डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस साल दुनिया भर में Gen Z protests की लहर देखने को मिली है। नेपाल में हाल ही में युवाओं ने सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया, जिसके चलते प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। सोशल मीडिया पर बैन और सरकारी नीतियों के खिलाफ नाराजगी ने युवाओं को सड़कों पर ला दिया, और यह आंदोलन अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Global Youth Movement के रूप में सामने आया है।
नेपाल में Gen Z का प्रदर्शन
31 अगस्त से 13 सितंबर तक नेपाल में युवाओं ने सोशल मीडिया बैन, भ्रष्टाचार और सरकारी नीतियों के खिलाफ सरकार का घेराव किया। इस दौरान संसद भवन के आसपास आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। पुलिस और युवाओं के बीच झड़पें हुईं, जिससे 72 लोग मारे गए और 2,113 लोग घायल हुए।
इस आंदोलन के दबाव में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा और सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया। नेपाल का यह आंदोलन यह दर्शाता है कि Gen Z अब सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए ही नहीं, बल्कि सड़कों पर भी अपनी आवाज बुलंद कर रहा है।
पेरू में Gen Z प्रदर्शन
नेपाल के बाद अब पेरू में Gen Z protests की लहर उठी। 27 सितंबर को पेरू की राजधानी लीमा में हजारों युवाओं ने राष्ट्रपति दीना बोलुआर्ते के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया और लाठीचार्ज किया। युवाओं ने पथराव किया।
इस आंदोलन की वजह पेंशन प्रणाली में बदलाव था। नए नियम के अनुसार, पेरू में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को किसी न किसी पेंशन कंपनी से जुड़ना होगा। इसके अलावा राष्ट्रपति और संसद के खिलाफ लंबे समय से जनता में असंतोष था।
इस साल और देशों में Gen Z प्रदर्शन
इस साल अब तक 8 देशों में युवाओं ने सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन किया है:
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इंडोनेशिया (31 अगस्त – 1 सितंबर): सांसदों के बढ़े भत्तों के खिलाफ प्रदर्शन। 8 मौतें। राष्ट्रपति प्रबोवो ने आवास भत्ते का फैसला रोक दिया।
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नीदरलैंड (1 सितंबर): इजरायल की मदद को लेकर युवा नाराज। सरकार ने नीति बदलने का वादा किया।
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नेपाल (8-13 सितंबर): सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन। 72 मौतें, 2113 घायल।
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फ्रांस (10 सितंबर): बजट कटौती के विरोध में हड़तालें। सरकार अभी अडिग।
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तिमोर-लेस्ते (15-17 सितंबर): सांसदों की जीवनभर पेंशन और सरकारी कारों के विरोध में प्रदर्शन। प्रस्ताव वापस लिया गया।
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फिलीपींस (21 सितंबर): बाढ़ नियंत्रण भ्रष्टाचार के विरोध में 1 लाख लोग जुटे। 2 मौतें, 205 घायल, 216 गिरफ्तारी। स्पीकर-सीनेट चीफ ने इस्तीफा दिया।
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इटली (22 सितंबर): गाजा युद्ध के विरोध में रेल-पोर्ट ठप।
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मेडागास्कर (25 सितंबर): बिजली-पानी संकट और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रदर्शन। 5 मौतें।
इस तरह देखा जाए तो Gen Z protests 2025 वैश्विक स्तर पर युवाओं के राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता का संकेत हैं।
Gen Z की वैश्विक ताकत
Gen Z, यानी 1997-2012 के बीच जन्मे युवा, अब सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए ही नहीं, बल्कि Street Protests, Marches और Digital Campaigns के जरिए भी अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। यह स्पष्ट है कि युवा वर्ग अब सरकारी नीतियों और सामाजिक न्याय पर अपनी सक्रिय भागीदारी दिखा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह Global Youth Movement 2025 केवल एक सांकेतिक आंदोलन नहीं है, बल्कि यह भविष्य में देशों की नीतियों और राजनीतिक फैसलों पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
नेपाल से पेरू तक फैले Gen Z protests ने यह संदेश दिया है कि युवा अब बदलाव की ताकत हैं। चाहे पेंशन सिस्टम, भ्रष्टाचार या सामाजिक न्याय के मुद्दे हों, Gen Z अब वैश्विक स्तर पर अपनी आवाज़ उठाने में सक्षम हैं।
इस साल अब तक 8 देशों में हुए आंदोलन दिखाते हैं कि Gen Z Global Influence लगातार बढ़ रहा है और दुनिया की राजनीति में युवाओं का रोल अब अनदेखा नहीं किया जा सकता।