शिवचरित्रकार इतिहासकार गजानन मेहेंदळे के निधन पर CM Devendra Fadnavis ने व्यक्त किया शोक
मुंबई, 18 सितम्बर: (Mumbai)
महाराष्ट्र के लिए इतिहास और संस्कृति की विरासत में आज एक गहरा शून्य पैदा हो गया। वरिष्ठ इतिहासकार, शोधकर्ता और शिवचरित्रकार Gajanan Mehendale के निधन से राज्य ही नहीं बल्कि पूरा देश शोकाकुल है। CM Devendra Fadnavis ने इस अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि “छत्रपति शिवाजी महाराज का चरित्र ऐतिहासिक प्रमाणों सहित दुनिया के सामने प्रस्तुत करने वाले मेहेंदळे जी का निधन इतिहास शोध क्षेत्र की अपूरणीय क्षति है।”
फडणवीस ने अपने शोक संदेश में लिखा कि Gajanan Mehendale ने जिस गहनता और निष्ठा के साथ शिवाजी महाराज के चरित्र का शोध किया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा मार्गदर्शक रहेगा। उनकी लेखनी ने न केवल ऐतिहासिक घटनाओं को प्रमाण सहित प्रस्तुत किया, बल्कि एक नई दृष्टि भी दी।
शिवचरित्र का प्रामाणिक दस्तावेज़
गजानन मेहेंदळे ने अपने गहन अध्ययन और व्यासंग से छत्रपति शिवाजी महाराज तथा स्वराज्य पर कई अमूल्य ग्रंथों की रचना की। इसी कारण उन्हें हमेशा एक Shivcharitra Historian के रूप में याद किया जाएगा। उनकी रचनाएँ केवल साहित्यिक या ऐतिहासिक ग्रंथ नहीं, बल्कि प्रमाणिक दस्तावेज़ हैं जिन्होंने शिवाजी महाराज के जीवन और संघर्षों को तथ्यात्मक आधार पर प्रस्तुत किया।
उनके उल्लेखनीय ग्रंथों में “Shivaji his Life and Times”, “श्री राजा शिवछत्रपति”, “शिवछत्रपतिंचे आरमार” तथा “आदिलशाही फर्माने” शामिल हैं। ये कृतियाँ इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए ही नहीं बल्कि आम पाठकों के लिए भी मार्गदर्शक रही हैं।
विविध भाषाओं का अध्ययन
गजानन मेहेंदळे की विद्वत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने मोडी, फारसी, उर्दू, जर्मन, फ्रेंच और पुर्तगाली जैसी भाषाओं का गहन अध्ययन किया। इन भाषाओं की समझ ने उन्हें शिवाजी महाराज के दौर के दस्तावेज़ों और प्रमाणों तक पहुँचने और उन्हें सही रूप में प्रस्तुत करने की शक्ति दी।
CM Devendra Fadnavis ने कहा कि मेहेंदळे जी ने युद्ध पत्रकारिता से शुरुआत कर भारत इतिहास संशोधन मंडल और आगे युद्धशास्त्र के अध्ययन तक एक प्रेरणादायी यात्रा तय की। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
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समाज और इतिहास की हानि
इतिहास केवल अतीत का विवरण नहीं होता, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए सीख भी देता है। गजानन मेहेंदळे ने इस दृष्टिकोण से शिवाजी महाराज के चरित्र को प्रस्तुत कर समाज को उसकी जड़ों से जोड़ने का काम किया। उनके निधन से इतिहास और समाज दोनों ने एक अमूल्य व्यक्तित्व खो दिया है।
फडणवीस ने प्रार्थना करते हुए कहा कि “ईश्वर से कामना है कि उनके परिजनों और शिष्यों को यह दुःख सहन करने की शक्ति मिले तथा दिवंगत आत्मा को शांति प्राप्त हो।”
महाराष्ट्र की विरासत में योगदान
महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत में गजानन मेहेंदळे का योगदान हमेशा स्मरणीय रहेगा। उनकी किताबें आने वाले समय में भी न केवल छात्रों और शोधकर्ताओं को बल्कि उन सभी को दिशा देती रहेंगी, जो छत्रपति शिवाजी महाराज और स्वराज्य के इतिहास को जानना चाहते हैं।
उनकी लेखनी का मूल संदेश यही है कि शिवाजी महाराज केवल एक शासक या योद्धा नहीं थे, बल्कि वे एक विचारधारा और जनआंदोलन के प्रतीक थे। मेहेंदळे जी ने उस विचारधारा को जीवंत करने का कार्य किया।
वेब स्टोरी:
निष्कर्ष
आज जब हम गजानन मेहेंदळे को विदाई दे रहे हैं, तब यह केवल एक इतिहासकार को खोने का दुख नहीं है, बल्कि एक युग का अंत है। महाराष्ट्र और भारत की ऐतिहासिक चेतना को उन्होंने जो आयाम दिए, वे अमर रहेंगे। CM Devendra Fadnavis के शब्दों में, “यह इतिहास शोध क्षेत्र की अपूरणीय क्षति है।”