Train Accident: बिहार के जमुई जिले से शनिवार देर रात एक बड़ा रेल हादसा सामने आया, जिसने रेलवे प्रशासन से लेकर यात्रियों तक की चिंता बढ़ा दी। हावड़ा-किऊल रेलखंड पर स्थित सिमुलतला स्टेशन के पास अप लाइन में सीमेंट लदी मालगाड़ी अचानक पटरी से उतर गई। इस दुर्घटना के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई और इस महत्वपूर्ण रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह बाधित हो गया। आधी रात को हुए इस हादसे ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था और तकनीकी निगरानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह इलाका न केवल बिहार बल्कि पूर्वी भारत के लिए भी बेहद अहम रेल मार्ग माना जाता है। ऐसे में यहां हुई किसी भी तरह की दुर्घटना का असर दूर-दराज के राज्यों तक महसूस किया जाता है।
आसनसोल से झाझा जा रही थी मालगाड़ी
रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार, यह मालगाड़ी पश्चिम बंगाल के आसनसोल से झाझा की ओर जा रही थी। ट्रेन में बड़ी मात्रा में सीमेंट लोड था। शनिवार रात करीब 11 बजकर 40 मिनट पर जैसे ही मालगाड़ी टेलवा बाजार के पास बड़ुआ नदी पर बने रेलवे पुल के नजदीक पहुंची, अचानक उसके डिब्बे डीरेल होने लगे। कुछ ही पलों में पूरी ट्रेन असंतुलित होकर पलट गई।
नदी में गिरे डिब्बे, मचा हड़कंप
हादसे की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग 10 डिब्बे पटरी पर ही पलट गए, जबकि 5 डिब्बे सीधे बड़ुआ नदी में जा गिरे। गनीमत यह रही कि यह एक मालगाड़ी थी, जिससे किसी तरह की जनहानि नहीं हुई। हालांकि अगर यही हादसा किसी यात्री ट्रेन के साथ होता, तो परिणाम बेहद भयावह हो सकते थे।
हादसे की वजह अब भी रहस्य
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल हादसे के कारणों का पता नहीं चल पाया है। शुरुआती तौर पर ट्रैक में खराबी, तकनीकी खामी या लोड असंतुलन जैसे कारणों की आशंका जताई जा रही है। रेलवे की तकनीकी टीम ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। ट्रैक, सिग्नल और मालगाड़ी के पहियों की स्थिति की बारीकी से जांच की जा रही है।
जांच रिपोर्ट पर टिकी नजर
रेलवे प्रशासन का कहना है कि जब तक पूरी जांच रिपोर्ट सामने नहीं आती, तब तक किसी ठोस निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। इस हादसे को लेकर उच्च स्तर पर रिपोर्ट मांगी गई है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
ट्रेनों का परिचालन ठप, यात्रियों की बढ़ी परेशानी
इस हादसे के बाद हावड़ा-किऊल रेलखंड पर अप और डाउन दोनों ही लाइनों पर ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह ठप हो गया। कई यात्री ट्रेनें रास्ते में ही रोक दी गईं, जबकि कुछ को रद्द या डायवर्ट करना पड़ा। देर रात स्टेशन पर फंसे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
रेलवे प्रशासन ने यात्रियों की परेशानी को देखते हुए कुछ ट्रेनों को वैकल्पिक रूट से चलाने पर विचार शुरू कर दिया है। हालांकि इससे यात्रा का समय बढ़ सकता है। अधिकारियों का कहना है कि प्राथमिकता ट्रैक को जल्द से जल्द दुरुस्त करने की है।
डिब्बे हटाने में 8 से 9 घंटे
रेलवे सूत्रों के अनुसार, जो डिब्बे पटरी से उतरे हैं और नदी में गिरे हैं, उन्हें हटाने में कम से कम 8 से 9 घंटे का समय लग सकता है। इसके लिए भारी क्रेन और विशेष उपकरण मंगाए गए हैं। डिब्बों को हटाने के बाद ट्रैक की स्थिति की पूरी जांच की जाएगी।
अगर जांच में रेलवे ट्रैक में किसी तरह की क्षति पाई जाती है, तो पहले उसकी मरम्मत की जाएगी। इसके बाद ही ट्रेनों का सामान्य परिचालन बहाल किया जाएगा। रेलवे प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।