UP CM Yogi Meeting: उत्तर प्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक गलियारों में आज की तारीख काफी खास मानी जा रही है. दरअसल आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक ऐसी अहम समीक्षा बैठक करने जा रहे हैं, जिसे केवल औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि सरकार की कार्यशैली और आने वाले महीनों की दिशा तय करने वाला कदम माना जा रहा है। दोपहर 3:30 बजे शुरू होने वाली इस बैठक में सरकार और प्रशासन के शीर्ष स्तर के सभी जिम्मेदार चेहरे एक ही मंच पर होंगे।
यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है, जब संगठनात्मक स्तर पर भारतीय जनता पार्टी में हाल ही में बदलाव हुए हैं और सरकार से भी अब तेज फैसलों की अपेक्षा की जा रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह बैठक केवल रिपोर्ट देखने तक सीमित नहीं रहने वाली, बल्कि इसमें कामकाज की गुणवत्ता, निर्णयों की गति और अधिकारियों की जवाबदेही का सख्त आकलन किया जाएगा।
प्रतिनिधि भेजने की सख्त मनाही
इस बैठक की सबसे अहम बात यही है कि मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि कोई भी मंत्री या अधिकारी अपने स्थान पर प्रतिनिधि नहीं भेज सकता। सभी को स्वयं उपस्थित रहना होगा। प्रदेश सरकार के सभी कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री बैठक में शामिल होंगे। इसके साथ ही मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सभी विभागीय सचिवों को अनिवार्य रूप से बुलाया गया है।
मुख्यमंत्री ने यह संदेश स्पष्ट रूप से दे दिया है कि अब जवाबदेही व्यक्तिगत होगी। जिन योजनाओं की जिम्मेदारी जिस विभाग के पास है, उसी विभाग के शीर्ष अधिकारी को उसकी प्रगति और देरी दोनों का जवाब देना होगा। सभी को बैठक से कम से कम 15 मिनट पहले पहुंचने का निर्देश दिया गया है, ताकि बैठक समय पर और व्यवस्थित ढंग से शुरू हो सके।
तैयारी के साथ आने का आदेश
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे केवल आंकड़े लेकर नहीं, बल्कि ठोस कार्ययोजना के साथ बैठक में आएं। प्रत्येक विभाग को यह बताना होगा कि अब तक क्या किया गया, कहां रुकावट आई और आगे की रणनीति क्या है। लंबित प्रस्तावों, अटकी फाइलों और अधूरी योजनाओं पर विशेष फोकस रहने की संभावना है।
विकास योजनाओं की होगी कड़ी समीक्षा
बैठक का मुख्य एजेंडा प्रदेश की विकास योजनाएं हैं। सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और शहरी-ग्रामीण विकास से जुड़ी परियोजनाओं की स्थिति पर मुख्यमंत्री स्वयं नजर डालेंगे। जिन योजनाओं के लिए समयसीमा तय की गई थी, उनमें हुई देरी के कारणों की भी गहन समीक्षा की जाएगी।
मुख्यमंत्री यह स्पष्ट संकेत देना चाहते हैं कि विकास कार्यों में सुस्ती या फाइलों में अटकाव अब स्वीकार नहीं किया जाएगा। जिन परियोजनाओं का सीधा संबंध आम जनता से है, उनमें किसी भी तरह की लापरवाही को गंभीरता से लिया जा सकता है।
एक्शन मोड में सरकार का संकेत
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह बैठक सरकार के एक्शन मोड में आने का स्पष्ट संकेत है। संगठन में हालिया फेरबदल के बाद अब सरकार भी अपनी कार्यप्रणाली को और धार देने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले भी कई मौकों पर अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दे चुके हैं कि परिणाम ही प्राथमिकता है, बहाने नहीं।
इस बैठक के जरिए यह भी तय किया जा सकता है कि किन विभागों की कार्यशैली संतोषजनक है और किन विभागों को सुधार की जरूरत है। कमजोर प्रदर्शन करने वाले विभागों से स्पष्टीकरण मांगे जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
बजट और नए प्रस्तावों पर मंथन
बैठक में बजट प्रावधानों के उपयोग की भी समीक्षा होगी। जिन योजनाओं के लिए धन स्वीकृत किया गया था, उसका सही उपयोग हुआ या नहीं, यह सवाल भी उठ सकता है। मुख्यमंत्री यह जानना चाहेंगे कि विकास के लिए दिए गए संसाधनों का वास्तविक लाभ जनता तक पहुंचा या नहीं।
इसके अलावा कुछ नई योजनाओं और प्रस्तावों पर भी चर्चा संभव है। खासकर उन क्षेत्रों में, जहां सरकार अगले कुछ महीनों में ठोस परिणाम दिखाना चाहती है।
संभावित मंत्रिमंडल विस्तार से जुड़ा संकेत
राजनीतिक हलकों में इस बैठक को संभावित मंत्रिमंडल विस्तार से भी जोड़कर देखा जा रहा है। खरमास के बाद मंत्रिमंडल में बदलाव की चर्चाएं पहले से चल रही हैं। ऐसे में यह बैठक मंत्रियों और विभागों के प्रदर्शन का आकलन करने का एक अवसर भी हो सकती है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार और संगठन दोनों स्तर पर क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन साधने की कोशिश की जा रही है। यह बैठक यह संकेत दे सकती है कि सरकार आगे किन क्षेत्रों और वर्गों पर विशेष ध्यान देने वाली है।
आने वाले दिनों की दिशा तय करेगी बैठक
कुल मिलाकर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह समीक्षा बैठक उत्तर प्रदेश सरकार के लिए बेहद अहम मानी जा रही है। यह केवल वर्तमान स्थिति की समीक्षा नहीं, बल्कि आने वाले महीनों की प्राथमिकताएं तय करने का मंच भी है। प्रशासनिक सख्ती, तेज फैसले और जवाबदेही तय करना इस बैठक का मूल उद्देश्य माना जा रहा है।
अब सबकी नजर इस पर टिकी है कि बैठक के बाद किन विभागों को लेकर सख्त संदेश जाता है और किन योजनाओं को नई रफ्तार देने के निर्देश दिए जाते हैं।