बांग्लादेश में एक निर्दोष हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की क्रूर हत्या ने पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना के विरोध में आज कोलकाता की सड़कों पर बंगीय हिंदू जागरण मंच की ओर से एक बड़ा प्रतिरोध मार्च निकाला गया। शियालदा बिग बाजार से शुरू हुआ यह मार्च बांग्लादेश हाई कमीशन तक पहुंचा, जहां प्रदर्शनकारियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शन के दौरान “हिंदू हिंदू भाई भाई, हिंदुओं में भेद नहीं” के नारे गूंजते रहे। यह नारा सिर्फ एक स्लोगन नहीं, बल्कि हिंदू समाज की एकता और संकल्प का प्रतीक बन गया।
एक मासूम की क्रूर हत्या
दीपू चंद्र दास एक साधारण मेहनतकश युवक था। उसका कोई अपराध नहीं था, कोई गुनाह नहीं था। फिर भी उसे सरेआम इतनी बेरहमी से मार डाला गया कि मानवता शर्मसार हो गई। हजारों लोगों की भीड़ ने इस हत्या को देखा, मोबाइल पर वीडियो बनाया और वह वीडियो पूरी दुनिया में वायरल हो गया।
यह कैसा समय है जब 2025 के डिजिटल युग में खड़े होकर हम इतनी बर्बरता देख रहे हैं? हजारों लोग एक हत्या का भयानक तमाशा देख रहे हैं और कोई आगे नहीं आ रहा। धर्म के नाम पर नारे लगाए जा रहे हैं। क्या धर्म यह सिखाता है कि किसी इंसान को इतनी क्रूरता से मारा जाए?

हत्या का असली कारण
दीपू की हत्या सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं है। यह हिंदू समाज, मानवाधिकार और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है। उसका एकमात्र “अपराध” यह था कि वह हिंदू था। यह मौत सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की अंतरात्मा की मौत है।
यह हत्या सवाल खड़े करती है – हम किस दुनिया में रह रहे हैं? किस भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं? यह कैसा लोकतंत्र है? धार्मिक कट्टरता की सीमा कहां है?
पड़ोसी देश में सिर्फ धार्मिक पहचान अलग होने के कारण यह भयानक हत्या हुई। इसकी तस्वीरें और वीडियो देखकर क्या आपको एक बार भी भविष्य की चिंता नहीं होती? क्या एक बार भी आपका विवेक नहीं जागता? क्या आप सही कारण को समझ नहीं पा रहे? क्या आपको नहीं लगता कि यह घटना कल आपके घर के पास भी हो सकती है?

अब और नहीं सो सकते
बहुत से लोग सोए हुए हैं, लेकिन अब और नहीं सोया जा सकता। नहीं तो बहुत देर हो जाएगी। आज सवाल यह नहीं है कि अत्याचार कहां हुआ, सवाल यह है कि हम और कितने दिन चुप रहेंगे?
एकता ही सबसे बड़ा जवाब है। जब नफरत और हिंसा में विश्वास रखने वाले कुछ कट्टरपंथी लोग संगठित होकर सड़कों पर उतरते हैं और नरसंहार करते हैं, तो हिंदू समाज क्यों बंटा रहता है?
जिस देश में कभी हिंदुओं की संख्या 32 प्रतिशत थी, आज वह घटकर मात्र 8 प्रतिशत रह गई है। हिंदुओं का अस्तित्व खतरे में है। मध्यकालीन इतिहास के बर्बर अत्याचारों की झलक इस हत्या में दिखती है।
आज हमारे पश्चिम बंगाल में भी जनसंख्या का स्वरूप बदल रहा है। अगर हम अभी नहीं जागे, तो हमारी भी यही स्थिति होगी।

शोक और शर्म का समय
आज हम गहरे शोक और शर्म में डूबे हुए हैं। शोक इसलिए कि सिर्फ धार्मिक पहचान अलग होने के कारण एक युवक को सरेआम इतनी क्रूरता से मारा गया। शर्म इसलिए कि इस डिजिटल युग में पूरी दुनिया इस हत्या को देखकर भी चुप बैठी है।
दीपू दास की मौत हमें याद दिलाती है कि जब नफरत मानवता को निगल जाती है, तो कोई धर्म, कोई पहचान, कोई सुरक्षा किसी को भी बचा नहीं सकती। दिन-प्रतिदिन पड़ोसी देश में यह घटनाएं जारी हैं। आज दीपू है, कल कोई और होगा। पूरा राष्ट्रपुंज जी रहा है इस भय में।
यह भयानक चुप्पी तोड़नी होगी
हमारा विरोध संयुक्त राष्ट्र के अल्पसंख्यक फोरम, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और भारत सरकार के प्रति हमारी अपील है:
न्याय चाहिए: हत्यारों को कठोर से कठोर सजा मिलनी चाहिए। इसके लिए सीधा हस्तक्षेप करना होगा।
मानवता चाहिए: सुरक्षा चाहिए। अल्पसंख्यक हिंदुओं की पहचान के आधार पर अब और कोई जान न जाए।
कानून का राज चाहिए: अफवाह, भड़काऊ बयान और भीड़ की हिंसा के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

हिंदू समाज की एकता का संदेश
आज हर हिंदू के अस्तित्व में आत्मसम्मान की आग जलनी चाहिए। एकता की भावना जागनी चाहिए और जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए।
बंगीय हिंदू जागरण मंच का यह आंदोलन सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन नहीं है। यह हिंदू समाज के जागरण का संकेत है। संगठन के संयोजक और वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि हमारी एकता सिर्फ त्योहारों, सोशल मीडिया की पोस्ट और निजी चर्चाओं तक सीमित नहीं रहेगी।
इतिहास का हिस्सा बनें
आइए, हम सब मिलकर कहें – अब और नहीं भीड़ की हिंसा। अब और नहीं योजनाबद्ध हत्याएं। अब और नहीं चुप्पी।
हम साबित करेंगे कि हिंदू समाज बिखरा हुआ हो सकता है, लेकिन कमजोर नहीं है। बंगीय हिंदू जागरण – एक आवाज, एक दिशा।
इस आंदोलन में अपनी उपस्थिति दर्ज करें, ताकि आने वाली पीढ़ी कह सके कि जब समय आया, तो हिंदू समाज खड़ा हो गया।
प्रदर्शन के दौरान श्रीमठ घोषामी महाराज और कई वरिष्ठ नेताओं ने अपने विचार साझा किए और हिंदू समाज से एकजुट होने की अपील की।
यह लड़ाई सिर्फ न्याय की नहीं, बल्कि अपने अस्तित्व की रक्षा की लड़ाई है। यह समय सोचने का नहीं, बल्कि संगठित होकर खड़े होने का है।
“हिंदू हिंदू भाई भाई, हिंदुओं में भेद नहीं” – यह नारा अब सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि हमारा संकल्प बन गया है।