पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में शनिवार को एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला। तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग की ओर से जारी मतदाता सूची में हुए बड़े बदलाव के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। उत्तर हावड़ा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची से करीब 61 हजार लोगों के नाम हटाए जाने और 30 हजार मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाए जाने के खिलाफ यह प्रदर्शन आयोजित किया गया। शनिवार दोपहर साढ़े चार बजे घासबागान मैदान से शुरू हुए इस विशाल जुलूस में करीब पांच हजार तृणमूल कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
विरोध प्रदर्शन की बारीकियां
उत्तर हावड़ा के विधायक और हावड़ा सदर के अध्यक्ष गौतम चौधरी के नेतृत्व में निकाला गया यह जुलूस हावड़ा के कई प्रमुख इलाकों से होकर गुजरा। घासबागान मैदान से शुरू होकर यह जुलूस डबसन रोड, पिलखाना, सालकिया चौराहा और बाधाघाट से होते हुए अपने अंतिम पड़ाव तक पहुंचा। पूरे रास्ते भर कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की और अपनी नाराजगी जताई। इस दौरान सड़कों पर भारी भीड़ देखी गई और यातायात व्यवस्था पर भी असर पड़ा।
गौतम चौधरी के गंभीर आरोप
प्रदर्शन के दौरान गौतम चौधरी ने चुनाव आयोग पर कई गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई मसौदा मतदाता सूची में जिस तरह से उत्तर हावड़ा विधानसभा क्षेत्र के करीब 61 हजार मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, वह पूरी तरह से अवैज्ञानिक है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ करार दिया। विधायक का आरोप है कि इतनी बड़ी संख्या में नाम हटाना किसी साजिश का हिस्सा लग रहा है।
सुनवाई प्रक्रिया पर सवाल
गौतम चौधरी ने इस बात पर भी गंभीर आपत्ति जताई कि करीब 30 हजार मतदाताओं को सुनवाई के लिए हावड़ा के शरत सदन में बुलाया गया है। उनका कहना है कि इससे दूर-दराज से आने वाली महिला मतदाताओं को विशेष परेशानी होगी। कई महिलाओं के लिए इतनी दूर जाकर सुनवाई में शामिल होना मुश्किल होगा। उन्होंने मांग की कि सुनवाई की प्रक्रिया को और आसान बनाया जाए और स्थानीय स्तर पर इसका आयोजन किया जाए।
चुनाव आयोग पर राजनीतिक दबाव का आरोप
तृणमूल कांग्रेस के नेता का सबसे बड़ा आरोप यह है कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर काम कर रहा है। गौतम चौधरी ने साफ शब्दों में कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारों पर चल रहा है और यह मतदाता सूची में बदलाव उसी का नतीजा है। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के मजबूत क्षेत्रों में जानबूझकर मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं ताकि चुनाव के नतीजों को प्रभावित किया जा सके।
पिछले चुनाव का संदर्भ
इस मामले को समझने के लिए पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखना जरूरी है। उत्तर हावड़ा विधानसभा क्षेत्र में पिछली बार तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार गौतम चौधरी मात्र पांच हजार से थोड़े ज्यादा वोटों से जीते थे। जीत का यह बेहद कम अंतर दिखाता है कि यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील है। ऐसे में 61 हजार नामों का हटना चुनावी नतीजों पर बड़ा असर डाल सकता है।
क्या तृणमूल कांग्रेस दबाव में है
जब गौतम चौधरी से पूछा गया कि क्या मतदाता सूची से इतनी बड़ी संख्या में नाम हटने से तृणमूल कांग्रेस दबाव में आ गई है, तो उन्होंने आत्मविश्वास से भरा जवाब दिया। उनका कहना है कि समय ही सब कुछ बोलेगा। उन्होंने दावा किया कि विकास के मामले में वे ही आगे हैं और यही उनकी असली ताकत है।
विकास का दावा और जनता का भरोसा
गौतम चौधरी ने कहा कि उन्होंने अपने क्षेत्र में लंबे समय तक राजनीति की है और विकास के कई काम किए हैं। उनका मानना है कि जनता उनके काम को देखती है और उन पर भरोसा करती है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले चुनाव में वे फिर से जीतेंगे क्योंकि जनता उनके साथ है। लंबे राजनीतिक अनुभव के कारण वे किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।
राजनीतिक विश्लेषण
यह पूरा प्रकरण पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है। हावड़ा जैसे औद्योगिक शहर में मतदाता सूची से इतनी बड़ी संख्या में नामों का हटना कई सवाल खड़े करता है। विपक्षी दलों ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है। चुनाव आयोग को अब इन आरोपों का जवाब देना होगा और यह साफ करना होगा कि क्या नाम हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और नियमों के अनुसार थी या नहीं।
आगे की राह
तृणमूल कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले को यूं ही नहीं छोड़ेगी। पार्टी के नेताओं ने संकेत दिए हैं कि वे इस मामले को कानूनी स्तर पर भी ले जा सकते हैं। साथ ही, जनता के बीच जागरूकता अभियान चलाकर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी कि किसी भी पात्र मतदाता का नाम सूची से न छूटे। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी गरम हो सकता है और राज्य की राजनीति में इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।