भारतीय कला और मूर्तिकला जगत के लिए यह एक दुखद दिन है। देश के सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित शिल्पकार राम वनजी सुतार का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। राम सुतार वही कलाकार थे जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण किया था। उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। कला प्रेमी और राजनीतिक जगत के लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
राम सुतार का जन्म 1930 में महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में 60 वर्षों से अधिक समय तक मूर्तिकला की सेवा की। उनकी बनाई हुई मूर्तियां आज पूरे देश में लगी हुई हैं। सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
राम सुतार का शुरुआती जीवन और संघर्ष
राम सुतार का बचपन बहुत साधारण परिवार में बीता। उनके पिता एक साधारण कारीगर थे। बचपन से ही राम को मिट्टी से खेलना और उससे कुछ बनाना पसंद था। उन्होंने अपनी प्रतिभा को पहचाना और मुंबई के जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स में पढ़ाई की। यहीं से उनके जीवन की असली यात्रा शुरू हुई।
शुरुआती दिनों में उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। काम की तलाश में वह एक जगह से दूसरी जगह भटकते रहे। लेकिन उनके हुनर और मेहनत ने धीरे-धीरे उन्हें पहचान दिलाई। उन्होंने छोटी-छोटी मूर्तियों से शुरुआत की और फिर बड़े स्मारकों का निर्माण करने लगे।
देश भर में फैली उनकी कला
राम सुतार की बनाई हुई मूर्तियां पूरे भारत में देखी जा सकती हैं। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और कई अन्य शहरों में उनकी कलाकृतियां लगी हुई हैं। उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर, छत्रपति शिवाजी महाराज और कई अन्य महापुरुषों की मूर्तियां बनाईं।
संसद भवन के बाहर लगी कई मूर्तियां भी उन्हीं की देन हैं। उनकी हर मूर्ति में जीवंतता और भावनाओं की गहराई दिखाई देती है। लोग कहते हैं कि उनकी बनाई मूर्तियां सिर्फ पत्थर या धातु की नहीं होतीं, बल्कि उनमें जीवन होता है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी – एक अमर कृति
राम सुतार की सबसे बड़ी पहचान स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है। गुजरात में नर्मदा नदी के किनारे बनी यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। यह सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है। इस प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर है, जो अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी ऊंची है।
इस प्रतिमा को बनाने में करीब पांच साल का समय लगा। राम सुतार ने इसे बनाने के लिए पूरे देश से लोहा इकट्ठा किया था। किसानों के औजारों से लेकर पुराने लोहे के सामान तक, सब कुछ इस प्रतिमा में शामिल किया गया। यह प्रतिमा एकता का प्रतीक है और आज यह भारत की शान बन चुकी है।
पुरस्कार और सम्मान
राम सुतार को उनके काम के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले। भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित किया। कला जगत में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। विदेशों में भी उनकी कला की सराहना हुई।
उन्होंने अपने जीवन में 50 से अधिक देशों की यात्रा की और वहां की कला संस्कृति को समझा। लेकिन उनका दिल हमेशा भारतीय कला और परंपरा में ही बसा रहा। वह कहते थे कि भारतीय मूर्तिकला की अपनी एक अलग पहचान है जिसे दुनिया को दिखाना जरूरी है।
परिवार और व्यक्तिगत जीवन
राम सुतार के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी थीं। उनके बेटे अनिल सुतार भी एक प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। पिता-पुत्र ने मिलकर कई बड़ी परियोजनाओं पर काम किया। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण में भी अनिल सुतार ने अपने पिता का साथ दिया था।
राम सुतार बहुत सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। प्रसिद्धि और सम्मान के बावजूद वह हमेशा जमीन से जुड़े रहे। वह अपने काम को ही अपनी पूजा मानते थे। सुबह जल्दी उठना और देर रात तक काम करना उनकी आदत थी।
कला जगत में योगदान
राम सुतार ने सिर्फ मूर्तियां ही नहीं बनाईं, बल्कि नई पीढ़ी के कलाकारों को भी प्रेरित किया। उन्होंने कई युवा मूर्तिकारों को प्रशिक्षण दिया। वह कहते थे कि कला को जीवित रखने के लिए नई पीढ़ी को आगे आना होगा।
उन्होंने नोएडा में अपना स्टूडियो बनाया था जहां वह अपने काम में लगे रहते थे। यह स्टूडियो आज भी कला प्रेमियों के लिए एक तीर्थ स्थल की तरह है। यहां उनकी कई अधूरी कलाकृतियां भी रखी हुई हैं।
अंतिम दिन और श्रद्धांजलि
राम सुतार का स्वास्थ्य कुछ समय से खराब चल रहा था। उम्र के कारण उन्हें कई शारीरिक समस्याएं थीं। लेकिन अंतिम समय तक वह अपने काम के प्रति समर्पित रहे। उनका निधन नोएडा में उनके आवास पर हुआ।
उनके निधन की खबर सुनते ही प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने शोक प्रकट किया। कला जगत के दिग्गजों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। गुजरात सरकार ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया।
राम सुतार की विरासत
राम सुतार चले गए लेकिन उनकी कला हमेशा जीवित रहेगी। उनकी बनाई मूर्तियां आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी उनकी अमर कृति है जो हमेशा उनकी याद दिलाती रहेगी।
भारतीय मूर्तिकला के इतिहास में राम सुतार का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने अपनी कला से देश का नाम रोशन किया। उनका जीवन हर कलाकार के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
देश ने एक महान कलाकार को खो दिया है, लेकिन उनकी कला और उनकी सीख हमेशा हमारे साथ रहेगी। राम सुतार को शत शत नमन।