नागपुर में 50 साल पुराने संघर्ष का अंत
नागपुर शहर के जयताला इलाके में रहने वाले हजारों लोगों के लिए खुशी की खबर आई है। पिछले पांच दशकों से झुडपी जंगल की जमीन पर रह रहे नागरिकों को अब मालिकाना हक मिलने जा रहा है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने खुद यह घोषणा की है कि रामाबाई आंबेडकर नगर और एकात्मता नगर के लोगों को जल्द ही जमीन के पट्टे दिए जाएंगे। यह फैसला उन परिवारों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जो सालों से अपने घरों के कानूनी अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने दिया ठोस आश्वासन
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज एक कार्यक्रम में झोपड़पट्टी में रहने वाले लोगों को पट्टे देते हुए कहा कि झुडपी जंगल की जमीन को लेकर जो लड़ाई पचास साल से चल रही थी, वह अब पूरी तरह खत्म हो गई है। उन्होंने बताया कि इस मामले को सात प्रधानमंत्रियों के समय में कई बार उठाया गया था। अलग-अलग तरह के आवेदन भेजे गए, लेकिन किसी भी सरकार ने इस समस्या को हल नहीं किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले आठ सालों से उन्होंने इस मुद्दे को लगातार उठाया और सर्वोच्च न्यायालय तक इसे ले गए।
फडणवीस ने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट ने इन लोगों को मालिकाना हक देने की अनुमति दे दी है। सरकार इन इलाकों में रहने वाले लोगों को हर तरह की सुविधा देने के लिए प्रयासरत है। यह घोषणा उन हजारों परिवारों के लिए सपना साकार होने जैसी है जो अपनी ही जमीन पर पराए की तरह रह रहे थे।
50 साल का लंबा इंतजार
झुडपी जंगल की जमीन पर बसे लोगों का संघर्ष आज का नहीं है। यह कहानी पचास साल पुरानी है। नागपुर के जयताला इलाके में रामाबाई आंबेडकर नगर और एकात्मता नगर में बसे गरीब परिवारों ने अपना घर बनाया और यहीं अपना जीवन बिताया। लेकिन जमीन पर उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं था। वन विभाग इस जमीन को अपनी संपत्ति मानता था और लोगों को यहां से हटाने की कोशिश करता रहा।
इन लोगों ने कई बार अलग-अलग सरकारों से गुहार लगाई। सात प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में अनगिनत आवेदन दिए गए। विधायकों, मंत्रियों और अधिकारियों के पास जाकर अपनी समस्या बताई। लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी। कभी फाइलें अटकीं तो कभी कानूनी पेचीदगियां आड़े आईं। लेकिन इन लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार अपनी मांग उठाते रहे।
पारेंद्र पटले की मेहनत रंग लाई
इस पूरे मामले में जयताला प्रभाग के युवा नेता पारेंद्र पटले की भूमिका बेहद अहम रही है। भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष पारेंद्र पटले ने इन नागरिकों की समस्या को गंभीरता से लिया। उन्होंने रामाबाई आंबेडकर नगर और एकात्मता नगर के सभी निवासियों से मिलकर जरूरी कागजात तैयार करवाए। हर परिवार से आवेदन भरवाकर उन्हें संबंधित सरकारी दफ्तरों में जमा कराया।
पटले ने इस काम को अपनी जिम्मेदारी समझकर पूरी ईमानदारी से किया। उन्होंने सभी जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा करवाया और फाइलों को आगे बढ़ाने के लिए लगातार मेहनत की। उनकी इस कोशिश का नतीजा अब सामने आ रहा है। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद पटले की मेहनत रंग लाई है और अब लोगों को जल्द ही उनके घरों के पट्टे मिलने की उम्मीद है।
सुप्रीम कोर्ट से मिली मंजूरी
यह मामला केवल राज्य स्तर पर नहीं रुका। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया। पिछले आठ सालों में उन्होंने इस मुद्दे को लगातार उठाया और कानूनी लड़ाई लड़ी। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई की और आखिरकार झुडपी जंगल की जमीन पर बसे लोगों को मालिकाना हक देने की अनुमति दे दी।
यह फैसला ऐतिहासिक है क्योंकि वन भूमि पर बसे लोगों को अधिकार देना आसान काम नहीं था। कई कानूनी पेचीदगियां थीं। वन कानून के तहत इस तरह की जमीन पर किसी को भी स्थायी अधिकार देना मुश्किल होता है। लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखा और अदालत ने जनहित को देखते हुए फैसला सुनाया।
अगले चरण में मिलेंगे पट्टे
मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि अगले चरण में रामाबाई आंबेडकर नगर और एकात्मता नगर के सभी पात्र नागरिकों को जमीन के पट्टे दिए जाएंगे। इसके लिए सरकार तेजी से काम कर रही है। सभी जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी हो चुकी है। अब बस औपचारिक प्रक्रियाएं बाकी हैं, जिन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा।
पारेंद्र पटले ने पहले से ही सभी लोगों के आवेदन और दस्तावेज तैयार करवा दिए हैं। इससे काम में तेजी आएगी और लोगों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सरकारी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस काम को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करें।
लोगों में खुशी की लहर
इस खबर के बाद रामाबाई आंबेडकर नगर और एकात्मता नगर में खुशी की लहर दौड़ गई है। लोग एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं। जिन परिवारों ने पचास साल तक अनिश्चितता में जीवन गुजारा, वे अब अपने घर के मालिक बनने वाले हैं। यह उनके लिए जीवन का सबसे बड़ा तोहफा है।
कई बुजुर्गों ने कहा कि उन्होंने अपने जीवनकाल में यह दिन देखने की उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन अब उनका सपना पूरा होने जा रहा है। उनके बच्चे और पोते-पोतियों को अब किसी से डरने की जरूरत नहीं होगी। वे कानूनी तौर पर अपने घर के मालिक होंगे।
सरकार देगी विकास की सुविधाएं
मुख्यमंत्री फडणवीस ने यह भी आश्वासन दिया है कि सरकार इन इलाकों में रहने वाले लोगों को हर तरह की सुविधा देगी। पट्टे मिलने के बाद यहां विकास के काम भी तेजी से होंगे। सड़कें बनेंगी, पानी की व्यवस्था होगी, बिजली के कनेक्शन दिए जाएंगे और स्वास्थ्य एवं शिक्षा की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
अब तक ये इलाके झुग्गी-झोपड़ी की तरह थे जहां कोई विकास नहीं हो पाया था। लेकिन अब जब लोगों को मालिकाना हक मिल जाएगा तो सरकार यहां पक्के मकान, नाली, सड़क और अन्य बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करेगी। इससे इन इलाकों का पूरा चेहरा बदल जाएगा।
राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिणाम
यह मामला इस बात का सबूत है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो कोई भी समस्या हल हो सकती है। पचास साल से अटकी समस्या को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी मेहनत और लगन से हल किया। उन्होंने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और सुप्रीम कोर्ट तक ले गए। पारेंद्र पटले जैसे युवा नेताओं ने जमीनी स्तर पर काम करके इस मुद्दे को आगे बढ़ाया।
यह जीत केवल एक इलाके के लोगों की नहीं है, बल्कि उन सभी गरीब और वंचित लोगों की है जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह उदाहरण दूसरे राज्यों और शहरों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है जहां लोग इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं।
नई उम्मीद का संदेश
रामाबाई आंबेडकर नगर और एकात्मता नगर के लोगों के लिए यह महज एक सरकारी घोषणा नहीं है। यह उनके जीवन में नई उम्मीद और विश्वास का संदेश है। अब उन्हें यह डर नहीं रहेगा कि कभी भी उन्हें उनके घर से बेदखल किया जा सकता है। उनके बच्चे अच्छी शिक्षा ले सकेंगे, उनके घरों में बिजली और पानी की सुविधा होगी और वे सम्मान के साथ जीवन जी सकेंगे।
यह निर्णय नागपुर के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। हजारों परिवारों की किस्मत बदलने वाली है। पचास साल की लड़ाई का यह सुखद अंत पूरे समाज के लिए खुशी की बात है।