West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। तृणमूल कांग्रेस से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर के तीखे बयानों ने राज्य की सियासत में नई बहस को जन्म दे दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सीधे निशाने पर लेते हुए हुमायूं कबीर ने न सिर्फ तृणमूल नेतृत्व बल्कि राज्य प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके बयान ऐसे समय सामने आए हैं, जब बंगाल पहले से ही हिंसा, भ्रष्टाचार और राजनीतिक ध्रुवीकरण जैसे मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय चर्चा में है।
ममता बनर्जी को खुली चेतावनी
हुमायूं कबीर ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लेकर बेहद सख्त शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी का “पूर्व मुख्यमंत्री” बनना अब सिर्फ समय की बात है। उनका यह बयान सीधे तौर पर तृणमूल कांग्रेस की सत्ता और नेतृत्व को चुनौती देता है। हुमायूं ने यह भी याद दिलाया कि किस तरह ममता बनर्जी ने सिंगुर में नैनो परियोजना का विरोध किया था और अब उसी फैसले के राजनीतिक परिणाम बंगाल भुगत रहा है।
तृणमूल और राज्य प्रशासन पर आरोप
हुमायूं कबीर का हमला केवल राजनीतिक नेतृत्व तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने राज्य प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा किया। उनके मुताबिक प्रशासन पूरी तरह से सत्तारूढ़ दल के इशारों पर काम कर रहा है, जिससे आम जनता में असुरक्षा और अविश्वास की भावना बढ़ रही है। हुमायूं का कहना है कि बंगाल की जनता अब इस स्थिति से ऊब चुकी है और बदलाव की तलाश में है।
मुर्शिदाबाद में तृणमूल को शून्य करने का दावा
मुर्शिदाबाद को लेकर हुमायूं कबीर ने एक स्पष्ट राजनीतिक खाका पेश किया है। उनका दावा है कि वे इस जिले में तृणमूल कांग्रेस को पूरी तरह से शून्य करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुल 22 सीटों में से 9 सीटों पर उनकी पार्टी खुद चुनाव लड़ेगी, जबकि 3 सीटें कांग्रेस, 3 सीटें सीपीएम और 1 सीट इंडियन सेक्युलर फ्रंट को दी जा सकती है। बाकी सीटों पर सहयोगी दलों को उतारने की योजना है।
विपक्षी एकजुटता पर जोर
हुमायूं कबीर ने साफ कहा कि उनका मकसद विपक्षी ताकतों को एक मंच पर लाना है। उनका मानना है कि तृणमूल को सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस, वाम दलों और आईएसएफ के साथ गठबंधन जरूरी है। उन्होंने यह भी संकेत दिए कि अगर विपक्ष सही तालमेल बना ले, तो बंगाल की राजनीति की तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है।
भाजपा को लेकर बड़ा दावा
हुमायूं कबीर ने भाजपा को लेकर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा 100 सीटों का आंकड़ा पार कर सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनकी ओर से 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी है और बाकी सीटों पर सहयोगी दलों को मौका दिया जाना चाहिए। यह बयान बताता है कि बंगाल की राजनीति अब केवल तृणमूल बनाम भाजपा तक सीमित नहीं रही, बल्कि बहुकोणीय मुकाबले की ओर बढ़ रही है।
ममता बनर्जी की राजनीति पर सवाल
ममता बनर्जी की राजनीतिक शैली पर भी तीखा हमला हुआ। आरोप लगाया गया कि वे मंदिर और मस्जिद के मुद्दों को चुनावी हथियार बनाकर वोट साधने की कोशिश कर रही हैं। यह बयान सीधे तौर पर तृणमूल की पहचान और उसकी राजनीति पर सवाल खड़ा करता है।
मतदाता सूची और चुनावी प्रक्रिया पर चिंता
राज्य में मतदाता सूची से लाखों नाम हटाए जाने के मुद्दे ने भी तूल पकड़ लिया है। यह कहा गया कि जिस तरह से नाम हटाए जा रहे हैं, उस स्थिति में निष्पक्ष चुनाव कराना मुश्किल हो सकता है। यह चिंता न सिर्फ विपक्ष बल्कि आम मतदाताओं के बीच भी देखी जा रही है।
दिलीप घोष के आरोपों से बढ़ी सियासी गर्मी
इस पूरे घटनाक्रम के बीच भाजपा नेता दिलीप घोष के बयान भी सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि बंगाल का हर नागरिक आज डर और अशांति के माहौल में जी रहा है। उनके मुताबिक पूरे देश की नजरें पश्चिम बंगाल पर टिकी हुई हैं। उन्होंने सीमा सुरक्षा, बीएसएफ की भूमिका, घुसपैठ और पुलिस की कार्यशैली को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए।
दिलीप घोष ने दावा किया कि जहां देश के अन्य हिस्सों में शांति है, वहीं बंगाल में हिंसा, बम और बंदूक की घटनाएं आम हो गई हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार और अराजकता चरम पर है, जिसका असर आम जनता की जिंदगी पर साफ दिखाई देता है।