पत्रिकाओं का संरक्षण एक चुनौती है। कागज समय के साथ खराब हो जाते हैं और दुर्लभ अंक नष्ट होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में डिजिटलीकरण न केवल इन अमूल्य दस्तावेजों को सुरक्षित रखने का माध्यम है, बल्कि उन्हें व्यापक पाठक वर्ग तक पहुंचाने का भी सशक्त जरिया है।
महानिदेशक ब्रिजेश सिंह ने बताया कि यह केवल शुरुआत है। प्रथम चरण में 50 अंकों को डिजिटल रूप में उपलब्ध कराया गया है, लेकिन आने वाले समय में सभी पुराने अंकों को डिजिटल मंच पर लाया जाएगा। गूगल और अन्य ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से कोई भी व्यक्ति इन अंकों को खोज सकेगा और पढ़ सकेगा।
कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारीगण
विधान भवन परिसर में आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में जानकारी एवं जनसंपर्क विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। प्रभारी उपसचिव अजय भोसले, संचालक प्रशासन किशोर गांगुर्डे, नागपुर विभाग के संचालक गणेश मुळे, संचालक वृत्त गोविंद अहंकारी, कक्ष अधिकारी युवराज सोरेगावकर और जिला सूचना अधिकारी विनोद रापतवार ने इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
सभी अधिकारियों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह महाराष्ट्र के इतिहास को संरक्षित रखने और आधुनिक पीढ़ी तक पहुंचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस डिजिटल पहल से न केवल शोधकर्ताओं को मदद मिलेगी, बल्कि आम नागरिक भी अपने राज्य के इतिहास और विकास यात्रा से परिचित हो सकेंगे।
राष्ट्रीय स्तर पर महाराष्ट्र की पहचान
महाराष्ट्र का लोक प्रशासन और राज्य स्तर पर लिए गए नीतिगत निर्णय पूरे देश में चर्चा का विषय रहते हैं। कई बार महाराष्ट्र द्वारा शुरू की गई योजनाएं और सुधार अन्य राज्यों के लिए मॉडल बनते हैं। ऐसे में लोकराज्य पत्रिका का डिजिटल होना न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है।
राज्य की प्रशासनिक पारदर्शिता, नीतिगत स्पष्टता और जनकल्याण के प्रति समर्पण को समझने के लिए यह पत्रिका एक प्रामाणिक माध्यम रही है। अब जब यह विश्वभर में उपलब्ध होगी, तो महाराष्ट्र की प्रशासनिक उत्कृष्टता की कहानी वैश्विक मंच पर भी पहुंचेगी।
भविष्य की योजनाएं
जानकारी एवं जनसंपर्क विभाग की योजना है कि आने वाले समय में लोकराज्य के सभी अंकों को डिजिटल रूप में परिवर्तित किया जाए। साथ ही, इन अंकों को विभिन्न भाषाओं में भी उपलब्ध कराने पर विचार किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक लोग इस ज्ञान भंडार का लाभ उठा सकें।
विभाग मोबाइल एप्लिकेशन विकसित करने की भी योजना बना रहा है, जिससे स्मार्टफोन उपयोगकर्ता आसानी से इन अंकों को पढ़ सकेंगे। यह पहल डिजिटल इंडिया मिशन के अनुरूप है और ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम बनेगी।