Diesel Price Today: भारत की सड़कों पर दौड़ते ट्रक, बसें और मालवाहक वाहन देश की अर्थव्यवस्था की धमनियों की तरह हैं। इन धमनियों में बहने वाला ईंधन यदि महंगा हो जाए, तो पूरे तंत्र पर उसका दबाव साफ दिखाई देने लगता है। 14 दिसंबर 2025 को डीजल की कीमत ₹90.03 प्रति लीटर दर्ज की गई है, जो केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि परिवहन क्षेत्र के लिए बढ़ती चिंता का संकेत है।
डीजल के दामों में लगातार बनी मजबूती ने उन व्यवसायों की कमर कस दी है, जिनकी निर्भरता पूरी तरह डीजल वाहनों पर है। ट्रांसपोर्टर से लेकर छोटे माल ढोने वाले वाहन मालिक तक, हर कोई बढ़ती लागत और घटते मुनाफे के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है।
डीजल की कीमतें और परिवहन क्षेत्र की चुनौती
परिवहन क्षेत्र भारत की आर्थिक गतिविधियों की रीढ़ है। चाहे कच्चा माल फैक्ट्रियों तक पहुंचाना हो या तैयार माल बाजारों में भेजना, डीजल चालित वाहन सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में डीजल के दाम बढ़ते ही सबसे पहला झटका इसी क्षेत्र को लगता है।
आज की स्थिति यह है कि ट्रांसपोर्टरों की परिचालन लागत में ईंधन का हिस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे किराया बढ़ाने की मजबूरी पैदा होती है, जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ता है।
राज्यवार डीजल की कीमत
| राज्य / केंद्र शासित प्रदेश | डीजल का दाम (₹/लीटर) | मूल्य परिवर्तन |
|---|---|---|
| अंडमान और निकोबार | ₹78.05 | 0.00 |
| आंध्र प्रदेश | ₹97.47 | +0.25 |
| अरुणाचल प्रदेश | ₹80.21 | 0.00 |
| असम | ₹89.68 | +0.18 |
| बिहार | ₹91.49 | -0.33 |
| चंडीगढ़ | ₹82.45 | 0.00 |
| छत्तीसगढ़ | ₹93.67 | +0.07 |
| दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव | ₹87.94 | +0.07 |
| दिल्ली | ₹87.67 | 0.00 |
| गोवा | ₹88.33 | 0.00 |
| गुजरात | ₹90.47 | -0.16 |
| हरयाणा | ₹88.40 | 0.00 |
| हिमाचल प्रदेश | ₹87.36 | -0.04 |
| जम्मू एवं कश्मीर | ₹83.53 | +0.10 |
| झारखंड | ₹93.02 | +0.40 |
| कर्नाटक | ₹90.99 | 0.00 |
| केरल | ₹96.48 | +0.30 |
| लद्दाख | ₹87.72 | 0.00 |
| लक्षद्वीप | ₹95.71 | 0.00 |
| मध्य प्रदेश | ₹91.89 | 0.00 |
| महाराष्ट्र | ₹90.03 | 0.00 |
| मणिपुर | ₹85.26 | 0.00 |
| मेघालय | ₹87.55 | -0.26 |
| मिजोरम | ₹88.04 | 0.00 |
| नगालैंड | ₹88.85 | -0.14 |
| ओडिशा | ₹92.60 | +0.09 |
| पांडिचेरी | ₹86.47 | 0.00 |
| पंजाब | ₹88.09 | +0.05 |
| राजस्थान | ₹90.21 | 0.00 |
| सिक्किम | ₹90.45 | 0.00 |
| तमिलनाडु | ₹92.61 | +0.22 |
| तेलंगाना | ₹95.70 | 0.00 |
| त्रिपुरा | ₹86.81 | +0.19 |
| उत्तर प्रदेश | ₹87.81 | 0.00 |
| उत्तराखंड | ₹88.03 | -0.31 |
| पश्चिम बंगाल | ₹92.02 | 0.00 |
रसद उद्योग पर सीधा दबाव
रसद यानी लॉजिस्टिक्स सेक्टर डीजल की कीमतों से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। गोदाम से बाजार तक माल पहुंचाने की हर कड़ी में डीजल खर्च जुड़ा होता है। जब प्रति लीटर कीमत बढ़ती है, तो लंबी दूरी तय करने वाले ट्रकों की लागत कई गुना बढ़ जाती है।
इसका नतीजा यह होता है कि कंपनियां या तो परिवहन शुल्क बढ़ाती हैं या फिर अपने मुनाफे में कटौती करती हैं। दोनों ही हालात में दबाव बना रहता है।
सार्वजनिक परिवहन की बढ़ती परेशानी
बसें, मिनी बसें और ग्रामीण परिवहन के साधन भी डीजल पर निर्भर हैं। डीजल महंगा होने से परिवहन निगमों और निजी ऑपरेटरों के सामने किराया बढ़ाने या सेवाओं में कटौती जैसी मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं।
किराया बढ़ने पर आम यात्रियों की जेब पर असर पड़ता है, जबकि किराया न बढ़ाने पर ऑपरेटरों को नुकसान झेलना पड़ता है। यह संतुलन बनाना हर दिन मुश्किल होता जा रहा है।
माल वितरण सेवाओं की लागत में उछाल
ई-कॉमर्स और त्वरित डिलीवरी सेवाओं के इस दौर में माल वितरण सेवाएं तेजी से बढ़ी हैं। लेकिन डीजल की बढ़ती कीमतें इन सेवाओं की लागत को भी ऊपर ले जा रही हैं।
छोटे डिलीवरी पार्टनर, जो पहले से सीमित आय में काम करते हैं, उनके लिए हर अतिरिक्त रुपये का बोझ मायने रखता है। इससे रोजगार और सेवा की गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो सकती हैं।
छोटे व्यवसाय और ट्रक मालिकों की चिंता
बड़े परिवहन कारोबारी किसी हद तक लागत को संभाल लेते हैं, लेकिन छोटे ट्रक मालिकों और स्वतंत्र ड्राइवरों के लिए स्थिति ज्यादा कठिन है। ईएमआई, रखरखाव और ईंधन खर्च के बीच संतुलन बनाना अब आसान नहीं रहा।
कई छोटे व्यवसायी मजबूरी में काम के घंटे बढ़ा रहे हैं या अतिरिक्त फेरे लगा रहे हैं, जिससे थकान और दुर्घटनाओं का जोखिम भी बढ़ता है।
महंगाई की श्रृंखला और आम आदमी
डीजल महंगा होने का असर केवल परिवहन तक सीमित नहीं रहता। जब माल ढुलाई महंगी होती है, तो सब्जी, फल, अनाज और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ने लगती हैं।
इस तरह डीजल की कीमतें एक श्रृंखला बनाकर महंगाई को आगे बढ़ाती हैं, जिसका सबसे ज्यादा असर मध्यम और निम्न आय वर्ग पर पड़ता है।
आगे की राह और संभावनाएं
परिवहन क्षेत्र के जानकार मानते हैं कि डीजल की कीमतों में स्थिरता बेहद जरूरी है। वैकल्पिक ईंधन, इलेक्ट्रिक वाहन और बेहतर नीतियों की ओर कदम बढ़ाना अब विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत बनता जा रहा है।
सरकार और उद्योग जगत दोनों को मिलकर ऐसे समाधान तलाशने होंगे, जिससे परिवहन क्षेत्र पर बढ़ता बोझ कम किया जा सके और आम जनता को राहत मिल सके।