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अब जुगाड़ से नहीं बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस, प्रक्रिया में हुआ बड़ा बदलाव, ऐसे देना होगा टेस्ट

Driving License
अब जुगाड़ से नहीं बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस (सांकेतिक तस्वीर)
परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया अब पूरी तरह ऑटोमेटिक हो गई है। आवेदकों को सेंसर और कैमरों से लैस ट्रैक पर तय समय में परीक्षा देनी होगी। इसका उद्देश्य बेहतर चालक तैयार करना और सड़क दुर्घटनाओं को कम करना है।
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Driving License New Rule: अब यह मान लेना काफी नहीं होगा कि आप वाहन चला लेते हैं। सड़क पर उतरने से पहले मशीनें तय करेंगी कि आप वास्तव में ड्राइविंग के योग्य हैं या नहीं। ड्राइविंग लाइसेंस प्रणाली में यह बदलाव उन लाखों लोगों के लिए चेतावनी है, जिन्होंने अब तक जुगाड़, पहचान या अधूरे परीक्षण के सहारे परमानेंट डीएल हासिल किया है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया अब पूरी तरह बदलने जा रही है। नए साल से लागू हो रही इस व्यवस्था के तहत आवेदकों को ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के अत्याधुनिक ट्रैक पर परीक्षा देनी होगी। यहां इंसान नहीं, बल्कि सेंसर और कैमरे यह तय करेंगे कि आप लाइसेंस पाने के योग्य हैं या नहीं।

मशीनों की निगरानी में ड्राइविंग परीक्षा

इस नई व्यवस्था का केंद्र है ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर, जहां आठ अंक की आकृति वाला विशेष ट्रैक बनाया गया है। आवेदक को संबंधित वाहन से इस ट्रैक को तय समय में पूरा करना होगा। बाइक और कार के लिए कुल 3.25 मिनट का समय निर्धारित किया गया है।

जरा सी चूक पर सेंसर बीप करेगा और आपकी गलती कैमरे में रिकॉर्ड हो जाएगी। एक बार गलती दर्ज हुई, तो लाइसेंस की उम्मीद उसी दिन खत्म समझिए। न कोई बहस, न कोई सिफारिश।

पहले जांच, फिर ट्रैक

घर बैठे लर्नर लाइसेंस बनवाने वालों के लिए यह बदलाव खास है। ऑनलाइन स्लॉट बुक कराने के बाद आवेदक को पहले ट्रांसपोर्ट नगर या देवा रोड स्थित एआरटीओ कार्यालय पहुंचना होगा। यहां आवेदन पत्र की स्क्रूटनी, बायोमीट्रिक और फोटो की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

इसके बाद आवेदक को उदेत खेड़ा मौंदा स्थित ऑटोमेटिक ड्राइविंग सेंटर भेजा जाएगा, जो केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की गाइडलाइन पर तैयार किया गया है। यह केंद्र ट्रांसपोर्ट नगर से लगभग 12 किलोमीटर और किसान पथ मार्ग से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

सिम्युलेटर से होगी शुरुआत

जो आवेदक कार या ट्रक का लाइसेंस चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले सिम्युलेटर पर पांच मिनट का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह सिम्युलेटर देखने में किसी डिजिटल गेम जैसा लगता है, लेकिन इसका उद्देश्य गंभीर है।

यहां आवेदक को सिखाया जाता है कि वाहन की गति कैसे नियंत्रित रखें, ट्रैफिक नियमों का पालन कैसे करें और आपात स्थितियों में सही निर्णय कैसे लें। सिम्युलेटर में सफल होने के बाद ही वास्तविक ट्रैक पर जाने की अनुमति मिलेगी।

ट्रैक पर असली परीक्षा

ऑटोमेटिक ट्रैक पर दोपहिया, चारपहिया और ट्रक के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है। ट्रैक के प्रवेश द्वार पर सेंसर गेट लगा है।

कार चालकों को पैरलल पार्किंग, चढ़ाई और रिवर्स के लिए 45-45 सेकंड का समय मिलेगा। ट्रक चालकों के लिए यह समय थोड़ा अधिक रखा गया है—पार्किंग के लिए 60 सेकंड, चढ़ाई के लिए 45 सेकंड और रिवर्स के लिए 75 सेकंड।

पूरे ट्रैक पर जगह-जगह सेंसर लगे हैं और ऊंचाई पर कैमरे हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। तीन से चार मिनट की यह परीक्षा आपकी वर्षों की ड्राइविंग आदतों का फैसला कर देगी।

भ्रष्टाचार पर सीधी चोट

अब तक ट्रांसपोर्ट नगर और देवा रोड पर ड्राइविंग टेस्ट मैनुअल तरीके से होते थे। इसमें नियमों की अनदेखी और ढील की शिकायतें आम थीं। नई व्यवस्था इन शिकायतों पर सीधा प्रहार है।

एआरटीओ प्रशासन का कहना है कि इस अत्याधुनिक केंद्र पर टेस्ट के लिए अलग से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। हालांकि, आवेदक चाहें तो सड़क नियमों का प्रशिक्षण लेकर अपनी तैयारी मजबूत कर सकते हैं।

हरियाली से प्रदूषण नियंत्रण

इस केंद्र में वाहनों की आवाजाही को देखते हुए पर्यावरण का भी ध्यान रखा गया है। परिसर में कोनोकार्पस जैसे सदाबहार पेड़ लगाए गए हैं, जो धूल और प्रदूषकों को सोखने में सहायक माने जाते हैं।

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Dipali Kumari

दीपाली कुमारी पिछले तीन वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता में कार्यरत हैं। उन्होंने रांची के गोस्सनर कॉलेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। सामाजिक सरोकारों, जन-जागरूकता और जमीनी मुद्दों पर लिखने में उनकी विशेष रुचि है। आम लोगों की आवाज़ को मुख्यधारा तक पहुँचाना और समाज से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों को धारदार लेखन के माध्यम से सामने लाना उनका प्रमुख लक्ष्य है।