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नागपुर के आई.टी.आई. छात्र से प्रशिक्षण अधिकारी बने अशोक राजनकर की प्रेरक कहानी

ITI Student Success Story: आई.टी.आई. छात्र से प्रशिक्षण अधिकारी बने अशोक राजनकर की यात्रा
ITI Student Success Story: आई.टी.आई. छात्र से प्रशिक्षण अधिकारी बने अशोक राजनकर की यात्रा
नागपुर के संत जगनाडे महाराज शासकीय आई.टी.आई. संस्थान के पूर्व छात्र अशोक राजनकर की प्रेरक कहानी सामने आई है। 1989-91 बैच के मशीनिस्ट ट्रेड छात्र राजनकर ने 8 वर्ष निजी कंपनी में काम किया, फिर मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और आज DGET में प्रशिक्षण अधिकारी हैं। उनकी सफलता आई.टी.आई. छात्रों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी है।
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नागपुर के संत जगनाडे महाराज शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में इन दिनों एक खास चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां के एक पूर्व छात्र की सफलता की कहानी पूरे संस्थान में प्रेरणा की लहर ला रही है। यह कहानी है श्री अशोक राजनकर की, जो कभी इसी संस्थान में मशीनिस्ट ट्रेड के साधारण छात्र थे और आज केंद्र सरकार में प्रशिक्षण अधिकारी के पद पर सेवारत हैं।

15 दिसंबर 2025 को जब अखिल भारतीय प्रायोगिक परीक्षाओं का आयोजन श्रधानंद पेठ स्थित इस संस्थान में शुरू हुआ, तो किसी को अंदाजा नहीं था कि यह दिन संस्थान के इतिहास में एक यादगार पल बन जाएगा। DGET की ओर से परीक्षा निरीक्षक के रूप में नियुक्त अशोक राजनकर जब संस्थान पहुंचे, तो उपसंचालिका श्रीमती श्वेता कुलकर्णी के साथ चर्चा के दौरान एक रोचक तथ्य सामने आया।

संस्थान से जुड़ा गहरा रिश्ता

बातचीत के दौरान जब यह पता चला कि श्री राजनकर इसी संस्थान के 1989 से 1991 बैच के पूर्व छात्र हैं, तो पूरे संस्थान में खुशी की लहर दौड़ गई। यह जानना सभी के लिए गर्व का विषय था कि उनके अपने संस्थान का एक छात्र आज इतने बड़े पद पर पहुंच चुका है। यह घटना न केवल संस्थान के लिए बल्कि वर्तमान छात्रों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गई।

संघर्ष से सफलता तक का सफर

अशोक राजनकर की जीवन यात्रा एक आम मध्यमवर्गीय परिवार के युवा की कहानी है। दसवीं कक्षा पास करने के बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए आई.टी.आई. का रास्ता चुना। मशीनिस्ट ट्रेड में प्रशिक्षण लेते हुए उन्होंने अपने हुनर को निखारा और तकनीकी कौशल में महारत हासिल की।

आई.टी.आई. पूरी करने के बाद शुरुआती दिनों में उन्हें निजी क्षेत्र में काम करना पड़ा। लगभग 8 वर्षों तक एक निजी कंपनी में नौकरी करते हुए उन्होंने अपने अनुभव को बढ़ाया। लेकिन उनके मन में आगे बढ़ने की ललक थी। उन्होंने काम के साथ-साथ पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया।

शिक्षा की निरंतर यात्रा

अपने करियर को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए श्री राजनकर ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने का निर्णय लिया। नौकरी और पढ़ाई दोनों को संभालना आसान नहीं था, लेकिन उनके दृढ़ संकल्प ने उन्हें हार नहीं मानने दी। डिप्लोमा पूरा करने के बाद उनके सामने नए दरवाजे खुलने लगे।

केंद्र सरकार में प्रवेश

मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा पूरा करने के बाद उन्होंने केंद्र सरकार के अंतर्गत DGET में वोकेशनल इंस्ट्रक्टर के पद के लिए आवेदन किया। उनकी मेहनत और योग्यता के दम पर उन्हें यह पद मिला। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था।

सरकारी सेवा में उनका प्रदर्शन शुरू से ही शानदार रहा। अपने काम के प्रति समर्पण और जिम्मेदारी के चलते उन्होंने जल्द ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया। उनकी मेहनत और लगन का नतीजा यह रहा कि उन्हें प्रशिक्षण अधिकारी के पद पर पदोन्नति मिली।

संस्थान द्वारा सम्मान

जब संस्थान के अधिकारियों और कर्मचारियों को उनकी इस उपलब्धि के बारे में विस्तार से पता चला, तो सभी ने उनका भव्य स्वागत किया। संस्थान की ओर से उन्हें शाल और श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। यह क्षण न केवल श्री राजनकर के लिए बल्कि पूरे संस्थान के लिए गौरव का पल था।

उपसंचालिका श्रीमती श्वेता कुलकर्णी ने इस अवसर पर कहा कि अशोक राजनकर जैसे पूर्व छात्रों की सफलता से संस्थान का मान बढ़ता है। यह सभी वर्तमान छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत है कि आई.टी.आई. से भी बड़े मुकाम हासिल किए जा सकते हैं।

छात्रों के लिए प्रेरणा संदेश

संस्थान के वर्तमान छात्रों से संवाद करते हुए श्री राजनकर ने अपने जीवन के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत, धैर्य और निरंतर सीखने की इच्छा जरूरी है। उन्होंने कहा कि आई.टी.आई. की शिक्षा किसी भी तरह से कम नहीं है। यह व्यावहारिक कौशल देती है जो रोजगार की दुनिया में बहुत मूल्यवान है।

उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने हुनर को भी लगातार निखारते रहें। किसी भी काम को छोटा न समझें और हर अनुभव से सीखने की कोशिश करें। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में काम करने के उन 8 वर्षों ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया जो किताबों में नहीं मिल सकता था।

आई.टी.आई. शिक्षा का महत्व

श्री राजनकर की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि आई.टी.आई. शिक्षा केवल एक साधारण प्रशिक्षण नहीं है, बल्कि यह सफल करियर की मजबूत नींव हो सकती है। आज जब देश में रोजगार की समस्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में तकनीकी शिक्षा का महत्व और भी बढ़ जाता है।

वर्तमान छात्रों के लिए संदेश

अशोक राजनकर की यात्रा आज के युवाओं के लिए एक मिसाल है। उन्होंने साबित किया कि परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों, दृढ़ संकल्प और मेहनत से हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। उनकी कहानी बताती है कि शिक्षा की यात्रा कभी नहीं रुकनी चाहिए। जीवन में आगे बढ़ने के लिए निरंतर सीखना और खुद को बेहतर बनाना जरूरी है।

संस्थान के लिए गौरव का क्षण

संत जगनाडे महाराज शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के लिए यह घटना गर्व का विषय है। यह संस्थान न केवल तकनीकी शिक्षा दे रहा है बल्कि देश के लिए कुशल और सक्षम नागरिक तैयार कर रहा है। अशोक राजनकर जैसे पूर्व छात्रों की उपलब्धियां इस संस्थान की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रमाण हैं।

श्री अशोक राजनकर की यह प्रेरक कहानी हमें सिखाती है कि सफलता के लिए किसी बड़ी शुरुआत की जरूरत नहीं होती। छोटे कदमों से शुरू करके भी बड़े मुकाम हासिल किए जा सकते हैं। उनका जीवन सभी आई.टी.आई. छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और यह संदेश देता है कि व्यावसायिक शिक्षा से भी उज्ज्वल भविष्य बनाया जा सकता है।

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Asfi Shadab

एक लेखक, चिंतक और जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता, जो खेल, राजनीति और वित्त की जटिलता को समझते हुए उनके बीच के रिश्तों पर निरंतर शोध और विश्लेषण करते हैं। जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को सरल, तर्कपूर्ण और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध।